राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ओडिशा के दो दिवसीय दौरे पर हैं जिसका आज आखिरी दिन है। इस दिन वह बोपारादीप पहुंचकर बोइत बंदाण उत्सव का उद्घाटन किया। गौरतलब है कि ओडिशा के नौ वाणिज्य के समृद्धि का प्रतीक है बोइत बंदाण एवं बालीयात्रा उत्सव। आज इस त्योहार का जश्न ओडिया समुदाय के लोगों ने पोखरी समुद्र नदी व जलाशयों में नौका बहाकर किया।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 27 Nov 2023 03:47 PM (IST)
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के दो दिवसीय दौरे पर आयी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने दौरे के आखिरी दिन सोमवार को जगतसिंहपुर जिले के पारादीप बंदरगाह की तरफ से आयोजित बोइत बंदाण उत्सव में भाग लेते हुए कहा कि ओडिशा के नौ वाणिज्य के समृद्धि का प्रतीक है बोइत बंदाण एवं बालीयात्रा उत्सव।
कार्यक्रम में ये भी रहे उपस्थित
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर राज्य वासियों को बोइत बंदाण पर्व की बधाई देते हुए कहा कि अतीत में हम समुद्र पर विशेष प्रभाव विस्तार किए थे। आज महाकाश के क्षेत्र में भारत की सफलता प्रशंसनीय है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज हम एक के बाद एक सफलता हासिल करते जा रहे हैं मगर महासागर के गर्भ में जो विशाल समुद्री जीवन काया विस्तार किया है, रत्न हैं, उसकी अभी भी खोज नहीं हो पायी है। इसके खोज की आवश्यकता है।
महाकाश में हम जितनी सफलता हासिल कर रहे हैं करते रहें, मगर महासागर की गहराई में क्या है, उसका भी अविष्कार करना होगा। चंद्रयान तीन की सफलता के बाद भारत वर्तमान समुद्रीयान मिशन की तैयारी कर रहा है। इससे 6 हजार मीटर गहरे समुद्र के अन्दर रहने वाली समुद्री संपत्ति एवं जैव विविधता का आकलन किया जा सकता है।
राष्ट्रपति के साथ इस कार्यक्रम में ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास, केन्द्र मंत्री श्रीपद यशो नायक, केन्द्र मंत्री विशेश्वर टुडु, केन्द्र मंत्री शांतनु ठाकुर, ओडिशा सरकार की मंत्री टुकुनी साहू, जगतसिंहपुर के सांसद राजश्री मलिक, सांसद संबित राउतराय प्रमुख उपस्थित थे।
पूर्णिमा में नौका बहाने का दिन आ रहा याद: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने अपना भाषण नमस्कार जोहार जय जगन्नाथ के साथ शुरू किया। उन्होंने कहा कि पारादीप बंदरगाह की तरफ से आयोजित इस भव्य बोइत बंदाण उत्सव में भाग लेकर मैं आनंदित। पवित्र रास पूर्णिमा एवं ऐतिहासिक बालीयात्रा अवसर पर प्रिय देशवासी एवं ओडिशा वासियों को शुभकामना दी। राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे पता चला है कि प्रति वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित होता है, आज इस प्रतिकात्मक नौ वाणिज्य यात्रा का शुभारंभ कर आज मै बहुत खुश हूं। ओडिशा ही नहीं पूरे विश्व में आज ओडिआ लोगों ने पोखरी में बहायी नौका।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरे राज्य में भाई बहनों ने नदी, पोखरी में नौका बहाया। भारत के विभिन्न राज्य एवं विभिन्न देश में रहने वाले हमारे भाई बहन नौका बहाए हैं। मैने पहले कई बार पूर्णिमा के अवसर पर नौका बहाया है, आज वह दिन याद आ रहा है।
ओडिशा के नौवाणिज्य के समृद्धि का प्रतीक है यह
ओडिशा में 12 महीने में 13 पर्व मनाया जाता है। केवल ओडिशा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में हम अनेक पर्व मनाते हैं। कोई पर्व धर्म आधारित है तो कोई पर्व कृषि आधारित होता है। किन्तु एक गौरवमय अतीत स्मृति में मनाए जाने वाला ओडिशा का बालीयात्रा एक न्यारा पर्व है।
यह पर्व ओडिशा के नौवाणिज्य के समृद्धि का प्रतीक है। ओडिशा वासियों की संस्कृति का परिचायक है। पूर्व काल में दक्षिण पूर्व एशिया को जाकर व्यापार करते थे और मातृभूमि का सशक्त करने के साथ गौरव बढ़ाये थे।राष्ट्रपति ने कहा कि स्कूल में पढ़ते समय मैं उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की रेल के उपर चिलका दर्शन कविता पढ़ी थी. उसे पढ़ कर सुनाया। आ-का-मा बई, गुआ पान देई गुआ पान जा का तोर, धर्म जा का मोर।
भारत की नौवाणिज्य परंपरा अत्यन्त अति प्राचीन है
राष्ट्रपति ने कहा कि अनंत आकाश एवं गहरा समुद्र सदैव हर समय रहस्यमय रहा है। समुद्र अनादिकाल से मनुष्य को सृजनशील करते आ रहा है। इसमें अपार जिज्ञासा सृष्टि किया है। भारत एक उप द्वीप है. ऐसे में भारत में व्यापार एवं अंतर्राष्ट्रीय संपर्क साधान बना है समुद्र। समुद्र आधारित काव्य साहित्य भारतीय संस्कृति सशक्त किया है। ओडिशा में नौवाणिज्य की कथा एक सुंदर कहानी है। भारत की नौवाणिज्य परंपरा अत्यन्त अति प्राचीन है।
