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ओडिशा के एक गांव में बनकर तैयार हुआ मोबाइल होम, नेटवर्क न मिलने के झंझट से दूर सुकून से बात करते हैं लोग

मझीपड़ा गांव में नेटवर्क न होने की वजह से लोग काफी परेशान रहते हैं। इससे निजात पाने के लिए ग्रामीणों ने गांव के बीचोबीच एक मोबाइल होम बनाया है जहां नेटवर्क आता है। यहां बैठकर अब लोग बातें करते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 30 Mar 2023 01:42 PM (IST)
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मोबाइल होम में बैठकर फोन पर बातें करते लोग
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। देश में 5जी नेटवर्क के जमाने में नेटवर्क ना मिलने के कारण काल करने के लिए गांव के बाहर ग्रामीणों ने अस्थाई रूप से मोबाइल होम का निर्माण किया है। गांव के किसी व्यक्ति को फोन करना हो या बाहर से किसी का फोन आना हो तो वह इसी मोबाइल होम में आकर बात करता है। यह समस्या और कहीं नहीं, बल्कि औद्योगिक रूप से समृद्ध प्रदेश के अनुगुल जिले की है।

गांव में नहीं है मोबाइल नेटवर्क

जिले में कुल 1887 गांव हैं। इनमें से 70 गांव ऐसे हैं जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है। गांव के लोगों के पास मोबाइल फोन तो है मगर लोग आसानी से कॉल नहीं कर पाते हैं। खुद अनुगुल प्रखंड के सतकोसिया अभयारण्य के 25 गांवों के निवासी इस दुर्दशा का सामना कर रहे हैं। इन्हीं में से एक टिकरपड़ा पंचायत का मझीपड़ा गांव है। 

गांव में करीब 350 परिवार रहते हैं। ग्रामीण पहले फोन कॉल करने के लिए पहाड़ियों और पेड़ों पर चढ़कर बात किया करते थे। हालांकि, अब उन्‍होंने इसके लिए नया तरकीब निकाला है। गांव के बीचोबीच (जहां नेटवर्क आ रहा था) अस्थाई रूप से मोबाइल घर बनाकर वहीं से बात कर रहे हैं।

नेटवर्क के लिए  पहाड़ियों या ऊंचे पेड़ों पर चढ़ते थे ग्रामीण

जानकारी के मुताबिक, मझीपड़ा गांव महानदी नदी के तट पर एक घने जंगल के बीच बसा है। इससे पहले, ग्रामीण पहाड़ियों या ऊंचे पेड़ों पर चढ़ जाते थे क्योंकि इस गांव में कॉल करने के लिए कोई नेटवर्क उपलब्ध नहीं था।

रात के अंधेरे में पहाड़ियों पर जाने में जंगली जानवरों का डर लगा रहता था। इसके लिए उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था। पिछले कुछ दिनों में उनकी परेशानी थोड़ी कम हुई है। ग्रामीणों ने गांव के बीचोबीच एक 'मोबाइल हाउस' बना रखा है। गांव के युवा और ग्रामीण वहां जाकर फोन कर रहे हैं।

मोबाइल होम से हुई है बड़ी सहूलियत

माझीपाड़ा गांव के बीच में इस विशेष स्थान पर एक मोबाइल घर बनाया गया है क्योंकि इस जगह पर मोबाइल नेटवर्क मिलता था। घर के ऊपर टिन रखा गया है जबकि उसके चारों ओर बांस बांधा गया है। घर के अंदर सीमेंट के खंभों को गाड़कर बांस की एक बेंच बनाई गई है।

ग्रामीण खासकर युवा इस घर में जाकर फोन पर बात कर रहे हैं। उन्हें धूप, बारिश या सर्दी में अब दूर-दूर तक जाने की जरूरत नहीं है। गांव के युवाओं को अकसर इस 'मोबाइल हाउस' में बांस की बेंचों पर लंबी कतारों में बैठकर फोन करते हुए देखा जाता है।

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