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ओडिशा का पड़ोसी राज्‍यों से सीमा को लेकर विवाद, एनसीएसटी का राज्‍य सरकार को निर्देश- आदिवासियों का रखें ख्‍याल

ओडिशा का झारखंड छत्‍तीसगढ़ आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे कुछ गांवों को लेकर विवाद है। ऐसे में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) राज्‍य सरकार से इन गांवों में रहने वाले आदिवासियों की बुनियादी सुविधाओं का ख्‍याल रखने को कहा है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 20 Mar 2023 09:13 AM (IST)
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ओडिशा राज्‍य में आदिवासियों की एक प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे ओडिशा के 45 से अधिक गांवों में रहने वाले आदिवासियों के बुनियादी मानवाधिकार और न्याय सुनिश्चित करने के लिए ओडिशा के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है।अनुसूचित जनजातीय अधिकारों के लिए सर्वोच्च पैनल ने मानवाधिकार कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी द्वारा 14 मार्च को दायर याचिका का संज्ञान लेते हुए 15 दिनों के भीतर विस्तृत जवाब मांगा।

आंध्र प्रदेश के कई गांवों के साथ ओडिशा का सीमा विवाद

ओडिशा का पड़ोसी आंध्र प्रदेश के साथ 64 गांवों पर सीमा विवाद है, जिसमें कोरापुट जिले में 22, गंजाम जिले में 21, गजपति में 16 और रायगड़ा जिले में पांच गांव शामिल हैं। कोरापुट जिले के कुल 22 गांवों में से 21 पर विवादों को हल नहीं किया जा सका क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2006 में यथास्थिति प्रदान की थी।

पश्चिम बंगाल संग भी सीमा विवाद को लेकर उलझा ओडिशा

इसी तरह, ओडिशा का पश्चिम बंगाल के साथ लगभग 38 गांवों में सीमा विवाद है, जिसमें 35 बालासोर और शेष तीन गांव मयूरभंज जिले में हैं। राज्य के क्योंझर जिले में कम से कम पांच गांवों- लितुर, पुरुषोत्तमपुर, कांकड़पत, जगन्नाथपुर और चंपुआ का झारखंड के साथ सीमा विवाद है। ओडिशा सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य की सीमा पर सौ से अधिक गांवों की सीमाएं निर्धारित नहीं की जा सकीं है।

सीमावर्ती क्षेत्रों के जनजातियों पर पड़ रहा असर

त्रिपाठी ने सीमावर्ती राज्यों की उदासीनता और लापरवाह रवैये के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली जनजातियों के बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित होने का आरोप लगाते हुए स्थायी समाधान के लिए आयोग के हस्तक्षेप की मांग की है। ओडिशा सरकार के पास अपनी सीमा पर विवादित गांवों का कोई उचित रिकॉर्ड नहीं है क्योंकि रिकॉर्ड और सीमांकन अभी किया जाना बाकी है।

एनसीएसटी से जांच की गुहार

त्रिपाठी ने एनसीएसटी से इस मामले पर गंभीरता से विचार करने और समयबद्ध तरीके से जांच कराने का आग्रह किया ताकि ओडिशा में गरीबी से जूझ रहे एससी, एसटी बहुल क्षेत्र में हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा की जा सके। याचिकाकर्ता ने पूर्व में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार सीमावर्ती गांवों के मताधिकार अधिकारों को सख्ती से सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था क्योंकि सीमा विवादों के कारण भी इसका उल्लंघन किया गया है।

सीमावर्ती गांवों के निवासियों कों मिले बुनियादी सुविधाएं

उन्होंने आयोग से सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ के साथ-साथ सीमावर्ती गांवों को जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं और बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता पर कार्य करने का भी अनुरोध किया। त्रिपाठी ने एनसीएसटी से अधिकारियों की एक टीम द्वारा मामले की विस्तार से जांच करने और पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिवों को जल्द से जल्द मुद्दों को हल करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है ।

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