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Exclusive Interview: जस्टिस बिश्वानाथ रथ बोले- रत्न भंडार ना खुले, इसके लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र

Justice Biswanath Rath Interview 46 सालों बाद पुरी जगन्नाथ मंदिर में रत्न भंडार खुल चुका है। इसी क्रम में रत्न भंडार जांच कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस विश्वनाथ रथ ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कई बातों का खुलासा किया। जस्टिस रथ ने कहा कि रत्न भंडार न खुले इसको लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें भी फैलाई गईं।

By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sun, 28 Jul 2024 04:35 PM (IST)
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रत्न भंडार को लेकर जस्टिस बिश्वनाथ रथ ने दैनिक जागरण से की खास बातचीत
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। Puri Jagannath Temple Ratna Bhandar पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार ना खुले, इसके पीछे एक बहुत बड़ा षडयंत्र रचा गया था। इस षडयंत्र को सफल बनाने के लिए इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलायी गई थीं।

कोई कहता था रत्न भंडार के अंदर नाग देवता हैं, जो रखवाली करते हैं। जो रत्न भंडार खोलेगा उसका अनिष्ट हो जाएगा। 2018 में इस अफवाह को प्रमाणित करने की भी कोशिश की गई, जो हर कोई जानता है।

उक्त बातें दैनिक जागरण से विशेष बात करते हुए रत्न भंडार जांच कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस बिश्वनाथ रथ ने कही है। दैनिक जागरण से बात करते हुए जस्टिस रथ ने कहा है कि गौर करने वाली बात है कि रत्न भंडार की जिस चाबी को ट्रेजरी में होनी चाहिए वह जिलाधीश के ड्रावर में कैसे पहुंची।

फिर भी उस चाबी से ताला खोलने का प्रयास करना चाहिए, मगर नहीं किया गया। अगर प्रयास किया गया और ताला नहीं खुला तो ताला तोड़कर निगरानी करनी चाहिए थी, मगर नहीं किया गया। इससे स्पष्ट हो रहा है पिछली सरकार ने रत्न भंडार खोलने की आंतरिकता नहीं दिखाई। मेरा मानना है कि रत्न भंडार ना खुले, इसके पीछे एक बहुत बड़ा षडयंत्र हो सकता है।

नई सरकार के महाप्रभु के प्रति इरादे नेक, पर अभी है शैशव अवस्था

ओडिशा की नई सरकार के महाप्रभु एवं महाप्रभु के रत्न भंडार के प्रति इरादे नेक हैं। हालांकि सरकार अभी शैशव अवस्था में है, क्योंकि अभी जल्द ही में नई सरकार का गठन हुआ है। बावजूद इसके सरकार ने इसी दौरान अपने वादे के अनुसार रत्न भंडार को खुलवा दिया है।

पहले चरण में उन्होंने मंदिर के चारों द्वार खुलवाए और अब रत्न भंडार।सरकार आगे का कार्य कर रही है। रत्न भंडार का मरम्मत का कार्य खत्म होने के बाद सरकार के निर्देशानुसार सूची के अनुसार आभूषणों का मिलान व गिनती का कार्य किया जाएगा।

नियमानुसार ट्रेजरी में होनी चाहिए रत्न भंडार की चाबी

जस्टिस रथ ने कहा कि पुरी जगन्नाथ मंदिर के 1960 में बने नियम-6 के अनुसार आंतरिक रत्न भंडार की चाबी को ट्रेजरी में रहनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर सरकार से अनुमति लेकर मंदिर के मुख्य प्रशासक के आदेश पर कलेक्टर चाबी लाकर देगा।

1978, 1982 और 1985 में रत्न भंडार खोला गया था। 1985 में कुछ सोने चांदी की जरूरत थी, उस समय 4000 भरी चांदी (50 आइटम) रत्न भंडार से निकाली गई थी। 1985 के बाद से रत्न भंडार खुला ही नहीं तो फिर चाबी कहां गई। इतना ही नहीं 1978 के बाद से जो भी दान या चढ़ावा महाप्रभु को आता है, उसे रत्न भंडार में रखा ही नहीं गया।

