ओडिशा में आसमानी बिजली गिरने से 5 साल में 1500 ने गंवाई जान, मोहन सरकार ने बना लिया ये मास्टर प्लान
ओडिशा में पिछले पांच साल 1500 लोगों ने वज्रपात के कारण अपनी जान गंवाई है और इस साल भी 19 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अब वज्रपात से हो रही लोगों को मौत से बचाने के लिए ओडिशा सरकार ने प्लान बना लिया है। ओडिशा सरकार ने अपना पारंपरिक फैसले का अपनाते हुए इस साल राज्य में 19 लाख ताड़ के पेड़ लगाने का फैसला लिया है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा में गांव हो या शहर, हर महीने वज्रपात गिरने से लोगों की जान जा रही है। लगातार वज्रपात से लोगों की हो रही मृत्यु के आंकड़ों ने सरकार को झकझोर कर रख दिया है।
राज्य सरकार ने वज्रपात गिरने से बचने के लिए पारंपरिक तरीके अपनाने का फैसला किया है। अब तय किया गया है कि प्रदेशभर में ताड़ के पेड़ लगाए जाएंगे।
सितंबर 2023 में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में ताड़ के पेड़ लगाने का निर्णय लिया गया था।इस साल वन विभाग इसे लागू करने पर आमादा है।
19 लाख ताड़ के लगेंगे पेड़
पहले चरण में वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य में 19 लाख ताड़ के पेड़ लगाए जाएंगे क्योंकि बारिश का मौसम शुरू हो चुका है। भुवनेश्वर, कटक, बालेश्वर, भद्रक जैसे शहरों सहित तटीय ओडिशा में बड़ी संख्या में ताड़ के पेड़ लगाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है।
दो दिन पहले प्रधान मुख्य वन संरक्षक की अध्यक्षता में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सभी वन क्षेत्र इकाइयों और विशेषज्ञों ने भाग लिया और ताड़ के पेड़ों के लाभों पर प्रकाश डाला।विशेषज्ञों के अनुसार, वज्रपात गिरने से होने वाली मौतों में से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं।
किस इलाके में कितनी मौत
कुल मिलाकर, वज्रपात गिरने से होने वाली मौतों में से 90% ग्रामीण क्षेत्रों में और 10% शहरी क्षेत्रों में होती हैं। खजूर के पेड़ लोगों को इससे बचा सकते हैं। इससे पहले राज्य के ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में ताड़ के पेड़ थे, जिसमें वज्रपात गिरने से होने वाली मौतों को रोकने में मदद मिलती थी।
ताड़ के पेड़, विशेष रूप से तटीय ओडिशा में, संजीवनी की तरह काम करते थे। हालांकि, 1999 के महाचक्रवात और उसके बाद आए चक्रवात के प्रभाव के कारण केन्द्रपड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी, कटक, बालेश्वर, भद्रक और गंजाम जिलों में ताड़ के पेड़ों को व्यापक क्षति पहुंची है।
पेड़ नहीं होने से आ रही समस्या
बहाली की दिशा में कदम नहीं उठाए जाने से लोगों की जान खतरे में है। शहरीकरण के कारण भी, ताड़ के पेड़ गायब हो गए हैं और बिजली सीधे जमीन पर गिरती है।
दोपहर और शाम के समय वज्रपात गिरने से कई लोगों की जान जा रही है। घायलों की संख्या भी कम नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, वज्रपात गिरने की घटनाएं मुख्य रूप से लम्बे पेड़ों जैसे ताड़ और नारियल के पेड़ों पर होती हैं।
नहीं लगाए गए पेड़
2018 में वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने राज्य के सभी वन प्रभागों को सड़कों, ग्रामीण क्षेत्रों, आरक्षित वनों और राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों की भूमि पर ताड़ के पेड़ लगाने के लिए कहा था।
लेकिन यह काम आज तक नहीं हुआ है। इसके परिणामस्वरूप पिछले पांच वर्षों में ओडिशा में वज्रपात गिरने से 1,472 लोगों की जान जा चुकी है। 145 लोग घायल हुए हैं।
इतनी राशि दी जाती है मृतक व घायलों को
आपदा राहत कोष से मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जा रही है। जो लोग वज्रपात गिरने में 40 प्रतिशत विकलांग हैं, उन्हें 74,000 रुपये दिए जाते हैं, जबकि 60 प्रतिशत विकलांग लोगों को 2.5 लाख रुपये दिए जाते हैं।
अगर कोई व्यक्ति आकाशीय वज्रपात गिरने से घायल हो जाता है और सात दिन से अधिक समय से उसका इलाज चल रहा है तो उसे 16,000 रुपये मिलते हैं। एक सप्ताह से कम समय से इलाज करा रहे लोगों को सहायता के रूप में 5,400 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं।
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