Odisha News: ठंडे बस्ते में ईस्ट-वेस्ट DFC परियोजना, माल ढुलाई के कारण पेसेंजर ट्रेनें हो रहीं लेट
साल 2016-17 के रेलवे बजट के बाद भी बहुप्रतीक्षित ईस्ट-वेस्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) आठ साल बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। इस परियोजना का निर्माण डीएफसी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा होना था लेकिन इसका निर्माण न होने से राउरकेला से होकर जाने वाली यात्री ट्रेनों को देरी का सामना करना पड़ रहा हैं और इस कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला। बहुप्रतीक्षित ईस्ट-वेस्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) आठ साल बाद भी ड्राइंग बोर्ड पर ही अटका हुआ है।
2016-17 के रेलवे बजट में घोषित इस परियोजना का निर्माण डीएफसी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) द्वारा किया जाना था।लेकिन इसका निर्माण न होने से राउरकेला से होकर गुजरने वाली इस भीड़ भाड़ वाले हावड़ा-मुंबई मुख्य लाइन पर यात्री ट्रेनों को इन दिनों देरी का सामना करना पड़ रहा हैं।
राजस्व बढ़ाने पर पूर्व रेलवे ने दिया जोर
क्योंकि माल ढुलाई कर राजस्व बढ़ाने पर दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) पूरी जोर लगाया हुआ है। इसके कारण इस रूट पर पिछले कई माह से यही स्थिति है तथा इसमें तत्काल समाधान के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं।एसईआर के चक्रधरपुर डिवीजन अंतर्गत राउरकेला जंक्शन पर गंभीर भीड़ के कारण यहां से गुजरने वाली लगभग सभी 52 यात्री ट्रेनें नियमित रूप से निर्धारित समय से कई घंटे देरी से चल रही हैं। हाल के महीनों में राउरकेला के माध्यम से दैनिक ट्रेन यातायात 170 से अधिक ट्रेनों तक बढ़ गया है। जिसमें लगभग 120 मालगाड़ियां शामिल हैं।
खनिज परिवहन के कारण रूट रहता है जाम
मुख्य रूप से खनिजों का परिवहन करने वाली मालगाड़ियां अक्सर रूट की भीड़ के कारण राउरकेला में पटरियों पर रुकी रहती हैं। उधर, राउरकेला से होकर गुजरने वाली बहुप्रतीक्षित ईस्ट-वेस्ट डीएफसी पर कोई प्रगति या अपडेट नहीं है।डीएफसीसीआईएल की वेबसाइट के अनुसार, ईस्ट-वेस्ट डीएफसी को प्रस्तावित नए डीएफसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) अप्रैल 2024 तक आने की उम्मीद जताई गई है।
हालांकि, आगे कोई अपडेट उपलब्ध नहीं है। ईस्ट-वेस्ट डीएफसी के संशोधित प्रस्ताव तीन रेलवे जोन में फैला है, जिसमें दो घटक शामिल हैं। पहला ईस्ट-वेस्ट डीएफसी सब-कॉरिडोर-1 है, जिसमें पालघर (महाराष्ट्र) से दानकुनी (पश्चिम बंगाल) तक 2,073 रनिंग किलोमीटर (आरकेएम) की मुख्य लाइन है। दूसरा ईस्ट-वेस्ट सब-कॉरिडोर-II है, जिसमें राजखरसावा (झारखंड) से अंडाल (पश्चिम बंगाल) तक 195 आरकेएम की स्पर लाइन है।
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