ओडिशा : पर्यावरण संरक्षण और तकनीक की मदद से महिला सरपंच ने लिखी विकास की गाथा, केंद्र सरकार से मिली सराहना
ओडिशा में नुआपाड़ा जिले की भालेश्वर पंचायत में एक महिला सरपंच की मेहनत रंग ले आई है। सरपंच की इस मेहनत से मिले परिणामों को केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने भी सराहा है। यहां आयोजित होने वाले समारोहों में प्रयोग में लाए गए प्लास्टिक के प्रदूषण से पशुओं के मरने जैसी चिंताएं थीं। परंतु अब स्थिति बदल गई है। यहां बेटियों के जन्म पर पौधा रोपा जाता है।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Thu, 23 Nov 2023 07:27 PM (IST)
संतोष कुमार पांडेय (अनुगुल, ओडिशा)। ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के एक पंचायत ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है। प्लास्टिक कचरे के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए पंचायत में बर्तन बैंक खोला है, जिसका उपयोग पंचायत क्षेत्र के गांवों में शादी-ब्याह व अन्य आयोजनों में निश्शुल्क किया जा रहा है। यह पहल भालेश्वर पंचायत की सरपंच सरोज देवी अग्रवाल ने की है।
उन्होंने बताया कि सामाजिक या सामूहिक आयोजनों में बड़े पैमाने पर प्लास्टिक की थाली, कटोरी, गिलास आदि का उपयोग होता था, जिससे सुबह में कचरे का ढेर बन जाता था।
यदि तेज हवा चली, तो ये सामान पूरे गांव में बिखर जाते थे। ज्यादातर लोग इस कचरे में आग लगा देते थे, जिससे वातावरण में जहरीली गैस फैलती थी।
प्लास्टिक का यह कचरा हर तरह से मानव जीवन के लिए नुकसानदेह है। इस समस्या से समाधान के लिए पंचायत समिति में बर्तन बैंक के विकास का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे सर्वसम्मति के बाद पंचायत के सुदूर कुरुमुंडा गांव में स्थापित किया गया है।कुरुमुंडा ग्राम निधि से लगभग 75 हजार रुपये के स्टील व अल्युमीनियम के बर्तन खरीदे गए हैं। इसमें थाली, कटोरी, गिलास के अलावा रसोई बनाने के बर्तन भी शामिल हैं।
बर्तन बैंक की देखभाल गांव के चयनित बुजुर्गों द्वारा की जा रही है। उपयोग के बाद ग्रामीण साफ करके लौटा देते हैं। सरोज बताती हैं कि पंचायत क्षेत्र के अन्य छह गांवों में भी जल्द ही अपना बर्तन बैंक होगा।
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