उसे अलग से सरकारी ट्रेजरी में रखा जाता है। जस्टिस रथ ने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति के घर की चाबी गायब हो जाती है, परन्तु घर के आलमारी की चाबी मां की अंटी में रहती है तो उसे गायब होने का सवाल ही नहीं है।

रत्न भंडार की चाबी जब ट्रेजरी में थी वह कैसे गायब हो गई। जस्टिस रथ ने कहा कि 1978 में बनाई गई आभूषणों की रिपोर्ट, गहनों की सूची ट्रेजरी में रहनी चाहिए, ट्रेजरी में रहने वाली सूची है तो फिर चाबी कहां गई।

रत्न भंडार के अंदर खुली अलमारी, संदूक में रखा था कीमती सामान

जस्टिस बिश्वनाथ रथ ने खुलासा किया कि रत्न भंडार के अंदर एक लकड़ी की अलमारी बंद थी।हालांकि दो अन्य लकड़ी की अलमारियों में ताले का प्रावधान था, लेकिन ताले की स्थिति उचित नहीं थी।एक अन्य लोहे के संदूक में दो ताले लगे थे लेकिन एक ताला खुला था।

लकड़ी के दो संदूकों में ताले नहीं थे।1978 में, तत्कालीन सीएम, राज्यपाल और अन्य सहित प्रमुख हस्तियां रत्न भंडार के अंदर गईं थीं।मैं विश्वास नहीं कर सकता कि उन्होंने इन्वेंटरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ताले खुले छोड़ दिए होंगे।

स्कैनिंग कर अंदर खजाने के बारे में लगाया जाएगा पता

जस्टिस रथ ने कहा कि मंदिर के आंतरिक खजाने होने की बात कही जा रही है। हालांकि हमने अपनी आंखों से जो देखा, ऐसा कुछ नजर नहीं आया। अब स्कैनिंग करने के बाद आंतरिक रत्न भंडार के अंदर और खजाने हैं या नहीं उसके बारे में पता लगाया जाएगा।

घर में अखंड दीप जलाकर बैठा था पूरा परिवार

जस्टिस रथ ने कहा कि पहले से इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जो अफवाहें फैलायी गई थी, उसको लेकर मेरे मन में तो तनिक भी भय नहीं थी क्योंकि मैं नेक इरादे से प्रभु के काम के लिए अंदर जा रहा था। पूरी टीम में सबसे आगे मैं ही था। मंदिर में प्रवेश करते ही हमने दीप जलाए और वंदापना किए।इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की गई।

हालांकि मेरा पूरा परिवार घर में अखंड दीप जलाकर जगन्नाथ भगवान की मूर्ति के सामने बैठा हुआ था प्रार्थना कर रहा था कि मैं सकुशल बाहर आ जाएं।मेरी पत्नी तो उपवास कर रखी थी। तब तक चाय तक नहीं पीया, जब तक कि मैं बाहर ना आ जाऊं।

भाई एवं बहू भी उपवास में रहे। इतना ही नहीं मुझे जो खबर मिली है प्रदेश के हजारों लोग अपने अपने घरों में दीप जलाकर पूजा कर रहे थे, कि महाप्रभु की कृपा से सब ठीक हो जाए।मेरे एक भाई को कैंसर है, जिसका दिल्ली में आपरेशन उसी दिन चल रहा था।

रात 9 बजे अचानक आया फोन, सीएम ने आपके नाम की सिफारिश कर दी है

जस्टिस रथ ने कहा कि भगवान जगन्नाथ जी के रत्न भंडार खोलने की चर्चा चल रही थी।तत्कालीन रत्न भंडार जांच कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस पशायत भी यहां पहुंच गए थे। परन्तु प्रभु यह सेवा का अवसर मुझे देना चाहते थे, मेरी भक्ति को प्रभु ने स्वीकार किया और इस नेक कार्य माध्यम मुझे बनाया।

जस्टिस रथ ने बताया कि उसी दिन रात करीबन 9 बजे अचानक एक फोन आया कि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पुरानी कमेटी को भंग कर दी है और नई कमेटी के अध्ययक्ष के तौर पर आपका नाम सिफारिश कर दी है।

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