देश के शीर्ष 10 सबसे गरीब राज्यों में शामिल है ओडिशा: बिहार, झारखंड से भी पीछे
ओडिशा अभी भी देश के शीर्ष 10 सबसे गरीब राज्यों में से एक है। एमपीआई 2022 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार ने गरीबी कम करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। ओडिशा ने गरीबी को लगभग 25 प्रतिशत कम किया है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। 10 poorest states in India: पिछले एक दशक से, ओडिशा की आर्थिक वृद्धि राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है, ओडिशा तेजी से गरीबी में कमी लाने में भी सबसे आगे रहा है जैसे बड़े-बड़े दावे करने वाली बीजद सरकार का अब असली चेहरा सबके सामने आ गया है। पिछले 22 वर्षों तक नवीन पटनायक (CM Naveen Patnaik) के नेतृत्व में राज्य में स्थिर सरकार के बावजूद, ओडिशा (Odisha) अभी भी देश के शीर्ष 10 सबसे गरीब राज्यों में से एक है।
झारखंड (Jharkhand) और बिहार (Bihar) जैसे राज्यों में गरीबों की संख्या में कमी ओडिशा की तुलना में काफी बेहतर है, जबकि ओडिशा गरीबी कम करने के मामले में गोवा (Goa), जम्मू-कश्मीर Jammu Kashmir), आंध्र प्रदेश (Andhra Prdesh), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और राजस्थान (Rajasthan) से भी पीछे है।
राज्य सरकार गरीबी कम करने में नाकाम
यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड के ओपीएचआई द्वारा जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई)-2022 रिपोर्ट से मिली है। ओडिशा में पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन, कुशल मानव संसाधन, प्रगतिशील नीतियां और स्थिर सरकार दिखाकर निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही राज्य सरकार राज्य से गरीबी कम करने में नाकाम रही है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक दिन पहले मंगलवार को जारी एमपीआई-2022 की रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 और 2019-21 के बीच तेजी से गरीबी कम करने के मामले में गोवा देश में सबसे आगे है। इसके बाद जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्य हैं।
पश्चिम बंगाल बाहर निकलने में सफल
हालांकि इनकी तुलना में 10 गरीब राज्य इतनी गरीबी कम नहीं कर पाए हैं। एमपीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 में जो 10 गरीब राज्य थे, उस सूची में 2019-21 में सिर्फ पश्चिम बंगाल (West Bengal) बाहर निकलने में सफल हुआ है।
गरीबी कम करने में सफल बिहार
अन्य राज्य भी उसी तरह से देश के शीर्ष 10 सबसे गरीब राज्यों में शामिल हैं। ये राज्य हैं, बिहार, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान। एमपीआई 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार ने गरीबी कम करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
2005-06 में बिहार में गरीबी कम करने की दर 77.40 प्रतिशत थी, जबकि 2015-16 में यह 25 प्रतिशत घटकर 52.40 प्रतिशत हो गई। लेकिन 2019-21 में यह 17.70% घटकर 34.70% रह गयी है।
इसी तरह झारखंड में गरीबी दर 2005-06 में 74.90 प्रतिशत थी, जबकि 2015-16 में यह 32.40 प्रतिशत घटकर 46.50 प्रतिशत हो गई। हालांकि, पिछले एक दशक में देश में सर्वाधिक गरीबी दर कम करने का ढिंढोरा पीटने वाली ओडिशा सरकार ने 2004-05 में गरीबी दर को 57.2 फीसदी से 24.6 प्रतिशत घटाकर 2011-12 में 32.59 प्रतिशत कर दिया है।
पिछले एक दशक में करीब 80 लाख लोग गरीबी रेखा से ऊपर
ओडिशा सरकार का दावा है कि पिछले एक दशक में करीब 80 लाख लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं। दो दिन से भी कम समय पहले अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस पर, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ट्विटर के माध्यम से कहा कि ओडिशा पिछले दो दशकों में गरीब राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा गरीबी कम करने में सफल हुआ है। ओडिशा ने गरीबी को लगभग 25 प्रतिशत कम किया है। विकास सबके पास पहुंचे हमारी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।
ओडिशा में आर्थिक विकास राष्ट्रीय औसत से अधिक
हालांकि, अब सवाल उठता है कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 15 सालों में बिहार ने गरीबी में 42.70 फीसदी और झारखंड में 32.40 फीसदी की कमी की है, जबकि ओडिशा ने गरीबी में 25 फीसदी की कमी की है।
यदि ओडिशा में आर्थिक विकास राष्ट्रीय औसत से अधिक है और तेजी से विकास कर रहा है, तो पश्चिम बंगाल की तरह ओडिशा को देश के सबसे गरीब राज्यों की सूची से क्यों नहीं हटाया गया है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में ओडिशा में तेजी से गरीबी में कमी के बारे में कोई उल्लेख क्यों नहीं है और सरकार कब तक अधिकतम 25 प्रतिशत गरीबी कम करने को लेकर ढिंढोरा पीटेगी।
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