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फर्जी मुठभेड़ मामलों में ओडिशा तीसरे स्थान पर, न्‍यायिक हिरासत में भी हुई मौत, NHRC ने किया चौंकानेवाला खुलासा

फर्जी मुठभेड़ के मामले में ओडिशा उत्‍तर प्रदेश और असम के बाद तीसरे स्‍थान पर है। इसका खुलासा मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु नायक द्वारा दायर एक आरटीआई याचिका का जवाब देते हुए एनएचआरसी ने किया है। ये आंंकड़े चौंकानेवाले हैं।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 13 Mar 2023 11:09 AM (IST)
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फर्जी मुठभेड़ के मामले में ओडिशा तीसरे नंबर पर
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने 2010 से इस साल 5 जनवरी के बीच ओडिशा में फर्जी मुठभेड़ों के संबंध में 60 मामले दर्ज किए हैं। जहां उत्तर प्रदेश 211 फर्जी मुठभेड़ों के मामले में पहले स्थान पर है, वहीं असम में 68 फर्जी मुठभेड़ों के मामले में दूसरे स्थान पर है। उक्त दोनों राज्यों के बाद देश में ओडिशा फर्जी मुठभेड़ों के मामले में तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। 

मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु नायक ने दायर की थी आरटीआइ

मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु नायक द्वारा दायर एक आरटीआई याचिका का जवाब देते हुए एनएचआरसी ने कहा कि उसने 2010 और 5 जनवरी, 2023 के बीच देश भर में फर्जी मुठभेड़ों के संबंध में 841 मामले दर्ज किए हैं। पिछले 13 वर्षों में असम में पुलिस मुठभेड़ में 436 लोगों की मौत हुई है, जबकि उत्तर प्रदेश में 231 लोगों की मौत हुई है और ओडिशा में पुलिस मुठभेड़ में 95 लोगों की मौत हुई है।

फर्जी मुठभेड़ में लगातार हुई मौतें

ओडिशा में 2010 और जनवरी 2023 के बीच अर्धसैनिक बलों द्वारा मुठभेड़ों में ओडिशा में तीन लोगों की मौत हो गई। सर्वोच्च अधिकार निकाय ने इस अवधि के दौरान अर्धसैनिक बलों द्वारा कथित फर्जी मुठभेड़ों के दो मामले दर्ज किए। इसी तरह, पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में इस अवधि के दौरान अर्धसैनिक बलों द्वारा मुठभेड़ों में 34 लोगों की मौत दर्ज की गई। यह देश के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा था।

न्‍यायिक हिरासत में भी हुईं मौतें

इसके अलावा, 2010 और 5 जनवरी 2023 के बीच ओडिशा में 53 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हो गई, जबकि 728 जेल कैदियों ने न्यायिक हिरासत में अपनी जान गंवा दी। जबकि उत्तर प्रदेश में न्यायिक हिरासत में सबसे अधिक मौतें (5,074) दर्ज की गईं, पिछले 13 वर्षों में महाराष्ट्र में हिरासत में 261 मौतें हुईं है।

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