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Odisha News: नवीन पटनायक के सचिव वीके पांडियन ने लिया वीआरएस, अब ओडिशा सरकार में संभालेंगे जिम्मेदारी

केन्द्रीय नियंत्रण से मुक्त होने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वी.के.पांडियन अब राज्य शासन में नंबर दो की भूमिका में नजर आएंगे। क्योंकि अनुभवी प्रशासक वीके पांडियन को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। पांडियन सक्रिय राजनीति में शामिल हुए बिना राज्य सरकार के नंबर दो के मंत्री के रूप में कार्य करेंगे। वह केवल मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Thu, 26 Oct 2023 02:00 AM (IST)
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केन्द्रीय नियंत्रण से मुक्त हुए मुख्यमंत्री के निजी सचिव वी.के.पांडियन
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर।  केन्द्रीय नियंत्रण से मुक्त होने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वी.के.पांडियन अब राज्य शासन में नंबर दो की भूमिका में नजर आएंगे। क्योंकि अनुभवी प्रशासक वीके पांडियन को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। पांडियन सक्रिय राजनीति में शामिल हुए बिना राज्य सरकार के 'नंबर दो' के मंत्री के रूप में कार्य करेंगे। वह केवल मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करेंगे। शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी औपचारिक अधिसूचना से उक्त जानकारी मिली है।

इतना ही नहीं, एक तरफ जहां आईएएस पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के साथ ही पांडियन से केंद्र सरकार का नियंत्रण हट गया है वहीं दुसरी तरफ मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विपक्ष से नौकरशाह का मुद्दा भी छीन लिया है। राज्य सरकार के 'नंबर दो' के रूप में मंत्रियों, मुख्य सचिव और डीजीपी पर पांडियन का आधिकारिक नियंत्रण होगा। 

सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों 'फाइव-टी' और 'नवीन ओडिशा' के अध्यक्ष होने की आड़ में नवीन पटनायक का सभी विभागों पर सुपर मिनिस्टर जैसा नियंत्रण होगा। पांडियन आईएएस पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बावजूद प्रशासक के रूप में काम करना जारी रखेंगे। फर्क सिर्फ इतना ही हुआ है कि केंद्र सरकार का अब उन पर नियंत्रण नहीं रहेगा। इससे पहले अघोषित राज्य शासन में नवीन के बाद नंबर दो के रूप में काम कर रहे थे। वह अब सीधे और औपचारिक रूप से 'नंबर दो' के रूप में कार्य करेंगे। कैबिनेट रैंक के मंत्री के रूप में सीधे मुख्यमंत्री के अधीन काम करके पूरे राज्य के प्रशासन एवं राजनीति को अपने सीधे नियंत्रण में रखना उनके लिए संभव होगा।

इसके लिए सरकार उन्हें कैबिनेट मंत्रियों की तरह वेतन और भत्ते और अन्य लाभ सहित करीब 98 हजार रुपये वेतन देगी। बहरहाल, ऐसी चर्चा थी कि चुनावी वर्ष में सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की अनुमति मिलने के बाद पांडियन प्रत्यक्ष राजनीतिक भूमिका में होंगे। लेकिन पांडियन ने सक्रिय या प्रत्यक्ष राजनीति में शामिल हुए बिना हमेशा की तरह प्रशासक बने रहने का एक तरीका खोज लिया है। जहां उन पर किसी का कानूनी नियंत्रण नहीं होगा। वह सीधे मुख्यमंत्री के अधीन काम करेंगे और उनके द्वारा किए जाने वाले हर प्रशासनिक और विकास कार्यों में केवल मुख्यमंत्री की मुहर लगेगी। यानी वह जो भी फैसला करेंगे, फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर होंगे, न कि उनके। उस पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं होगा और न ही वह किसी के प्रति जवाबदेह होंगे। 

केवल मुख्यमंत्री ही उनके काम की निगरानी और समीक्षा कर सकते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से मंगलवार को जारी आदेश से भी यही संदेश गया है। पांडियन को नवीन ने संवैधानिक ढांचे में नई नियुक्ति दी है, जिसे बाद में कैबिनेट की मंजूरी मिलने की बात कही जा रही है। पांडियन राज्य सरकार के 'फाइव-टी' और 'नवीन ओडिशा' कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करेंगे। राज्य सरकार के ये दोनों कार्यक्रम केवल कल्पनाशील हैं और अभी तक 'फाइव-टी' या 'नवीन ओडिशा' का विभाग या निदेशालय का कोई सेक्शन नहीं है। सरकार सभी विभागों में शासन चलाने की रणनीति के तहत 'फाइव-टी' को लागू करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसलिए इस 'फाइव-टी' के जरिए पांडियन का सभी विभागों पर सीधा नियंत्रण होगा और उन्हें सुपर मिनिस्टर की तरह काम करने का औपचारिक मौका मिलेगा। इसके अलावा ओडिशा के विकास को गति देने के लिए 'नवीन ओडिशा' की अवधारणा केवल कल्पना मात्र है। 

ऐसे कार्यक्रम केवल पंचायती राज विभाग तक ही सीमित थे, जिन्हें अब 'न्यू ओडिशा' के सपने के साथ हर विभाग में लागू किया जाएगा और यह संदेश दिया जाएगा कि भविष्य में जो भी विकास कार्य होंगे, वे 'नवीन ओडिशा' के लिए 5-टी मॉडल पर किए जाएंगे। चर्चा है कि पांडियन इस सब में सर्वशक्तिमान होंगे। सवाल यह है कि पांडियन नौकरी छोड़ने के बाद सक्रिय रूप से राजनीति में क्यों नहीं आए? ऐसे सवाल स्वाभाविक भी हैं। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पांडियन पर्दे के पीछे से बीजेडी के सर्वशक्तिमान के रूप में काम कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि बीजेडी में सारे फैसले उनके हैं और इस पर मुहर लगाने वाले नवीन ही हैं।

इसलिए वह चाहे किसी भी पद पर हों, बीजद पर उनका पूरा नियंत्रण हो सकता है। अब सरकारी मशीनरी पर नियंत्रण जरूरी था और नवीन के प्रतिनिधि और उत्तराधिकारी के रूप में एक चेहरे की जरूरत थी। इसीलिए चर्चा है कि पांडियन ने केंद्र सरकार के अनुशासन से बाहर निकलने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी है। राज्य के शासन में मंत्रियों से लेकर मुख्य सचिव, डीजीपी और विभिन्न विभागों के सचिवों को अब औपचारिक रूप से उन्हें रिपोर्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

हालांकि वे अभी भी पर्दे के पीछे से पांडियन को ही रिपोर्ट कर रहे हैं, अब वे सीधे और कानूनी रूप से ऐसा करेंगे। पांडियन को 'बॉस' के रूप में स्वीकार करने में उनसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को अक्सर प्रशासनिक बाधाओं का सामना करना पड़ता था, जो अब दूर हो गया है। नवीन के बाद पांडियन राज्य के शासन में दूसरे व्यक्ति हैं जिन्होंने सभी सरकारी आदेश और निर्णय लिए हैं। उनके आदेशों के आधार पर, राज्य प्रशासन को कानूनी रूप से कार्य करने के लिए मजबूर किया जाएगा। हालांकि, 2024 के आम चुनाव के नतीजे आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि पांडियन की असली भूमिका क्या होगी। लेकिन इससे पहले अब यह साफ हो गया है कि पांडियन सीधी राजनीतिक भूमिका निभाकर बीजेडी के लिए किसी संकट का कारण नहीं बनेंगे।  

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