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Odisha News : पारादीप में कोकीन के साथ पकड़ा गया जहाज सीज, इंडोनेशिया से स्टील प्लेट लेने आया था भारत

ओडिशा के पारादीप में कोकीन के साथ पकड़ा गया जहाज सीज कर दिया गया है। ओडिशा उच्च न्यायालय ने इस जहाज को सीज करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने पारादीप बंदरगाह पर बर्थ किराया और अन्य शुल्क वसूलने के मुद्दे पर पारादीप इंटरनेशनल कार्गो प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद निर्देश दिया है। करीब 8 करोड़ वसूलने के लिए मामला दर्ज किया गया था।

By Jagran News Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sat, 24 Feb 2024 08:40 PM (IST)
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पारादीप में कोकीन के साथ पकड़ा गया जहाज सीज।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पारादीप में कोकीन के साथ पकड़ा गया एमवी देवी जहाज को सीज कर दिया गया है। इस जहाज को सीज करने का निर्देश ओडिशा उच्च न्यायालय ने दिया है।

उच्च न्यायालय ने पारादीप बंदरगाह पर बर्थ किराया और अन्य शुल्क वसूलने के मुद्दे पर पारादीप इंटरनेशनल कार्गो प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद निर्देश दिया है।

सात करोड़ 95 लाख 47 हजार 170 रुपये वसूलने के लिए मामला दर्ज किया गया था। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी नरसिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया है।

उल्लेखनीय है कि पारादीप बंदरगाह पर पहुंचे एमवी देवी जहाज से 30 नवंबर को 220 करोड़ रुपये का कोकीन जब्त किया गया था। तभी से इस जहाज को चालक दल के 21 सदस्यों के साथ पारादीप में हिरासत में रखा गया है।

जहाज वियतनाम का है और इंडोनेशिया से पारादीप में स्टील प्लेट लेने के लिए आया था। उच्च न्यायालय ने अंतरिम याचिका की सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश दिया है। इस संबंध में समुद्री विवाद से संबंधित मूल मामले की सुनवाई सात मार्च को होनी है।

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एम्स भुवनेश्वर में पहली बार दान की गई मृत शरीर से निकाला गया अंग

एम्स भुवनेश्वर में प्रत्यारोपण सेवाओं को जारी रखते हुए, राष्ट्रीय संस्थान ने मृत दाता से अंग प्राप्त करने में एक और मील का पत्थर हासिल किया है। पहली बार एम्स भुवनेश्वर के सर्जनों ने एक 14 वर्षीय लड़की का लीवर निकाला, जिसे आईसीयू में ब्रेन स्टेम डेथ घोषित कर दिया गया था।

अंग को आईएलबीएस, नई दिल्ली ले जाया गया। इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था की गई. बहादुर माता-पिता बनिता और दुखबंधु महंत की बेटी, जो मूल रूप से केंदुझर जिले की रहने वाली हैं और वर्तमान में भुवनेश्वर में रहती हैं, क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित थीं और पिछले कुछ महीनों से डायलिसिस पर थीं।

हाल ही में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ और उन्हें 15 फरवरी को एम्स भुवनेश्वर के मेडिसिन विभाग में भर्ती कराया गया। इसके बाद वह कोमा में चली गईं और वेंटिलेटर पर थीं। सुधार के कोई लक्षण नहीं दिखने पर, एपनिया परीक्षण की श्रृंखला करने के बाद एम्स भुवनेश्वर की विशेषज्ञ समिति द्वारा बच्ची को ब्रेन स्टेम डेथ घोषित कर दिया गया।

इस अपूरणीय क्षति को जानकर, बच्ची के बहादुर माता-पिता मानवता की उच्चतम डिग्री दिखाने के लिए आगे आए और किसी अन्य व्यक्ति की जान बचाने के लिए अपनी बेटी के अंगों को दान करने की सहमति दी। ब्रेन स्टेम की मृत्यु की घोषणा के बाद विशेषज्ञ सर्जनों ने उसका लीवर पुनः प्राप्त कर लिया।

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