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Odisha News: भुवनेश्वर में फर्जी काल सेंटर चलाने के आरोप में 6 गिरफ्तार, शातिर तरीके से लोगों को लगा रहे थे चूना

राजधानी भुवनेश्वर में फर्जी कॉल सेंटर के बारे में पता चला है।कमिश्नरेट पुलिस की साइबर टीम ने आज सुंदरपदा में कंचन टावर अपार्टमेंट पर छापा मारा और फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया।पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। इसके साथ ही पुलिस ने यहां से कई लैपटॉप मोबाइल फोन और कई डिजिटल उपकरण भी जब्त किए।

By Sheshnath Rai Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Fri, 18 Oct 2024 10:26 AM (IST)
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ओडिशा में फेक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ (जागरण)

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। राजधानी भुवनेश्वर में फर्जी कॉल सेंटर के बारे में पता चला है।कमिश्नरेट पुलिस की साइबर टीम ने आज सुंदरपदा में कंचन टावर अपार्टमेंट पर छापा मारा और फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया।पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।

इसके साथ ही पुलिस ने यहां से कई लैपटॉप, मोबाइल फोन और कई डिजिटल उपकरण भी जब्त किए। हिरासत में लिए गए छह लोगों का घर कोलकाता में हैं। कमिश्नरेट पुलिस की साइबर टीम को किसी सूत्र से गुप्त सूचना मिली थी कि कंचन टावर अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल पर फ्लैट नंबर 205 में एक फर्जी कॉल सेंटर चल रहा है।

इसके बाद साइबर टीम ने आज अपार्टमेंट में छापा मारा। छापेमारी के दौरान पता चला कि अपार्टमेंट में फर्जी कॉल सेंटर चल रहा था।इस कॉल सेंटर में साइबर लुटेरे लोगों को फर्जी कॉल कर लोगों को चुना लगा रहे थे। पुलिस ने अपार्टमेंट से कुछ उपकरण भी बरामद किए हैं जो सिम बॉक्स की तरह दिखते थे। भुवनेश्वर डीसीपी पिनाक मिश्रा ने कहा है कि, कॉल सेंटर चलाने वाले छह लोगों को रिमांड पर लिया जाएगा।

इसमें और कौन-कौन शामिल है, यह गिरफ्तार किए गए छह बंदियों से पूछताछ के बाद पता चलेगा।आगे की जांच के लिए तकनीकी टीम की मदद ली जा रही है। डीसीपी ने बताया कि प्रदेश और प्रदेश के बाहर के लोगों को लिंक भेजकर यहां फर्जीवाड़ा किया जा रहा था।

साइबर अपराधियों के निशाने पर है राजधानी भुवनेश्वर

साइबर अपराधियों के निशाने पर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर आ गया है। स्पैम कॉल की समस्याएं चरम सीमा पर पहुंच गईं हैं। हर रोज 15 से 20 ऐसे कॉल लोगों को प्राप्त हो रहे हैं। हाल के दिनों में भुवनेश्वर में स्पैम कॉल की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिनमें अब ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के नाम पर भी कॉल्स आने लगी हैं।

निजी मोबाइल नंबरों से की जा रही इन कॉल्स का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को धोखे में डालकर उनकी निजी जानकारी हासिल करना और फर्जी स्कीमों का झांसा देना है।

टेक्नोलॉजी के विकास और सिम कार्ड की बढ़ती उपलब्धता ने जहां संचार को सुलभ और सुविधाजनक बनाया है, वहीं इसका दुरुपयोग भी हो रहा है। ट्राई के नाम पर आने वाले इन कॉल्स में कॉलर उपभोक्ताओं को बताता है कि उनकी सिम कार्ड या मोबाइल नंबर को बंद किया जा सकता है यदि उन्होंने कुछ अपडेट्स नहीं किए या अपनी जानकारी को सत्यापित नहीं किया। ऐसे कॉल्स धोखाधड़ी का हिस्सा हैं, जिनका मकसद उपभोक्ताओं की वित्तीय जानकारी प्राप्त कर उनसे धोखाधड़ी करना होता है।

सिम कार्ड जारी करने में हो रही लापरवाही?

