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ओडिशा की राजनीति में भूचाल: नेताओं में बढ़ता जा रहा असंतोष, कर रहे बगावत; पार्टी के शीर्ष नेतृत्‍वों ने पकड़ा माथा

Odisha Politics ओडिशा की राजनीति में अंसतोष का स्‍तर बढ़ता जा रहा है। विद्रोह और इस्‍तीफे का दौर जारी है। एक के बाद एक नेता अपनी पार्टी से इस्‍तीफा देकर दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं। इससे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का ब्लडप्रेशर बढ़ गया है। बीजद और भाजपा में ऐसा अधिक देखने को मिल रहा है जबकि कांग्रेस में इनके मुकाबले स्थिति बेहतर है।

By Sheshnath Rai Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 05 Apr 2024 01:16 PM (IST)
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बीजद अध्‍यक्ष नवीन पटनायक और भाजपा अध्‍यक्ष मनमोहन सामल।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। ओडिशा में जाजपुर से गंजाम तक, जगतसिंहपुर से कंधमाल तक, भद्रक से बरगढ़ तक हर जगह नेताओं में असंतोष, विद्रोह और इस्तीफे का दौर जारी है। चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है, पार्टी हाईकमान एक-एक उम्मीदवार का टिकट फाइनल कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ टिकट घोषणा के बाद असंतोष की आग भी भड़कती जा रही है।

सभी बड़ी पार्टियों का एक जैसा हाल

असंतुष्ट इतने प्रतिक्रियाशील हो रहे हैं कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का ब्लडप्रेशर बढ़ गया है। यह समस्या किसी एक पार्टी की नहीं है, बल्कि तीन बड़ी पार्टियों बीजद, भाजपा और कांग्रेस को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।

बीजद और भाजपा में नाराजगी और बगावत ज्यादा है जबकि कांग्रेस में इनकी तुलना में कम है। दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व असंतुष्टों को यकीन दिलाकर पार्टी प्रत्याशियों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। कहीं-कहीं सफलता मिल रही है, तो कहीं आकांक्षी अड़े रहते हैं।

उम्‍मीदवारों की नाराजगी केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं

सोरो, धर्मशाला, बिंझारपुर, महाकालपड़ा, नीमापड़ा, जयदेव, जटनी, रणपुर, दिगपहांडी, हिंजिली, पट्टांगी, बरगढ़ में भाजपा उम्मीदवारों के चयन को लेकर बगावत हुई है।

यहां के अन्य उम्मीदवार पार्टी उम्मीदवार को स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक हैं। यहां तक कि प्रत्याशी बदलने की भी मांग उठी है।

उम्मीदवारों की नाराजगी केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं है। उन्हें अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के फैसले का विरोध करने में कोई आपत्ति नहीं है।

धर्मशाला, सोरो, जयदेव, हिंजिली, महाकालपड़ा निर्वाचन क्षेत्रों के आकांक्षी भाजपा प्रदेश कार्यालय तक पहुंच गए हैं।उम्मीदवार अपने समर्थकों को भुवनेश्वर में भेज रहे हैं और नारे लगा रहे हैं।

पार्टियों से इस्‍तीफे की लगी है झड़ी

वे पार्टी के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करने पर इस्तीफा देने की धमकी भी दे रहे हैं। कुछ जगहों पर बीजेपी के इस्तीफों की झड़ी लग गई है। पटांगी में पिछली बार विधायक उम्मीदवार रामचंद्र पांगी इस्तीफा देकर बीजद में शामिल हो गए हैं।

नीमपड़ा में भी असंतुष्ट प्रत्याशी पार्टी छोड़कर बीजद में शामिल हो गए हैं। बरहमपुर में भाजपा द्वारा प्रदीप पाणिग्रही को मैदान में उतारने के बाद पिछली बार उम्मीदवार भृगु बक्सीपात्र बीजद में शामिल हो गए और वहां से चुनाव लड़ रहे हैं।कंधमाल लोकसभा सीट पर भी असंतुष्ट लोगों ने भाजपा प्रत्याशी का विरोध कर लाइन लगानी शुरू कर दी है।

बीजद में भी कम नहीं बगावत

सत्तारूढ़ बीजेडी में भी असंतोष और बगावत कम नहीं है।शंख भवन में असंतुष्टों की खुली नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन तो अभी तक देखने को नहीं मिला है।लेकिन कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में बगावत तेज हो गई है और इस्तीफे का दौर शुरू हो गया है।

सोरो में बीजद के उम्मीदवार चयन प्रक्रिया का विरोध कर विधायक परशुराम एवं और आठमल्लिक में नलिनी प्रधान की उम्मीदवारी के विरोध में विधायक रमेश साय ने पार्टी छोड़ दी है।

फूलवाणी में पूर्व विधायक देवेंद्र कुंवर ने उम्मीदवारी के विरोध में बीजद छोड़ दिया है।जगतसिंहपुर निर्वाचन क्षेत्र से कद्दावर नेता अमरेंद्र दास ने बीजद से इस्तीफा दे दिया और घोषणा की कि वह पार्टी के फैसले के विरोध में चुनाव लड़ेंगे।

भद्रक में पूर्व विधायक जुगल पटनायक के बेटे असित पटनायक ने भी भद्रक में प्रफुल्ल सामल की उम्मीदवारी के विरोध में बीजद छोड़ दी।

पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामचंद्र पंडा ने टिकट वितरण से नाखुश होने के बाद पार्टी छोड़ दी। कंटामल में महिधर रणा की उम्मीदवारी के विरोध में ब्लॉक अध्यक्षों और पंचायत समिति सदस्यों ने बीजद से इस्तीफा दे दिया है।

उम्‍मीदवारों को मनाने में छूट रहे हैं पसीने

प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई है, जिससे दोनों ही दलों के शीर्ष नेता दुविधा में हैं। बीजद ने 48 सीटों पर और भाजपा ने 35 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा अब तक नहीं किए हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सीटों पर विवाद काफी गहरे हैं।

बीजद में इतने योग्य उम्मीदवार हैं कि शीर्ष नेता उन्हें मनाने और आम सहमति बनाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। नवीन निवास, शंख भवन में दिनभर बैठकें हो रही हैं। बैठक देर रात तक होती दिख रही है। जिन सीटों पर सहमति बनी है, उनकी सूची दो से तीन दिनों के भीतर घोषित होने की संभावना है।

बागियों को समझाने की कोशिश है जारी

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता असंतोष को दबाने की कोशिश में लग गए हैं। उम्मीदवारों के चयन के बाद जिन सीटों पर असंतोष बढ़ रहे हैं, उसे दबाने की कोशिश कर रहे हैं। असंतोष बढ़ने पर अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में गलत संदेश जाने की संभावना है इसलिए पार्टी की ओर से बागियों को समझाने के बाद अन्य सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करने का फैसला लिया जा रहा है।

कांग्रेस ने अब तक 47 विधानसभा और आठ लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है।हालांकि स्थिति बीजद और भाजपा जैसी नहीं है, लेकिन कुछ सीटों पर असंतोष है। मलकानगिरी के चित्रकोंडा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध करते हुए, एक अन्य आकांक्षी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस में पैसे के साथ टिकट वितरण चल रहा है।हालांकि पार्टी की ओर से इससे इनकार किया गया है।

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