कलिंग के राजा एक समय समुंद्र में अपना आधिपत्य विस्तार किए थे, इतिहास में दर्ज है। इसका कहने का मतलब है ओडिशा एवं भारत के अन्य राज्यों में समुद्र के जरिए व्यापार करने की प्राचीन परंपरा रही है। इसके जरिए व्यापार के साथ ही भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार भी हमारे प्राचीन व्यापारी कर रहे थे। पारादीप बंदरगाह इस बोइत बंदाण उत्सव को बंदरगाह दिवस के रूप में पालन कर रहे हैं। इसके लिए मैं बंदरगाह के अधिकारियों को धन्यवाद दूंगी।
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केवल ओडिशा में ही नहीं पूरे भारत में प्रसिद्ध है पारादीप बंदरगाह
राष्ट्रपति ने कहा कि पारादीप बंदरगाह केवल ओडिशा में ही नहीं पूरे भारत में प्रशिद्ध है। मुझे पता चला है कि पारादीप बंदरगाह पूर्वी भारत का वृहत्तम बंदरगाह बनने जा रहा है। पिछले एक दशक में इस बंदरगाह में कार्गो हैंडलिंग क्षमता दुगुनी हुई है।
इस वर्ष पारादीप बंदरगाह को सागर श्रेष्ठ बंदरगाह के रूप में घोषित किया गया है। ग्लोबल मेरिटाइम इंडिया समिट 2023 को पोर्ट आफ आपरेशनल एक्सलेंस अवार्ड दिया गया है। इससे बंदरगाह के अधिकारियों का सम्मान बढ़ा है और दायित्व भी। पारादीप बंदरगाह के अधिकारी आगामी दिनों में अपनी इस यात्रा को जारी रखते हुए भारत के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे, ऐसा मुझे उम्मीद है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वाटर ट्रिटमेंट प्लांट के कार्यकारीय होने पर पारादीप के लोग लाभान्वित होंगे एवं सिग्नल स्टेशन के कार्यकारी होने पर बंदरगाह में जहाजों का आवागमन सुरक्षित होगा, ऐसा मुझे उम्मीद है। मुझे उम्मीद है कि यह दोनों प्रकल्प निर्धारित समय पर पूरा होगा।
देश के व्यापार एवं आर्थिक विकास के क्षेत्र में समुद्र की भूमिका
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में 7500 किमी. लम्बा समुद्री किनारा है इसमें से 480 किमी समुद्री किनारा ओडिशा में है। 1382 समुद्री दीप पुंज हैं। ऐसे में हमारे देश में व्यवसाय के क्षेत्र में एवं अर्थनीतिक विकास के क्षेत्र में समुद्र की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।भारत में कुल व्यापार का 95 प्रतिशत एवं मूल्य दृष्टि से 65 प्रतिशत कारोबार समुद्री परिवहन के जरिए होता है। ऐसे में भारत के बंदरगाहों को विकसित करने के साथ ही कार्य कौशल को बेहतर करने की जरूरत है। इस दिशा में भारत सरकार का सागरमाला कार्यक्रम एक प्रशंसनीय कदम है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से पोर्ट डेवलेपमेंट किया जा रहा है। भारत की नेशनल लजिस्टिक पालिसी एवं गतिशक्ति नेशनल पालिशी के जरिए बंदरगाह के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा बंदरगाह के विकास के क्षेत्र में पर्यावरण अनुकुल कदम उठाया जा रहा है।
महाकाश के क्षेत्र में भारत की सफलता प्रशंसनीय है
चंद्रयान तीन की सफलता के बाद भारत वर्तमान समुद्रीयान मिशन की तैयारी कर रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि अतीत में समुद्र पर विशेष प्रभाव विस्तार किए थे।आज महाकाश के क्षेत्र में भारत की सफलता प्रशंसनीय है। अंतरीक्ष के क्षेत्र में आज हम एक के बाद एक सफलता हासिल करते जा रहे हैं मगर महासागर के गर्भ में जो विशाल समुद्री जीवन काया विस्तार किया है, रत्न हैं, उसकी अभी भी खोज नहीं हो पायी है। इसके खोज की आवश्यकता है।महाकाश में हम जितनी फलता हासिल कर रहे हैं करते रहें, मगर महासागर की गहराई में क्या है, उसका भी अविष्कार करना होगा। चंद्रयान तीन की सफलता के बाद भारत वर्तमान समुद्रीयान मिशन की तैयारी कर रहा है। इससे 6 हजार मीटर गहरे समुद्र के अन्दर रहने वाली समुद्री संपत्ति एवं जैव विविधता का आकलन किया जा सकता है।
युवा पीढ़ी नौकरी देने वाला बनने का करें प्रयास
युवा पीढ़ी को सलाह देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे पूर्वज सात समुंद्र, 13 नदी को पार जाकर व्यापार करते थे। वर्तमान में धरती पर प्रयुक्ति विद्या ने व्यापक परिवर्तन लाया है। प्रयुक्ति विद्या के माध्यम से समुद्री यात्रा सहज एवं सुगम हो गई है। ऐसे में आज के युवा पीढ़ी अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी करे मगर व्यापार के लिए भी आगे आए। व्यापार में लक्ष्मी बसती हैं।युवा पीढ़ी नौकरी करने के साथ नौकरी देने वाला भी बने। अपनी रूचि के अनुसार नए नए उद्योग स्थापित करें। नौकरी के पीछे दौड़ने के बदले नौकरी देने वाला बने। नवसृजन का कर्णधार बने। आत्म निर्भर बने। इससे अपनी जीविका के साथ अन्यों को जीविका देने का वाहक बने। परम वैभवशाली भारत गठन करने में अपना योगदान दें।
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