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Rajya Sabha Election: ओडिशा BJP के साथ हो गया खेला, राज्यसभा की 1 सीट पर दो नेताओं ने कर दिया नामांकन

Rajya Sabha Election 2024 राज्यसभा चुनाव में भाजपा अपने किस उम्मीदवार को समर्थन देगी इस पर सस्पेंस बरकरार है।भाजपा की ओर से ममता महंत को उम्मीदवार बनाया गया है जबकि भाजपा नेता जगन्नाथ प्रधान ने भाजपा विधायकों के समर्थन से निर्दलीय नामांकन कर अपनी दावेदारी ठोक दी है। ऐसे में एक ही पार्टी से दो-दो नेताओं के राज्यसभा के लिए नामांकन करने से प्रदेश में बयानबाजी तेज हो गई है।

By Sheshnath Rai Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Fri, 23 Aug 2024 12:00 PM (IST)
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ओडिशा में राज्यसभा चुनाव में सस्पेंस बरकरार (जागरण)

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। Rajya Sabha Election Odisha: ओडिशा में भाजपा के सामने धर्मसंकट वाली स्थिति पैदा हो गई है। राज्यसभा चुनाव में भाजपा अपने किस उम्मीदवार को समर्थन देगी इस पर सस्पेंस बरकरार  है। भाजपा की ओर से ममता महंत को उम्मीदवार बनाया गया है, जबकि भाजपा नेता जगन्नाथ प्रधान ने भाजपा विधायकों के समर्थन से निर्दलीय नामांकन कर अपनी दावेदारी ठोक दी है।

ऐसे में एक ही पार्टी से दो-दो नेताओं के राज्यसभा के लिए नामांकन करने से प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। विपक्षी दल बीजू जनता दल और कांग्रेस ने निशाना भाजपा पर निशाना साधा है।

बीजद ने कहा है कि एक तरफ जहां राज्य सरकार के मंत्री दुसरे विभागों को लेकर भ्रामक टिप्पणियां कर रहे हैं तो वहीं दुसरी तरफ एक सीट के लिए दो-दो लोग नामांकन कर रहे हैं।बीजद ने कहा है कि भाजपा क्या अपने दुसरे उम्मीदवार के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस दिखाएगी।उसी तरह कांग्रेस ने भी भाजपा के रवैये की आलोचना की है।

भाजपा का डमी कैंडिडेट कौन है? ममता या जगन्नाथ?

भ्रम की स्थिति इसलिए पैदा हो रही है क्योंकि अगर ममता राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी की उम्मीदवार हैं तो निर्दलीय उम्मीदवार जगन्नाथ प्रधान के पास अभी भी 10 बीजेपी विधायकों के हस्ताक्षर हैं। जहां ममता ने बीजद को छोड़ भाजपा में शामिल हुई हैं, वहीं जगन्नाथ पुराने बीजेपी नेता हैं।क्या पार्टी अपने पुराने बीजेपी नेता को डमी के रूप में इस्तेमाल करेगी या क्रॉस वोटिंग में ममता को हराने की बीजेपी की साजिश है?

बीजद ने कहा है कि लगता है कि बीजेपी को अपने उम्मीदवार पर भरोसा नहीं है।जिन विधायकों के समर्थन से जगन्नाथ ने नामांकन दाखिल किया, क्या उन्हें पार्टी की अनुमति मिली थी? बीजद ने कहा है कि यदि जगन्नाथ प्रधान ने पार्टी का अनुशासन भंग किया तो फिर जगन्नाथ एवं उनके समर्थन में रहने वाले 10 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने की साहस दिखाए।

भाजपा में भरोसे की कमी

बीजद ने कहा है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि दूसरे उम्मीदवार ने क्यों नामांकन भरा है। बीजद ने कहा है कि इससे स्पष्ट हो रहा है कि भाजपा में विश्वास एवं भरोसे की कमी है।वहीं जगन्नाथ प्रधान को विधानसभा में देखा गया है। माना जा रहा है कि वह अपने समर्थन में वोट करने के लिए विधायकों से मिलने आए थे। क्योंकि जगन्नाथ प्रधान ने कहा है कि यह नई सरकार की नई रणनीति है। हालांकि उन्होंने यह नहीं कहा है कि वह चुनाव मैदान में बने रहेंगे या अपना नामांकन पत्र वापस लेंगे।

भाजपा के इस राजनीतिक घटनाक्रम पर केवल बीजद या राज्य के लोग ही नहीं बल्कि भाजपा विधायक भी जगन्नाथ एवं ममता को लेकर द्वंद में हैं।इन दोनों में से कौन असली है और कौन डमी उम्मीदवार है, यह भाजपा विधायकों को भी नहीं पता है। जगन्नाथ प्रधान के समर्थक भाजपा विधायक लक्ष्मण बाग ने भी कहा है कि दो-दो भाजपा विधायक की उम्मीदवारी की बात मुझे भी समझ में नहीं आ रही है।

भाजपा में गुटबाजी हो रही

वहीं कग्रेस ने कहा है कि बीजेपी के दो नेताओं के नामांकन से पता चल रहा है कि पार्टी के अंदर गुटबाजी शुरू हो गई है।पुराने भाजपा नेता आयातीत नेताओं को बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं।कांग्रेस ने कहा है कि जिस तरह मंत्रियों के बयान में तालमेल नहीं रह रहा है उसी तरह से बीजेपी नेताओं में भी सामंजस्य की कमी है।

यहां उल्लेखनीय है कि ममता महंत बाहर से आयी और उन्हें टिकट मिल गया। हालांकि लम्बे समय के संघर्ष के बाद सत्ता में आयी भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ता पद-पदवी के आशा में हैं। यदि ममता को हार जाती हैं तो फिर वह किधर की नहीं रहेंगी।

वहीं दुसरी तरफ जगन्नाथ भाजपा डमी उम्मीदवार बनाती है तो फिर वह चुनाव से अपना नाम वापस तो ले लेंगे परन्तु उनकी राजनीति के लिए यह सख्त धक्का होगा। बाहर से आने वाली नेता को प्राथमिकता एवं पार्टी के नेता की अनदेखी करना सगंठन पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।

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