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Jagannath Temple Ratna Bhandar: महाप्रभु जगन्नाथ के खजाने में अमूल्य निधियां, कल दोबारा खोला जाएगा रत्न भंडार

Jagannath Temple Ratna Bhandar पुरी जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार फिर गुरुवार को खोला जाएगा। इससे पहले 46 साल के लंबे अंतराल के बाद 14 जुलाई को रत्न भंडार खोला गया था जिसके बाद खजाने के द्वार दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था। जब 1978 में पुरी जगन्नाथ मंदिर का खजाना खोला गया था तो उस वक्त रत्नों और आभूषणों की गिनती में 72 दिन लगे थे।

By Sheshnath Rai Edited By: Shashank Shekhar Updated: Wed, 17 Jul 2024 09:57 PM (IST)
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गुरुवार को दोबारा खोला जाएगा रत्न भंडार। फाइल फोटो

शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। Jagannath Temple Ratna Bhandar ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ का धाम धन-धान्य से परिपूर्ण रहा है। मंदिर का रत्न भंडार अमूल्य निधियों से भरा हुआ है। इनमें बेशकीमती रत्न-आभूषण, दुर्लभ धातुओं की मूर्तियां, सोने-चांदी की मुद्राएं, मुकुट व अन्य अलंकार शामिल हैं।

46 साल के लंबे अंतराल के बाद इन निधियों के आकलन के लिए 14 जुलाई को रत्न भंडार खोला गया। हालांकि, भीतरी द्वार का ताला तोड़कर खोले जाने के बाद इसे दोबारा दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया था।

गुरुवार को इसे दोबारा खोला जाएगा। रत्नों की गिनती के दौरान एक-एक कर खजाने की निधियों की जानकारी लोगों के सामने आएगी। बता दें कि रत्न भंडार की संपत्ति का लेखा-जोखा रखने के लिए रत्न-आभूषणों की समय-समय पर गिनती कर सूची तैयार की जाती है। हालांकि, श्रद्धा और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए इनकी कीमत का आकलन नहीं किया जाता है।

1978 में खजाने के रत्नों और आभूषणों की गिनती में 72 दिन लगे थे। इस बार अपेक्षाकृत कम समय लगने की उम्मीद है। 12वीं शताब्दी में बने भगवान जगन्नाथ के मंदिर में अलग-अलग समय में राजा-महाराजाओं और अन्य श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धापूर्वक चढ़ाए गए सोने-चांदी के आभूषण और मुद्राओं को रत्न भंडार में सुरक्षित रखा गया है। आक्रमणकारियों और लुटेरों ने खजाना लूटने के लिए कई बार मंदिर पर आक्रमण भी किए हैं। मुगल काल में भी कई बार मंदिर को लूटा गया।

रत्नभंडार खोलने का क्या है शुभ मुहूर्त 

रत्न भंडार कमेटी के मुताबिक, गुरुवार को खजाना खोलने का शुभ मुहूर्त सुबह 9.51 बजे से दोपहर 12.25 बजे तक है। इसी दौरान रत्नभंडार खोला जाएगा। इसके लिए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं।

एएसआइ की टीम मंदिर के विभिन्न कक्षों के साथ भंडार गृह की दीवारों की मजबूती का आकलन करेगी। इसके लिए खजाने को तात्कालिक रूप से खाली कर सभी आभूषणों को एक अस्थायी खजाने में रखा जाएगा।

सैकड़ों किलो वजन के आभूषण और रत्न

वर्ष 2018 में ओडिशा विधानसभा में राज्य के तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि 1978 में रत्न भंडार में करीब साढ़े 12 हजार भरी (लगभग 140 किलो) सोने के गहने थे। इन गहनों में कीमती पत्थर जड़े हुए थे। साथ ही 22 हजार भरी (लगभग 256 किलो) से कुछ ज्यादा के चांदी के बर्तन थे।

इसके अलावा भी गहने औऱ बर्तन खजाने में मौजूद थे, जिनका तब वजन नहीं किया गया था। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से हाई कोर्ट में दिए गए हलफनामे के अनुसार रत्न भंडार में तीन कक्ष हैं। 25 गुणा 40 वर्ग फुट के आंतरिक कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। इनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ।

बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है। इन्हें त्योहार व विशेष अवसरों पर निकाला जाता है। बाहरी कक्ष में तीन किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है। दैनिक अनुष्ठान के लिए इन्हीं का उपयोग होता है।

अंदरुनी भाग में भंडार के दो हिस्से

मंदिर के अंदरुनी भाग में स्थित रत्न भंडार के दो हिस्से हैं। एक बाहरी और एक भीतरी भंडार। बाहरी हिस्से को रथयात्रा समेत विभिन्न उत्सव-अनुष्ठान के अवसर पर खोला जाता है और आभूषण निकालकर भगवान के विग्रहों को सजाया जाता है। अंदरुनी हिस्से में अमूल्य निधियां हैं।

रत्नभंडार खोलने के लिए सरकार की ओर से बनाई गई समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ रथ के अनुसार, रत्नभंडार में आभूषणों के अलावा कीमती धातुओं की कई मूर्तियां भी हैं। इनमें कुछ छोटी तो कुछ बड़ी हैं।

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