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Odisha News: केआईएसएस द्वारा जमीन हड़पने के मामले में बड़ी कार्रवाई, राजस्व मंत्री ने दिए जांच के आदेश

Odisha News बीजद के पूर्व सांसद अच्युत सामंत के स्वामित्व वाली संस्था कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) द्वारा जमीन हड़पने के मामले में राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने शनिवार को कहा कि विभाग को मामले की विस्तृत जांच करने के लिए कहा गया है। मंत्री ने आगे कहा कि राजस्व विभाग द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद इस मामले पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

By Sheshnath Rai Edited By: Sanjeev Kumar Published: Sun, 30 Jun 2024 02:01 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2024 02:01 PM (IST)
ओडिशा के राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी (जागरण)

 जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। Odisha News: बीजद के पूर्व सांसद अच्युत सामंत के स्वामित्व वाली संस्था कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) द्वारा जमीन हड़पने के मामले में राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने शनिवार को कहा कि विभाग को मामले की विस्तृत जांच करने के लिए कहा गया है।

इससे पहले, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने खुर्दा कलेक्टर और ओडिशा के मुख्य सचिव को कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (केआईएसएस) के पक्ष में वन भूमि की डायवर्जन प्रक्रिया को स्थगित रखने का निर्देश दिया था।

भूमि विवाद के जवाब में, राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि राजस्व विभाग को जांच शुरू करने और मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। मंत्री ने आगे कहा कि राजस्व विभाग द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद इस मामले पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि 2020 में तत्कालीन सरकार ने सैद्धांतिक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। प्रावधान के अनुसार, भूमि को न तो सौंपा जा सकता है और न ही उसकी श्रेणी को परिवर्तित किया जा सकता है। भूमि उपयोग का प्रस्ताव अभी भी खुर्दा कलेक्टर के पास लंबित है। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने इस संबंध में खुर्दा कलेक्टर को पत्र भी लिखा है। पुजारी ने कहा कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

मंत्री ने कहा कि मैंने राजस्व विभाग को जांच करने और मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है। मामले के पीछे की सही सच्चाई सामने आएगी और तथ्य सामने आने के बाद ही सरकार उचित कार्रवाई के बारे में फैसला करेगी।

जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने 21 जून को लिखे पत्र में खुर्दा कलेक्टर और ओडिशा के मुख्य सचिव को पूरी प्रक्रिया स्थगित रखने का निर्देश दिया था। जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने भी इस मामले पर राज्य सरकार से अलग से स्पष्टीकरण मांगा है। प्रस्ताव को आगे बढ़ाते समय वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के उचित अनुपालन के बारे में शिकायतें मिली हैं।

यह समझा जाता है कि आपने उपरोक्त राजस्व वन भूमि को कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (केआईएसएस) को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आपको सलाह दी जाती है कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय में आवश्यक स्पष्टीकरण प्राप्त होने और मामले में औपचारिक मंजूरी जारी होने तक प्रक्रिया को स्थगित रखें।

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