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Jagannath Temple: पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में गुप्त कमरा या सुरंग है या नहीं? कानून मंत्री ने किया खुलासा

ओडिशा के पुरी जिले में स्थित प्रभु जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में किसी भी प्रकार का गुप्त कमरा या कोई सुरंग नहीं है। इसकी पुष्टि कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कर दी है। हालांकि प्रारंभिक जांच में रत्न भंडार के अंदर दरारें पाई गई हैं जिनकी मरम्मत करने में करीब डेढ़ महीने का समय लग सकता है। मरम्मत के बाद रत्नों की गणना की जाएगी।

By Sheshnath Rai Edited By: Yogesh Sahu Updated: Fri, 01 Nov 2024 07:29 PM (IST)
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रत्न भंडार के बारे में जानकारी देते कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में रत्न भंडार के अंदर कोई गुप्त कमरा या सुरंग नहीं है। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कोई सुरंग या गुप्त कमरा रत्न भंडार के अंदर नहीं है। यह जानकारी शुक्रवार को कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने दी है।

कानून मंत्री ने कहा कि रत्न भंडार के अंदर दरारें पाई गई हैं। उन दरारों को दुरुस्त किया जाएगा। मरम्मत में लगभग डेढ़ महीने का समय लगेगा। सर्वे रिपोर्ट आने में समय लगता है। आधिकारिक सर्वेक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के तुरंत बाद मरम्मत कार्य शुरू किया जाएगा।

एएसआई मरम्मत के लिए तैयार

  • एएसआई रत्न भंडार की मरम्मत के लिए तैयार है। एएसआई द्वारा रत्न भंडार की मरम्मत का काम पूरा करने के बाद हम जल्द से जल्द रत्नों के गणना प्रक्रिया कराने की कोशिश करेंगे।
  • कार्तिक मास के लिए मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा के बाद ही मरम्मत का काम शुरू होगा।

रत्न भंडार की मरम्मत के बाद क्या होगा?

रत्न भंडार की मरम्मत का काम पूरा होने के बाद आभूषणों को अस्थायी रत्न भंडार से निकालकर रत्न भंडार में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। उसके बाद रत्न भंडार के अंदर रत्नों की गणना की जाएगी। 1978 में, रत्न भंडार में रत्न अलंकारों की गिनती की गई थी।

उस डेटाबेस के अनुसार, आभूषणों का मिलान किया जाएगा। इसका भी मिलान किया जाएगा कि जो पहले था वह अब है या नहीं। कानून मंत्री ने कहा कि गणना की प्रक्रिया करीब एक सप्ताह में पूरी हो जाएगी।

गौरतलब है कि बाहरी और भीतरी रत्न भंडार खुलने के बाद मिट्टी के नीचे या दीवार के अंदर गुप्त कमरे या सुरंग होने की बात उठने लगी थी। हालांकि, अब कानून मंत्री के बयान के बाद इस रहस्य से पर्दा हट गया है।

रत्न भंडार से जुड़े कुछ तथ्य

  • साल 1978 में रत्न भंडार खोला गया था। इस दौरान रत्नों की मरम्मत भी हुई थी।
  • इसके बाद 1982 में रत्न भंडार को केवल महाप्रभु के अलंकारों की मरम्मत के लिए खोला गया था।
  • अब करीब 40 साल से अधिक समय बीतने के बाद दोबारा रत्न भंडार खोला गया है।
  • इसके अतिरिक्त 19 अगस्त 1978 में तत्कालीन श्रीमंदिर प्रशासक पी.रथ ने राज्य कानून विभाग को रत्न भंडार के जांच से संबंधित एक पत्र (3125) दिया था। इसमें 1960 से 1962 के बीच हुई जांच व सोने और चांदी के हिसाब का उल्लेख था।
  • आंकड़े के अनुसार, 1978 में की गई गणना में भगवान के आभूषणों में 747 प्रकार के रत्न मिले थे। इसमें 12,838 भरी सोना और 22 हजार 153 भरी चांदी थी।
  • दैनिक उपयोग के आंतरिक आभूषणों में 367 प्रकार की 4,364 भरी थी। बाहरी आभूषणों में 79 प्रकार की 8 हजार 175 भरी, वर्तमान भंडार में 8 प्रकार के 299 भरी सोने के आभूषण थे।
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