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Odisha: स्वास्थ्य विभाग ने उठाए बड़े कदम! अब नहीं होगी दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल जांच में देरी, सख्त निर्देश जारी

ओडिशा में सरकार बदलने के बाद स्वास्थ्य विभाग भी एक्शन मोड में आ गया है। अब एक हफ्ते के अंदर ही दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट प्रदान की जाएगी और आरोपियों की मेडिकल जांच में देरी होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस संबध में विभाग ने एक निर्देश भी जारी किया है और सरकारी सहित निजी अस्पतालों के लिए ये सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।

By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Published: Tue, 02 Jul 2024 05:08 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2024 05:08 PM (IST)
ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मुकेश महालिंग (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा में सरकार बदलने के बाद अधिकारियों के कार्य करने के तौर तरीके भी अब धीरे-धीरे बदलने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग एक्शन मोड में आ गया है।

विभाग ने एक निर्देशनामा जारी करते हुए कहा है कि एक सप्ताह के अंदर दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट प्रदान करें। इसके साथ ही विभाग ने कहा है कि आरोपियों की मेडिकल जांच में हो रही देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग ने दिए सख्त निर्देश

स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों सहित निजी अस्पतालों को भी सख्त निर्देश जारी किए हैं। दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट सात दिन के भीतर जांच पुलिस अधिकारी को सौंपने को कहा गया है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, यह कार्रवाई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 184 के अनुसार की जाएगी, जो पूरे देश में लागू है।

मेडिक जांच के लेनी होगी पीड़ित की अनुमति

मेडिकल जांच करने से पहले पीड़ित की अनुमति आवश्यक है। यदि पीड़ित नाबालिग है, तो माता-पिता की सहमति आवश्यक है। उधर, आरोपी की मेडिकल जांच में भी देरी न करने को कहा गया है। यह नियम सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों पर लागू होगा।

राउरकेला के सरकारी अस्पताल में एक फर्जी डॉक्टर पकड़े जाने के बाद राज्य सरकार ने सभी जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीडीएमओ) को फर्जी डॉक्टरों की जांच में सख्ती बरतने का निर्देश दिया है।

चिकित्सकों की होगी शैक्षणिक योग्यता की जांच 

राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव शालिनी पंडित ने विभिन्न अस्पतालों में पीपीपी मोड में चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसियों द्वारा नियोजित चिकित्सकों की शैक्षणिक योग्यता की जांच करने के निर्देश दिए हैं।

राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत अस्पतालों में पीपीपी मोड में डायलिसिस से लेकर सीटी स्कैन, एमआरआई और ब्लड टेस्ट जैसे कई स्वास्थ्य परीक्षण नि:शुल्क किए जा रहे हैं। अस्पतालों में यह सेवा प्रदान करने के लिए संविदागत एजेंसियों द्वारा डाक्टरों और विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाती है।

यह उन संस्थानों के लिए है कि वे संबंधित डॉक्टर या विशेषज्ञ की शैक्षिक योग्यता की जांच करें, लेकिन अब जब राउरकेला सरकारी अस्पताल की डायलिसिस यूनिट से एक फर्जी डॉक्टर पकड़ा गया है तो राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं।

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