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अब तक कितनी बार खोला गया जगन्नाथ मंदिर में रत्न भंडार, 1978 में मिले थे इतनी तरह के आभूषण; यहां पढ़ें पूरी जानकारी

रविवार को जगन्नाथ मंदिर में रत्न भंडार खोल दिया गया है लेकिन हम आपको बताने वाले हैं कि अब तक रत्न भंडार कितनी बार खोला जा चुका है। बता दें कि इससे पहले वर्ष 1978 में रत्न भंडार खोला गया था और इसके बाद साल 1982 में रत्न भंडार खोला गया था। साल 1978 में खोले गए रत्न भंडार में 747 तरह के आभूषण मिले थे।

By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sun, 14 Jul 2024 10:51 PM (IST)
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अब तक कई बार खोला जा चुका है रत्न भंडार (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, पुरी। How Many Timen Ratna Bhandar Opened Yet पुरी जगन्नाथ मंदिर में मौजूद चतुर्धा विग्रह के श्रृंगार के लिए जिस प्रकार से विशेष रूप से रत्न भंडार है, शायद ही अन्य किसी मंदिर में देवी देवताओं के लिए इस प्रकार रत्न भंडार होगा।

इस रत्न भंडार का रहस्य आज भी पूरी दुनिया में मौजूद जगन्नाथ के भक्तों के मन को आंदोलित करता है। इससे पहले 1978 में रत्न भंडार खोला गया था और रत्नों की मरम्मत की गई थी।

इसके बाद 1982 में रत्न भंडार तब केवल महाप्रभु के अलंकारों की मरम्मत करने के लिए खुला था। इस बीच 46 वर्ष बीत गया मगर रत्न भंडार नहीं खोला गया।

सोने चांदी का किया था हिसाब

तथ्य के मुताबिक 19 अगस्त 1978 को तत्कालीन श्रीमंदिर प्रशासक पी.रथ, राज्य कानून विभाग को रत्न भंडार के जांच से संबंधित एक पत्र (3125) दिए थे।

इसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि वर्ष 1960 श्रीमंदिर कानून के आधार पर 1962 तत्कालीन श्रीमंदिर के प्रशासक तिरुपति मंदिर के एक विशेषज्ञ दल के साथ श्रीमंदिर के अंदरूनी रत्न भंडार की स्थिति की जांच की थी। कितना सोना एवं चांदी है, उसका हिसाब किया था।

साल 1972 में से 1982 की कहानी

1967 में तत्कालीन प्रशासक आर.सी.शतपथी द्वारा रत्न भंडार की जांच का प्रयास किया गया था, मगर यह पूरा नहीं हुआ था। इस वर्ष कुछ आभूषण मरम्मत के लिए रत्न भंडार से निकाला गया था। 1969 में चंदन यात्रा के समय व्यवहृत महाप्रभु के विमान को सजाने के लिए रत्न भंडार से एक बैग टूटे-फूटे चांदी के आभूषण निकाले गए थे।

1972 एवं 1974 में महालक्ष्मी की नई मूर्ति तैयारी करने के लिए रत्न भंडार को खोलकर सोने का आभूषण लाया गया था। इसके बाद 1978 में रत्न भंडार की सम्पूर्ण जांच की गई और रत्न भंडार में रहने वाले सभी आभूषणों की सूची तैयार की गई। यह गिनती प्रक्रिया 13 मई 1978 से 23 जुलाई तक चली थी।

इसके बाद पूर्व सूची के साथ मिलान किया गया और सम्पूर्ण सूची बनायी गई। 26 दिसम्बर 1982 में राज्य सरकार के अनुमति पर अंदरूनी रत्न भंडार को खोलकर 3337 भरी 10 आना चांदी निकाली गई थी। अंतिम बार 14 जुलाई 1985 बलभद्र जी के चिता मरम्मत के लिए अंदरूनी रत्न भंडार से कुछ सोना निकाला गया था।

ये लोग थे उपस्थित

उस समय कानून विभाग की तरफ से विश्वनाथ मिश्र, जिलाधीश प्रतिनिधि के तौर पर मदन मोहन नंद, एसपी प्रतिनिधि के तौर पर डीएसपी पद्मचरण मिश्र, श्रीमंदिर प्रशासक गुरू प्रसाद महांति, नरसिंह दासमहापात्र, श्रीमंदिर प्रशासक रवीन्द्र नारायण मिश्र, पूर्ण चन्द्र साहू, मधुसूदन महापात्र, कैलाश चन्द्र महांति, लक्ष्मी नारायण पटनायक एवं राधा मोहन राउतराय प्रमुख उपस्थित थे।

प्रति तीन वर्ष में श्रीमंदिर रत्न भंडार खोलकर जांच करने का नियम है, परन्तु 1985 के बाद से बिल्कुल ही रत्न भंडार नहीं खोला गया। आखिरी बार 4 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट के आदेश पर रत्न भंडार खोलने का प्रयास किया गया था। हालांकि तब रत्न भंडार को खोला नहीं जा सका था।

कितने रत्नों की हुई थी गिनती

सोमवार को पुरी जगन्नाथ मंदिर में रत्न भंडार को खोला गया। लेकिन जब पिछली बार साल 1978 में रत्न भंडार खोला गया था, तो इसमें कई चीजें देखी गई थीं।

उस दौरान तैयार की गई एक विस्तृत सूची के अनुसार जब महाप्रभु के गहनों की गिनती की गई थी, तो सूची का विस्तृत विवरण तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से सत्यवादी सरकारी प्रेस में छपा था।

1978 की गिनती सूची के मुताबिक 747 प्रकार के मिले थे रत्न

इस आंकड़े के अनुसार 1978 में हुई गणना के बाद भगवान के आभूषणों में 747 प्रकार के रत्न मिले थे।इसमें 12,838 भरी सोना और 22 हजार 153 भरी चांदी थी।

दैनिक उपयोग के लिए आंतरिक आभूषणों में 367 प्रकार की 4,364 भरी, बाहरी आभूषणों में 79 प्रकार की 8 हजार 175 भरी और वर्तमान भंडार में 8 प्रकार के 299 भरी सोने के आभूषण थे।

इसी तरह भीतर रत्न भंडार में 231 प्रकार के 14,878 भरी, बाहरी रत्न भंडार में 39 प्रकार की 4,671 भरी और दैनिक नीति के लिए बाहरी रत्न भंडार में 23 प्रकार के 2,603 ग्राम चांदी के आभूषण थे।

कई आभूषणों की नहीं हो पाई थी गिनती

विभिन्न कारणों से कुछ आभूषणों का गिनती नहीं हो पायी थी। विभिन्न कारणों से, 14 सोने और चांदी की वस्तुओं, कई टूटे हुए मुकुट, रत्न, आदि को सूचीबद्ध नहीं किया गया था। बाद में 26 दिसंबर 1982 को राज्य सरकार की अनुमति से भीतर रत्न भंडार खोलकर 3,337 भरी 10 आना चांदी के गहने निकाले गए थे।

अंतिम बार 14 जुलाई 1985 को बलभद्र जी के प्रयोग में आने वाले आभूषण को मरममत करने के लिए भीतर रत्न भंडार खोल कर कुछ सोने के आभूषण निकाले गए थे। चूंकि बलभद्र जी चिता उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं थी।

इसलिए ओडिशा सरकार के विधि विभाग के पत्र संख्या 8767/12.7.1985 के आधार पर रत्न भंडार खोलकर सोना लाया गया था। इसके बाद पहले की तरह से ताला लगाकर बंद कर दिया गया था।

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