बिहार में इंसानों की जातीय गणना के बाद अब जानवरों की बारी, ओडिशा के सिमलीपाल में होगी बाघों की गिनती, तैयारी हुई पूरी
ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित सिमलीपाल नेशनल पार्क में बाघों की जनगणना की तैयारी शुरू हो गई है। कुल 209 टीमों को इस काम के लिए तैनात किया गया है। यहां बाघों की गिनती करने का काम 18 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक चलेगा। लाइन-ट्रांजैक्शन और कैमरा ट्रैप इन्हीं दो तरीकों से बाघों की गणना की जाएगी।
संतोष कुमार पांडेय, संबलपुर। सिमलीपाल नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना की तैयारी शुरू हो गई है। बाघों की गिनती 18 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक चलेगी। रिजर्व के 16 रेंजों में 209 बिट्स से बाघों की गिनती की जाएगी। हर साल इसी तरह से जनगणना की जाती है।
बाघों की गिनती के लिए पूरी तैयारी
सिमलीपाल में बाघों की गणना के लिए कुल 209 टीमें तैनात की गई हैं। वहीं इस साल मयूरभंज के विभिन्न वन रेंजों में भी बाघों की गिनती की जाएगी।
टीमें रेंज अधिकारियों, एसीएफ और रिजर्व के उप निदेशक की देखरेख में काम करेंगी। बाघों की गणना के लिए वन विभाग दो तरीके अपनाएगा; एक है लाइन-ट्रांजैक्शन और दूसरा है कैमरा ट्रैप।
एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व सिमलीपाल
बता दें कि ओडिशा में सिमलीपाल नेशनल पार्क एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व है, जो कि 2750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें से 2200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही इकोटूरिज्म की अनुमति है।
गौरतलब है कि सिमलीपाल नेशनल पार्क के अंदर जानवरों की 55 प्रजातियां, पक्षियों की 304 प्रजातियां, सरीसृपों की 62 प्रजातियां, मछलियों की 37 प्रजातियां और 1076 प्रकार के पेड़ मिलते हैं।
गौरतलब है कि सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित है। साल 2009 से यह 'यूनेस्को वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व' का हिस्सा है।
टाइगर रिजर्व के लिए इसका आधिकारिक रूप से चयन 1956 में किया और 1973 से इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत लाया गया, जिसका उद्देश्य विलुप्त हो रही इस प्रजाति को संरक्षण प्रदान करना था।
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