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Odisha: समाज ने मह‍ि‍ला से तोड़ दिया था नाता, अंतिम समय में भी नहीं आए; साइकिल ठेले पर लादकर भतीजे ने किया दाह संस्कार

सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रही महिला को मरने के बाद भी इससे मुक्ति नहीं मिली। लोगों ने जब अंतिम संस्कार के लिए कंधा नहीं दिया तो भतीजे को चाची के शव को ठेले पर लादकर कर अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ा। इस तरह की शर्मशार करने वाली घटना संबलपुर जिले के कुचिंडा अनुमंडल अंतर्गत कुचिंडा नगरपालिका के वार्ड पांच के बड़पड़ा की है।

By Kamal Kumar Biswas Edited By: Prateek Jain Updated: Mon, 19 Feb 2024 08:47 PM (IST)
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साइकिल ठेले पर लादकर भतीजे ने किया मह‍िला का दाह संस्कार।

जागरण संवाददाता, राउरकेला/भुवनेश्‍वर। सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रही महिला को मरने के बाद भी इससे मुक्ति नहीं मिली। लोगों ने जब अंतिम संस्कार के लिए कंधा नहीं दिया तो भतीजे को चाची के शव को ठेले पर लादकर कर अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ा।

इस तरह की शर्मशार करने वाली घटना संबलपुर जिले के कुचिंडा अनुमंडल अंतर्गत कुचिंडा नगरपालिका के वार्ड पांच के बड़पड़ा की है। यहां रहने वाली 70 वर्षीय गोमती छतरिया का सोमवार को निधन हो गया।

समाज की नहीं बदली सोच

सामाजिक हुक्का-पानी बंद होने के कारण गोमती के मौत के बाद उसके नाते रिश्तेदार और समाज के लोग अंतिम संस्कार करने नही पहुंचे, लेकिन उसके दूर के एक भतीजे सुशांत छतरिया को जब इसकी जानकारी हुई तो वह अपनी चाची को कंधा देने पहुंचा था।

उसने अपनी चाची गोमती को ठेले में लाद कर अंतिम संस्कार के लिए घाट ले गया। गोमती की सात बेटियां है। बेटी और दामाद मौके पर पहुंचे और सुशांत के सहयोग से अंतिम संस्कार किया था। गोमती की सभी बेटियों ने दूसरी जाति‍ के लड़कों से शादी की थी, जिसके कारण नाराज चल रहे लोगों ने गोमती का हुक्का-पानी बंद कर उसका बहिष्कार किया था।

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