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ओडिशा विधानसभा का बजट सत्र 25 से

odisha vidhan sabha budget session. ओडिशा विधानसभा का बजट सत्र का पहला चरण 27 जून से दो जुलाई तक और दूसरा चरण 12 जुलाई से आठ अगस्त तक चलेगा।

By Edited By: Updated: Wed, 12 Jun 2019 01:06 PM (IST)
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ओडिशा विधानसभा का बजट सत्र 25 से
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा का बजट सत्र 25 जून से 8 अगस्त तक चलेगा। यह दो चरणों में संपन्न होगा। सत्र का पहला चरण 27 जून से दो जुलाई तक और दूसरा चरण 12 जुलाई से आठ अगस्त तक चलेगा। इस सत्र के पहले दिन राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल का अभिभाषण होगा। इसके बाद राज्यपाल के भाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस होगी। 27 जून को विधानसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव होगा।

बजट सत्र के लिए जारी अधिसूचना के मुताबिक वित्तमंत्री निरंजन पुजारी 28 जून को 2019-20 के लिए बजट प्रस्तुत करेंगे। जिस पर एक व दो जुलाई को चर्चा होगी। जानकारी के अनुसार चालू वित्तीय साल के लिए सरकार को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए 85 से 90 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता पड़ेगी। इन योजनाओं की घोषणा चुनाव से पहले की गई थी। जिन्हें बीजू जनता दल के लिए गेम चेंजर के रूप में माना जा रहा है। इनमें कालिया, बीजू स्वास्थ कल्याण योजना, आम गांव आम विकास (मेरा गांव मेरा वकास) और सेल्फ हेल्प ग्रुप योजना प्रमुख है।

बताया जाता है कि इन योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार के सामने 53 हजार करोड़ रुपये जुटाना चुनौती भरा साबित होगा। इसके अलावा 35 हजार करोड़ रुपया केंद्रीय योजना जैसे नेशनल रूलर हेल्थ मिशन, नेशनल अरबन हेल्थ मिशन, आयुष्मान भारत योजना, सर्व शिक्षा अभियान व राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान आदि के लिए जरूरत होगी। गत बजट सत्र 2018-19 में राज्य व केंद्रीय योजनाओं के मद में 62 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। जिसमें 34,770 करोड़ रुपये राज्य तथा 27,230 करोड़ रुपये केंद्रीय योजनाओं के मद में व्यवस्था की गई थी। सूत्र बताते हैं कि इन योजनाओं में करीब 42 फीसद धन ही आवंटित किया गया था। स्वास्थ, ग्राम्य विकास, कृषि, आवास एवं नगर विकास जैसे विभागों के लिए बड़ा बजट चाहिए।

कृषि विभाग के लिए 25 फीसद बढ़ाकर बजट का प्रावधान करना होगा। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आम गांव आम विकास जैसी योजनाओं के लिए पिछले बजट में 1,250 करोड़ रुपये की जरूरत थी। इस बार 1.900 करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने का अनुमान है। पैसा जुटाने के लिए सरकार को केंद्रीय अनुदान, केंद्रीय कर, बाजार का भी सहारा लेना पड़ सकता है। राज्य सरकार को कुल 11,690 करोड़ का ऋण भी चुकाना है। शायद यही वजह है कि नवीन सरकार को केंद्र की आयुष्मान भारत योजना को अपनाना पड़ रहा है। जबकि चुनाव से पहले इसका विरोध किया जा रहा था। इसके बदले बीजू स्वास्थ कल्याण योजना लांच की गई थी।

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