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ओडिशा में इलेक्ट्रिक कार का प्रयोग करेंगे मंत्री व अधिकारी, हटेंगे पेट्रोल-डीजल वाले वाहन

ओडिशा में सरकारी अधिकारी और मंत्री अब इलेक्ट्रिक कार (electric cars) का प्रयोग करेंगे। सरकारी विभाग से पेट्रोल एवं डीजल (Petrol-Diesel) से चलने वाली कार को हटा दिया जाएगा। सरकारी कार्य में इस्‍तेमाल हो रहे ईंधन से चलने वाले वाहनों को चरणवद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

By Babita KashyapEdited By: Updated: Tue, 06 Sep 2022 10:49 AM (IST)
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ओडिशा में अब सरकारी विभाग के अधिकारी अब इलेक्ट्रिक कार का प्रयोग करेंगे

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा में अब सरकारी विभाग से पेट्रोल एवं डीजल (Petrol-Diesel) से चलने वाली कार को हटा दिया जाएगा। इनकी जगह पर इलेक्ट्रिक्ट से चलने वाली गाड़ियों को शामिल किया जाएगा।

मंत्री, अधिकारी इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) का प्रयोग करेंगे। इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है। इलेक्ट्रिक से चलने वाले वाहनों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने यह नीति तैयार कर रही है।

ऐसे में सरकारी कार्य में इलेक्ट्रिक वाहन को नियोजित करने से पहले इसका किराया निर्धारित करने के लिए परिवहन विभाग की तरफ से प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

यहां उल्लेखनीय है कि हाल ही में इलेक्ट्रिक से चलने वाली गाड़ी को बनाने वाली कंपनी के अधिकारी ओडिशा आए थे और परीक्षण के तौर पर डेमो प्रदर्शित किया था।

मिली जानकारी के मुताबिक सरकारी कार्य में नियोजित ईंधन से चलने वाले वाहनों को चरणवद्ध तरीके से हटाया जाएगा। पहले ईंधन से चलने वाले वाहनों के साथ करार प्रक्रिया खत्म होने के बाद उसी स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहन के प्रयोग के लिए सरकार योजना बना रही है।

इससे पहले इलेक्ट्रिक वाहनों के किराए एवं संचालन खर्च निर्धारण करने के लिए वित्त विभाग की तरपफ से परिवहन विभाग को कहा गया है।

इलेक्ट्रिक वाहन के लिए सरकार बना रही है योजना

सरकारी विभाग में मुख्य रूप से टाटा नेक्सन, टाटा टिगोर, टाटा एक्सप्रेस, हुण्डई कोना, मोरिस गैरेज जेड एस जैसे ब्रांड के इलेक्ट्रिक वाहन (Electric vehicle) प्रयोग करने के लिए सरकार योजना बनायी है।

ये वाहन महीने में कितने किमी. जाएंगे, वाहनों के मेंटेंनेंस, बैटरी के बदलने, चार्ज खर्च आदि विषय को ध्यान में रखकर किराया निर्धारित करने को कहा गया है।

दिल्ली के साथ अन्य कुछ राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहन का प्रयोग कर रही हैं, ऐसे में उनका अनुध्यान कर किराया निर्धारित करने की बात भी वित्त विभाग की तरफ से परिवहन विभाग को कही गई है।

इसमें एक समस्या है इलेक्ट्रिक वाहनों के रखरखाव का खर्च का निर्धारण। सन् 1978 नियम के अनुसार परिवहन विभाग में नियोजित गाड़ी के रखरखाव के लिए खर्च निर्धारित किया जाता है।

नए खर्च की सीमा निर्धारित

हालांकि तब से लेकर अब तक वाहनों के टायर, इंजन आयल से लेकर विभिन्न खर्च काफी मात्रा में बढ़ गए हैं। ऐसे में नए खर्च की सीमा निर्धारित करने की भी आवश्यकता है। इसके लिए तकनीकी कमेटी हर दिशा में विचार कर

किराया एवं खर्च निर्धारित कर वित्त विभाग के पास अनुमोदन करने के लिए परिवहन आयुक्त को कहा गया है। यहां उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों को ईंधन से चलने वाली गाड़ी के बदले इलेक्ट्रिक वाहन प्रयोग करने के लिए निर्देश दिया हुआ है।

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