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क्या है 'सिम बॉक्स क्राइम' नेटवर्क? जिसकी जानकारी जुटाने रांची निकली पुलिस, ओडिशा से लेकर झारखंड तक मिला लिंक

ओडिशा में सिम बॉक्स क्राइम नेटवर्क काफी बढ़ रहा है लेकिन अब इसके तार झारखंड तक भी पहुंच गए हैं। इसकी शुरुआत बांग्लादेश से होकर पश्चिम बंगाल होते हुए ओडिशा तक पहुंची। सिम बॉक्स क्राइम के मास्टरमाइंड बांग्लादेशी रिंग मास्टर आशादूर जमान पश्चिम बंगाल के राजू मंडल हैं। इस संबध में अधिक जानकारी जुटाने क लिए ओडिशा पुलिस रांची रवाना हो चुकी है।

By Sheshnath Rai Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Tue, 20 Aug 2024 07:19 PM (IST)
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भुवनेश्वर और कटक से लेकर रांची तक जुड़े सिम बाक्स नेटवर्क के तार

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। सिम बॉक्स क्राइम नेटवर्क का तार बढ़ते जा रहा है। इसमें एक के बाद एक राज्य से तार जुड़ रहे हैं। पिछले तीन दिन की छानबीन में पहले भुवनेश्वर इसके बाद कटक एवं फिर अब झारखंड लिंक मिला है।

झारखंड के रांची में भी सिम बॉक्स सेटअप होने की बात पता चली है। अर्थात बांग्लादेश से वाय पश्चिम बंगाल होते हुए ओडिशा से झारखंड तक इसका नेटवर्क फैला हुआ है। बांग्लादेशी रिंग मास्टर आशादूर जमान पश्चिम बंगाल के राजू मंडल को मिलाकर सिम बॉक्स का आपराधिक नेटवर्क बनाया था।

5 दिन की रिमांड में रहने वाले राजू से यह तथ्य मिलने के बाद ओडिशा की कमिश्नरेट पुलिस रांची के लिए को हुई है। हालांकि झारखंड में एजेंट कौन है, इस तथ्य को पुलिस ने फिलहाल गोपनीय रखा है।

सिम बॉक्स पर पुलिस ने क्या कहा?

पुलिस आयुक्त संजीव पंडा ने कहा है कि सिम बॉक्स क्राइम में बंगीय एजेंट तथा उत्तर चौबीस परगना के राजू मंडल भुवनेश्वर एवं कोलकाता से सामान लेकर बांग्लादेश में व्यवसाय करते थे। इसके बीच इनका संपर्क मास्टर माइंट आशादूर से हुआ और फिर ये लोग सिम बॉक्स के जाल में फंस गए।

डील के बाद वैध भिसा में पिछले अक्टूबर महीने में अगरतल्ला होते हुए आशादूर भारत आया था। इसके बाद दिसम्बर महीने में कटक एवं भुवनेश्वर आकर राजू के नाम से घर किराये पर लिया और फिर इसने सिम बॉक्स नेटवर्क स्थापित किया।

भुवनेश्वर आने के दौरान आशादूर लिंगराज होटल में रहता था। राजू ने इसकी जानकारी पुलिस को दी है। पुलिस ने होटल में छानबीन किया है। हालांकि पुलिस को होटल से कुछ तथ्य नहीं मिला है। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या आशादूर फर्जी दश्तावेज देकर रहता था।

क्या कहता है सराई एक्ट?

सराई एक्ट कहता है कि कोई भी विदेशी नागरिक भारत में आने के बाद यदि होटल में रहता है या यात्री निवास में रहता है तो फार्म सी के अनुसार पुलिस को विस्तृत जानकारी देनी होगी। ऐसे में किस आधार पर विदेशी नागरिक होते हुए भी बांग्लादेश का आशादूर यह रहता था।

उसकी तरह और कुछ बांग्लादेशी भुवनेश्वर में रह रहे हैं क्या, इसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। पुलिस लाज की बुक सीज के साथ सीसीटीवी फुटेज लेकर जांच कर रही है। बांग्लादेश से पाकिस्तान, चीन से मध्य एशिया तक टेलीफोनिक कॉल के साथ यह सिम बॉक्स रैकेट जुड़ा हुआ है।

ये लोग किस प्रकार से नंबर ले रहे थे, सिम बॉक्स क्राइम के लिए एजेंट को लालच देने में कौन-कौन लोग शामिल हैं, 5 दिन की रिमाण्ड पर रहने वाले बंगाली एजेंट राजू से पुलिस सच्चाई सामने ला रही है। भुवनेश्वर एवं कटक से कुल 12 सिम बॉक्स जब्त किए गए हैं। अब झारखंड से क्या तथ्य मिलते हैं, उस पर सबकी नजरें टिकी हैं।

क्या है सिम बॉक्स क्राइम

पुलिस सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक सिम बॉक्स एक ऐसा उपकरण है, जिसके जरिए राउटर या अन्य उपकरण लगाकर किसी का भी कॉल डायवर्ट की जा सकती है। इतना ही नहीं सिम बॉक्स में एक साथ कई सिम डाली जा सकती हैं।

एक सिम बॉक्स के जरिए एक साथ एक ही क्लिक में एक हजार संदेश भेजे जा सकते हैं, जिसका उपयोग किसी भी प्रकार की आपराधिक साजिश या उन्माद में किया जा सकता है। इसी तरह भारतीय अर्थ व्यवस्था को बर्बाद करने में इस सिम बॉक्स का उपयोग किया जा रहा था।

क्योंकि इंटरनेशनल फोन कॉल की कीमत आज के समय में प्रति मिनट 4 से 4:30 रुपये है, उसे ये लोग इस सिम बॉक्स के जरिए मात्र 80 पैसे में मुहैया करा रहे थे। इससे ग्राहक को भी फायदा होता था और ये लोग भी मुनाफा कमा रहे थे।

भारत सरकार और फोन कंपनियों को पहुंचता है नुकसान

वहीं, इससे भारत सरकार एवं फोन कंपनियों को नुकसान पहुंचता था। इसके जरिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपराधिक संपर्क बनाने में भी सहूलियत होती, क्योंकि इनके फोन कॉल करने से किसी भी प्रकार विवरण पीछे नहीं छुटता था।

मान लिजिए किसी को बांग्लादेश या पाकिस्तान, चाइना में फोन करना है या किसी का फोन वहां से आता था तो ये लोग यहां से लोकल सिम के माध्यम से ग्राहक तक डाइवर्ट करते थे।

इससे कॉल रिकार्ड या कॉल का विवरण किसी को नहीं मिलता था। एक सिमबॉक्स में कम से कम 256 सिम डाल सकते हैं। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इनके मुनाफे का लेन देन भारत-बांग्लादेश के बार्डर पर होता था।

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