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उड़ीसा हाईकोर्ट ने मुहकिल से जज को रिश्वत देने के लिए 16 लाख रुपये, सोने की चेन और कंगन लेने के लिए वकील को लगाई फटकार

उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक वकील को जज को रिश्वत देने के आरोप में फटकार लगाई है। वकील पर एक मुवक्किल से 16 लाख रुपये सोने की चेन और कंगन लेने का आरोप है। हाईकोर्ट ने वकील की एफआईआर रद्द करने की याचिका भी खारिज कर दी है। स्टेट बार काउंसिल को जांच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले ने कानूनी पेशे की नैतिकता पर सवाल उठाए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Divya Agnihotri Updated: Sun, 10 Nov 2024 03:53 PM (IST)
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ओडिशा हाईकोर्ट ने वकील को लगाई फटकार
संवाद सहयोगी, कटक। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक वकील पर कड़ी कार्रवाई की है । वकील पर न्यायाधीश को रिश्वत देने के बहाने एक मुहाकिल से 16 लाख रुपये, एक सोने की चेन और एक कंगन लेने का आरोप लगाया गया है। बार और बेंच ने बताया कि उच्च न्यायालय ने वकील के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से भी इनकार कर दिया है ।

हाईकोर्ट के न्यायाधीश सिबो शंकर मिश्र ने एफआईआर रद्द करने के लिए वकील की ओर से दायर की जाने वाली याचिका को खारिज कर दी है और उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है । हाईकोर्ट ने कहा है कि, अदालत एफआईआर को रद्द करने के लिए इच्छुक नहीं है । क्योंकि आरोप न केवल जांच के शुरुआती चरण में हैं, बल्कि यह काफी गंभीर हैं। इस में अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश के नाम को बदनाम किया गया है। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है।

स्टेट बार काउंसिल ऑफ उड़ीसा ने दिए जांच के आदेश

हाईकोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल ऑफ उड़ीसा को आरोपों की जांच करने के लिए निर्देश दिया है । साथ ही साथ कोर्ट ने कहा कि, इस तरह के आरोपी के तालमेल न रहने की बात को टला नहीं जा सकता है। एक साधारण वकील के लिए इस तरह की गंभीर तथा मन गढ़न आरोप लाना वह भी एक वकील या जज के खिलाफ यह विश्वास योग्य नहीं है।

आवेदनकारी एक वकील है, यह बात आरोप लगाने वाला भली भांति जानता है। कोई भी साधारण व्यक्ति झूठा आरोप नहीं ला सकता है। वह भी इतने संगीन आरोप, जिसमें काफी भयानक नतीजा भुगतना पड़ सकता है। अगर इसमें कुछ भी गलत या उद्देश्यपूर्ण पाया गया तो उसका नतीजा क्या होगा यह बात भी शिकायतकर्ता को पता है।

विदित है कि आरोपी वकील ने यह आवेदन वर्ष 2021 में उनके खिलाफ मौजूद एक मामला जोकि, कटक की एक अदालत में विचार के लिए पड़ा हुआ उसको रद्द करने के लिए किया है । एफआईआर के अनुसार, वकील ने एक मुहाकिल की जमानत के लिए अन्य एक व्यक्ति को तैनात किया था। उस मुहकिल के खिलाफ मौजूद उड़ीसा प्रोटेक्शन ऑफ़ इंटरेस्ट ऑफ़ डिपॉजिटर्स एक्ट यानी ओपीआईडी एक्ट के तहत दर्ज मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई थी।

गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति के पत्नी यानी शिकायतकर्ता की ओर से किया गया ये दावा

  • उसने 16 लाख 35 हजार रूपये अनिल कुमार नामक व्यक्ति को भुवनेश्वर में उस वकील के कहने पर प्रदान किए।
  • इसके अलावा एक सोने की चेन,एक सोने की ब्रेसलेट जज के बेटी की शादी के लिए दी थी।
  • वकील के कहने पर ही यह सब कुछ दिया गया, वकील के अनुसार वह जज उनके पति के मामले की सुनवाई करने वाले थे।
  • रूपये और सोने की चीजें दिए जाने की बात वकील ने कही थी।

FIR में पेश किए गए सबूत

इस मामले को लेकर फोन द्वारा होने वाली बातचीत और कुछ छवि यानी पिक्चर को भी सबूत के तौर पर एफआईआर में दिया गया। मुहाकिल ने यह भी आरोप लगाया है कि, उनके पति की जमानत खारिज होने के बाद नए सिरे से जमानत याचिका दायर करने के लिए उस वकील ने और 16 लाख रुपये मांगे। ऐसे में जब मुहाकिल ने केस की फाइल, एक लैंड डील और रुपये वापस मांगे तो वकील ने उसे मना कर दिया।

झूठा मुकदमा चलाने की धमकी

उसके नाम पर झूठा मुकदमा चलाने के लिए धमकी दी। यहां तक की जज के साथ अच्छा संबंध होने के चलते उसके पति को कभी भी जमानत नहीं मिलेगी उसके लिए भी पूरी तरह से कदम उठाने की धमकी दी । बार-बार अनुरोध के बावजूद वकील ने कागजात और रुपये नहीं लौटाए।

बाद में उन्हें पता चला कि वह वकील एक सफेद कागज में उनके पति की हस्ताक्षर लेकर दो झूठी जमानत याचिका दायर करने वाला था । बाद में वकील ने दोनों झूठा मुकदमा उठाने के लिए वादा भी किया था और रुपये लौटाने की बात भी कही थी।

वकील के खिलाफ दर्ज हुआ अपराधिक मामला

महिला ने उस वकील के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया। इस मामले में अदालत ने यह कहा कि वकीलों से यह आशा किया जाता है कि उनके पास बहुत ही उच्च स्तर की नैतिकता रहती है।

अगर किसी वकील ने इस तरह की हरकत करते हुए इसके जरिए वकीलों एवं जज की नाम को खराब किया है तो यह बहुत ही घृणित कार्य है। इस तरह के व्यक्ति के खिलाफ सख्त एक्शन की जरूरत है। शिकायतकर्ता की ओर वकील सूर्य नारायण विश्वाल मामले का संचालन कर रहे थे । जबकि सरकार की ओर से वकील संग्राम केशरी मिश्र मामला संचालन कर रहे थे।

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