अप्रैल में होने वाले आम चुनाव की तैयारियां बीजद ने अभी से शुरू कर दी है। जबकि चुनावी तैयारी को लेकर भाजपा की कुछ खास चहलकदमी अभी देखने को नहीं मिल रही है। कांग्रेस का भी कुछ ऐसा ही हाल है। इधर नवीन पटनायक ने खुद जिलों के दौरे करने शुरू कर दिए हैं। और तो और सरकार जनता को तोहफे पर तोहफे दिए जा रही है।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 03 Nov 2023 10:22 AM (IST)
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। आम चुनाव अप्रैल-मई में होने वाले हैं। तारीखों की घोषणा मार्च के पहले या दूसरे सप्ताह में की जा सकती है। ऐसे में केवल चार महीने बचे हैं। हालांकि, राज्य की राजनीति में राजनीतिक सरगर्मी अभी दिखाई नहीं दे रही है। सभी दलों में आशाई उम्मीदवार बड़े नेताओं के यहां चक्कर काट रहे हैं। किसी भी पार्टी की रणनीति में बिल्कुल भी स्पष्टता नहीं है। बावजूद इसके आशाई उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि के साथ व्यस्त बीजेडी अपनी चुनावी तैयारियों में दूसरों से काफी आगे है।
नवीन सरकार जनता को दिल खोलकर दे रही तोहफे
राज्य सरकार ने चुनाव को ध्यान में रखते हुए पहले ही कई योजनाओं की घोषणा कर दी है। 2019 के आम चुनाव से पहले 'हमारा गांव हमारा विकास' योजना को नवीन का मास्टरस्ट्रोक कहा गया था। अब 'आम ओडिशा नवीन ओडिशा' उसी पैटर्न पर चल रहा है।इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार दिल खोलकर खर्च कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता दावा कर रहे हैं कि चूंकि धार्मिक संस्थानों के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है इसलिए सत्तारूढ़ बीजद लोगों की भावनाओं को बांधे रखने में सफल होगी।
नवीन पटनायक ने खुद जिले के दौरे शुरू कर दिए
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के अनुसार, लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री विशेष सहायता कार्यक्रम के तहत सभी जिलों को धन दिया जा रहा है। लक्ष्मी बस योजना भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आकर्षित करने के लिए एक और सुचिंतित योजना है।इसके अलावा,
नवीन पटनायक ने खुद जिले का दौरा शुरू कर दिया है। वह मालकानगिरी और कालाहांडी जिलों का दौरा कर चुके हैं।
हालांकि वह जिले में पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं, लेकिन उनके दौरे ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया है। मुख्यमंत्री अगले तीन महीनों में कम से कम एक बार प्रत्येक जिले का दौरा करने वाले हैं।
बीजद ने शुरू की उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बीजू जनता दल अपने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिन विधायकों को उम्मीदवार बनने में कोई समस्या नहीं है उन्हें संकेत दे दिया गया। हालांकि, जहां पर उम्मीदवार बदले जाने की संभावना है वहां से अभी तक स्पष्ट चित्र सामने नहीं आ रहा है।
ऐसी जगह पर विभिन्न गुटों को बुलाकर चर्चा शुरू कर दी गई। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है जीतने की संभावना वाले आशाई उम्मीदवारों की संख्या भी बीजद में अधिक है।ऐसे में उम्मीदवारों का चयन करना पार्टी के लिए मुश्किल काम है। बावजूद इसके कहीं से विद्रोही उम्मीदवार खड़े न हों इसको लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अभी से मंथन करना शुरू कर दिया है।
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चुनावी तैयारी को लेकर भाजपा की चहलकदमी न के बराबर
वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी में अभी तक चुनावी तैयारी को लेकर किसी प्रकार की चहलकदमी देखने को नहीं मिल रही है।भाजपा एक राष्ट्रीय दल है ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक दिल्ली से कोई बड़ा नेता आकर यहां चुनावी सभा नहीं करता है तब तक पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ताओं को चुनावी मोड में लाना मुश्किल कार्य है।
हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह आए थे मगर पार्टी की तरफ से कोई बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम नहीं हुआ था। वहीं
मनमोहन सामल के राज्य पार्टी अध्यक्ष का दायित्व संभालने के बाद से अभी तक राज्य सरकार के खिलाफ कोई जोरदार अभियान नहीं किया गया है। केवल प्रत्येक दिन पत्रकार सम्मेलन बुलाकर राज्य भाजपा प्रदेश सरकार पर हमला करने तक सीमित है।
कोई एक मुद्दा उठाकर राज्य सरकार को झकझोर देने वाला कार्यक्रम अभी तक नहीं हुआ है। हालांकि, केंद्र मंत्री धर्मेंद्र प्रधान विभिन्न जगहों पर सरकारी एवं निजी कार्यक्रम में शामिल होकर पार्टी की सक्रियता को लेकर संकेत दे रहे हैं। पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने की रणनीति केवल घोषणा बनकर रह गई है।
कांग्रेस को पटरी पर लौटना है तो करना होगा यह काम
कांग्रेस के पास ओडिशा की केंद्रीय लापरवाही और राज्य सरकार की अक्षमता को उजागर करने के लिए सड़कों पर उतरने का हर मौका है। पार्टी पहले से कहीं अधिक सक्रिय तो हुई है, लेकिन अभी तक प्रभावी तरीके से कार्यक्रम शुरू नहीं किया है।
कांग्रेस ने अब तक किसी भी बड़े मुद्दे पर राज्य स्तरीय सभा या विरोध बैठक नहीं की है। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी ओडिशा नहीं आ रहा है। कार्यकर्ताओं को इस बात का अहसास नहीं है कि चुनाव के मद्देनजर पार्टी क्या ठोस रणनीति बना रही है। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में आशाई नेता अपने तरीके से संगठनात्मक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।2019 में कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई इसलिए राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस को पटरी पर लौटने के लिए एक सुनियोजित रणनीति बनाने की जरूरत है, लेकिन हैरानी की बात है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अब तक एक साथ बैठकर इस संबंध में मानस मंथन नहीं किया है। एक लाइन में कहा जा सकता है कि 3 दिसंबर को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद ओडिशा में हालात सुधर सकते हैं।
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