Puri Rath Yatra 2024: स्वस्थ हुए महाप्रभु जगन्नाथ, 53 सालों बाद नेत्र उत्सव और रथयात्रा एक ही दिन
Puri Rath Yatra महाप्रभु जगन्नाथ काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। 7 जुलाई को पुरी में रथ यात्रा निकाली जानी है। इसमें 53 सालों बाद एक खास नजारा देखने को मिलेगा। नेत्र उत्सव और रथयात्रा एक ही दिन होने वाला है। 53 साल पहले इस तरह का संयोग देखने को मिला था।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। 53 वर्षों बाद महाप्रभु का नेत्र उत्सव और रथयात्रा एक ही दिन यानि 7 जुलाई को होगा। महाप्रभु के स्वस्थ होते ही विश्व प्रसिद्ध महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा की पुरी मंदिर में तैयारी चरम पर है।
मालूम हो कि 22 जून को देव स्नान पूर्णिमा के दिन भक्तों ने पुरी में महाप्रभु भगवान श्री जगन्नाथ को 108 घड़ों के जल से स्नान कराया था। इस परंपरा के बाद महाप्रभु को बुखार आ गया था। बीमार होने के बाद वह अणसर (बुखार घर) में चले गए। वहां पर उनका इलाज चल रहा था।
महाप्रभु के बीमार होने के बाद घर में चले जाने के बाद पुरी मंदिर का पट नहीं खुल रहा था। भगवान को महाप्रसाद का भोग नहीं लग रहा था। सेवक भगवान का जड़ी-बूटियों से इलाज कर रहे थे। इलाज और सेवा के बाद त्रयोदशी तिथि (गुरुवार) को महाप्रभु स्वस्थ हो गए।
खली प्रसाद मंदिर में लाया गया
इस मौके पर श्रीजिउ की घना एवं खली प्रसाद लागी नीति (महाप्रभु के शरीर में दिव्य लेप लगाना) संपन्न की गई। शुद्ध सुआर (सेवक) के घर से घंट, छाता, काहाली के साथ खली प्रसाद मंदिर में लाया गया। शुद्ध सुआर द्वारा बनाए गए इस दिव्य लेप को चांदी के बर्तन में रखा गया और दइतापति सेवक ने इसे भगवान के शरीर में लगाया।
खली लागी नीति से पहले प्रभु की घणा लागी गुप्त नीति संपन्न की गई। इससे पहले नए विग्रह की गुप्त सेवा में दइता और पतिमहापात्र सेवक एक विशेष नीति के तहत लाल रंग का वस्त्र प्रभु के ऊपर चढ़ाया गया। नवयौवन दर्शन से पहले देर रात को श्रीविग्रहों के श्रीअंग में आखिरी बार खली लगाई गई।
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