ओडिशा में बच्चों के अश्लील वीडियो के मामलों की जांच के लिए बनेगी टास्क फोर्स, माझी सरकार का अहम फैसला
ओडिशा सरकार ने बाल यौन उत्पीड़न सामग्री के मामलों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए एक समर्पित टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद उठाया गया है जिसमें कहा गया है कि बाल यौन उत्पीड़न सामग्री देखना और डाउनलोड करना यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम 2012 के तहत अपराध हो सकता है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने कहा है कि वह बाल बाल यौन उत्पीड़न सामग्री के मामलों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए एक समर्पित कार्य बल (टास्क फोर्स) गठित करेगी। सरकार ने सोमवार को एक बयान में कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को लागू करेगी, जिसमें कहा गया है कि बाल यौन उत्पीड़न सामग्री देखना और डाउनलोड करना यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत अपराध हो सकता है।
बयान में कहा गया है कि राज्य सभी रूपों में बाल यौन शोषण को खत्म करने के उद्देश्य से कड़े कानूनी ढांचे को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। राज्य बाल यौन उत्पीड़न सामग्री के प्रसार और खपत का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाएगा। इसमें ऐसे अपराधों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए समर्पित टास्क फोर्स की स्थापना शामिल है।
माझी सरकार के अनुसार, यह ऐतिहासिक निर्णय एक मजबूत संदेश देता है कि राज्य बाल यौन शोषण के किसी भी रूप को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह हमारे बच्चों की सुरक्षा, उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी को मजबूत करता है।
बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों के अनुरूप, राज्य बाल शोषण के पीड़ितों के लिए व्यापक सहायता सेवाओं में निवेश करेगा, उनके लिए आवश्यक देखभाल और संसाधन प्रदान करेगा।
सरकार ने कमजोर बच्चों की सुरक्षा के लिए लोगों से किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करने की अपील की है। एक पथ-प्रदर्शक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी बाल अश्लील सामग्री का कब्जा पॉक्सो और आईटी कानूनों के तहत अपराध होगा, भले ही उन्हें आगे प्रसारित न किया जाए।
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