कौन हैं नीलिमा साहनी, जिन्होंने देश के भविष्य को संवारने में लगा दी जिंदगी; मर कर दे गईं कई लोगों को जीवनदान
जिदंगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो न केवल जीते जी समाज का भला करते हैं बल्कि कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे लोग उन्हें सदियों तक याद रखते हैं। कुछ ऐसी ही हैं शिक्षिका सुश्री नीलिमा साहनी। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी बच्चों को पढ़ाने में लगा दी और मरने के बाद अपना अंगदान किया। उनका पार्थिव शरीर अस्पताल को सौंप दिया गया।
संवाद सूत्र, संबलपुर। स्थानीय फाटक निकटस्थ पंडित लक्ष्मीनारायण मिश्र लेन में रहने वाली शिक्षिका नीलिमा साहनी के निधन के बाद उनकी इच्छा के अनुसार उनका संपूर्ण शरीर बुर्ला स्थित वीर सुरेंद्र साय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च संस्थान के एनाटॉमी विभाग को सौंप दिया गया।
साल 2021 में लिया था अंगदान का फैसला
बताया गया है कि अविवाहित शिक्षिका नीलिमा साहनी ने 19 मार्च, 2021 के दिन रक्तदान और शरीरदान को लेकर अभियान चलाने वाले स्वेच्छासेवी संगठन उत्सर्ग को अपना संपूर्ण शरीर बुर्ला हॉस्पिटल को दान करने का कानूनी इच्छापत्र सौंपा था।
बच्चों को पढ़ाने में लगा दी अपनी पूरी जिंदगी
सुश्री नीलिमा ने स्थानीय फाटक स्थित सिद्धेश्वरवेर्णा शिशुमंदिर में एक शिक्षिका के रुप में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उनकी इच्छा के अनरुप उनका पार्थिव शरीर मंगलवार के अपरान्ह बुर्ला हॉस्पिटल के एनाटॉमी विभाग को सौंप दिया गया।
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अंगदान है सर्वोच्च बलिदान
उत्सर्ग संगठन की ओर से सुश्री नीलिमा के इस संपूर्ण अंगदान को सर्वोच्च बलिदान बताने समेत उनके परिवार के सदस्यों के सहयोग को सलाम किया है।
एनाटॉमी विभाग को सुश्री नीलिमा का पार्थिव शरीर सौंपने की प्रक्रिया के दौरान उत्सर्ग के रजनी नाग और मृत्युंजय साहानी उपस्थित रहे।
संगठन के डॉ.विजय प्रधान ने बताया है कि अंगदान अभियान से प्रेरित होकर अब तक 175 पुरुष और महिलाओं ने उत्सर्ग के मध्यम से अपना संपूर्ण शरीर एनाटॉमी विभाग को दान कर चुके हैं।
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