माना जा रहा है कि सिम कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में की जाने वाली लापरवाहियों के कारण भी इस समस्या का विस्तार हो रहा है। सिम कार्ड के लिए जरूरी केवाईसी प्रक्रिया में कमी और आईडी प्रूफ की सही से जांच न होना ऐसी फर्जी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि हर सिम कार्ड सही तरीके से रजिस्टर हो और उस पर दी गई जानकारियां सही हों, ताकि साइबर अपराधी इसका दुरुपयोग न कर सकें।

फर्जी कॉल्स के लिए सिम बॉक्स का प्रयोग

स्पैम कॉल्स को पहचानना और रोकना तकनीकी दृष्टिकोण से भी चुनौतीपूर्ण दिख रहा है। कई साइबर अपराधी सिम बॉक्स तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें फर्जी कॉल्स को असली कॉल्स की तरह दिखाया जाता है। सिम बॉक्स एक ऐसा उपकरण होता है, जिसमें कई सिम कार्ड्स लगाकर एक साथ बड़ी संख्या में कॉल्स की जा सकती हैं, और यह अपराधियों के लिए स्पॉमिंग का एक आसान तरीका बन गया है। इसके जरिए वे अपने असली नंबर को छिपाकर अन्य लोगों को निशाना बनाते हैं।

उपभोक्ताओं के लिए जरूरी सावधानियां

भुवनेश्वर के उपभोक्ताओं को अब पहले से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। किसी भी अनजाने नंबर से आने वाली कॉल्स, खासकर अगर वह ट्राई या किसी अन्य सरकारी एजेंसी के नाम पर हो, को संदेह की नजर से देखें। ऐसी कॉल्स पर किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार नंबर, बैंक विवरण या ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) साझा न करें।

सरकार और ट्राई की सख्त भूमिका जरूरी

सरकार और ट्राई को इस प्रकार की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। केवाईसी की प्रक्रिया को और सख्त बनाना और हर सिम कार्ड को सही तरीके से रजिस्टर करना इसमें सबसे अहम भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही, उपभोक्ताओं को भी साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए।

क्या फेल हो गईं डीएनडी की सेवाएं

कई उपभोक्ता यह दावा कर रहे हैं कि स्पैम कॉल्स की शिकायत दर्ज करने की मौजूदा प्रक्रियाएं अत्यंत जटिल और अप्रभावी हैं। भले ही ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) द्वारा डीएनडी जैसी सेवाएं प्रदान की जाती हैं, परंतु इसका प्रभावी क्रियान्वयन अब तक सवालों के घेरे में है। उपभोक्ताओं का आरोप है कि उनकी शिकायतें अक्सर अनसुनी रह जाती हैं या फिर उन्हें ठीक से निपटाया नहीं जाता।

कंपनियों और आउटलेट्स पर शख्त कार्रवाई की मांग

जिन नंबरों से बार-बार स्पैम कॉल्स किए जा रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग अब जोर पकड़ रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि दोषी नंबरों को जारी करने वाली टेलीकॉम कंपनियों और उनके आउटलेट्स पर शख्त कार्रवाई होनी चाहिए। कई उपभोक्ताओं ने सुझाव दिया है कि शिकायत के दौरान स्पैम गतिविधियों में लिप्त पाये जाने वाले नंबरों को लेकर इसे जारी करने वाली कंपनी और उसके ऑउटलेट पर सख्त जुर्माना लगाया जाए और उसे तुरंत ब्लैक लिस्टकर सीज कर दिया जाए। साथ ही नंबर जारी करने में लगे आउटलेट्स के कर्मचारियों को सजा दी जाये।

केंद्रीयकृत शिकायत निवारण पोर्टल की मांग

उपभोक्ता संरक्षण संगठनों ने भी इस समस्या को गंभीरता से उठाते हुए सरकार से अपील की है कि स्पैम कॉल्स और फर्जी नंबरों के मुद्दे पर सख्त कदम उठाए जाएं। इसके अलावा, एक केंद्रीयकृत शिकायत निवारण पोर्टल की स्थापना की जाए, जहां उपभोक्ता आसानी से अपनी शिकायत दर्ज करा सकें और उनका त्वरित समाधान हो सके।

नए उपायों की संभावनाएं

तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि स्पैम कॉल्स की समस्या को नियंत्रित करने के लिए कॉल ट्रैकिंग, फेक नंबर डिटेक्शन, और अत्याधुनिक एनालिटिक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही टेलीकॉम कंपनियों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी नंबर जारी करने से पहले सही ढंग से केवाईसी प्रक्रियाओं का पालन हो।

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