37वें श्रद्धांजलि समारोह के समापन दिवस पर नृत्य ने मोहा दर्शकों का मन, ओडिसी नृत्य ने बांधा समां
गुरु केलुचरण महापात्र ओडिसी अनुसंधान केंद्र के सहयोग से त्रिधारा द्वारा आयोजित 37वें श्रद्धांजलि समारोह - 2023 का रविवार को समापन हो गया। समारोह में ओडिसी नृत्य का जलवा देखने को मिला। सुबह 9 बजे उत्कल संगीत महाविद्यालय के प्रांगण में गुरु देवप्रसाद दास की प्रतिमा पर सम्मानित गुरुओं विशिष्ट अतिथियों शिष्यों एवं शुभचिंतकों ने माल्यार्पण किया। उसके बाद कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी।
By Jagran NewsEdited By: Gaurav TiwariUpdated: Mon, 17 Jul 2023 06:29 PM (IST)
भुवनेश्वर, जेएनएन। गुरु केलुचरण महापात्र ओडिसी अनुसंधान केंद्र के सहयोग से त्रिधारा द्वारा आयोजित 37वें श्रद्धांजलि समारोह - 2023 का रविवार को समापन हो गया। समारोह में ओडिसी नृत्य का जलवा देखने को मिला। सुबह 9 बजे उत्कल संगीत महाविद्यालय के प्रांगण में गुरु देवप्रसाद दास की प्रतिमा पर सम्मानित गुरुओं, विशिष्ट अतिथियों, शिष्यों एवं शुभचिंतकों ने माल्यार्पण किया।
सुबह के सत्र में भुवनेश्वर के सूर्यज्योति कला केंद्र, कटक के कला विकास केंद्र, बरहमपुर के भैरव कला केंद्र, बरहमपुर के उत्कलिका नृत्यानुष्ठान, जटानी के संगीता, अंगहार के साथ त्रिधारा, भुवनेश्वर के जूनियर ग्रुप के संस्थानों और नर्तकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में बरहमपुर के नृत्यायन, दुर्गापुर के श्रीक्षेत्र ओडिसी नृत्यभूमि, नयागढ़ के नृत्यप्रणाम, बरहमपुर के सरंचना, निराकरपुर की उत्कलिका संगीत अकादमी, पारादीप के सागरिका कला निकेतन, जटानी के नृत्य प्रवाह नृत्य अकादमी, चौद्वार के त्रिनेत्र कला कुंजा, कोलकाता के ओडिसी आश्रम, इप्सिता मोहंती, नृत्यम (हिंजिलिकातु), नृत्य श्रीधर, किरीबुरू के महेश्वर कला केंद्र, बरहमपुर के निर्मला कला केंद्र, अस्का के मिहिर नृत्य अकादमी, बरहमपुर के नृत्यधारा, भुवनेश्वर के नृत्य निपुण, बरहमपुर के सांस्कृतिक कला निकेतन, एनसीडीए (अंगुल), भुवनेश्वर के नृत्यांक्षी और गंजम के आराध्या डांस अकादमी ने भाग लिया।
दोपहर के सत्र में नर्तकों और नृत्य संस्थानों ने भाग लिया जिनमें परलाखेमुंडी के श्री जगन्नाथ ओडिसी कला केंद्र, भुवनेश्वर की निर्झरा सांस्कृतिक अकादमी, निराकरपुर की श्री साई नृत्य अकादमी, बरहमपुर का ओडिसी नृत्यायण, बरहमपुर का ओडिसी साधना पीठ, कटक का बिश्वनाथ संगीतालय, फुलबनी का नटराज कला मंदिर, कटक का नृत्य मयूरी, भुवनेश्वर का मोक्ष, भुवनेश्वर का नाट्यशास्त्र, भुवनेश्वर का त्रिभंग कला निकेतन, भुवनेश्वर की ओम कलिंग कला परिषद, भुवनेश्वर का श्रीमयी नृत्यानुष्ठान और भुवनेश्वर की नृत्य त्रिथा अकादमी शामिल थे।
समापन सत्र में त्रिधारा के वरिष्ठ समूह, गुरु देवप्रसाद दास की पोती बागमिश्री दास, वर्धमान की नृत्यबाश प्रेरणा, रांची की देवश्रुता ओडिसी अकादमी, अहमदाबाद की ओम आर्ट डांस अकादमी, भुवनेश्वर की अवंतिका डांस अकादमी, भुवनेश्वर के यूडीआरए (भुवनेश्वर), भुवनेश्वर की नृत्यार्चन नृत्य अकादमी, नई दिल्ली की देबधारा और बरहमपुर के देबप्रसाद कला तीर्थ ने भाग लिया।
समापन समारोह में सांसद प्रशांत नंदा, सांसद सुलता देव, जीकेसीएम ओडिसी अनुसंधान केंद्र के मुख्य कार्यकारी सुबोध चंद्र आचार्य, हिंदुस्तान आर्ट एंड म्यूजिक सोसाइटी के सचिव पंडित प्रोसेनजीत पोद्दार और त्रिधारा के निदेशक गुरु डॉ. गजेंद्र कुमार पांडा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस कार्यक्रम का संचालन चंदन साहू ने किया।
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