ओडिशा : पर्यावरण संरक्षण और तकनीक की मदद से महिला सरपंच ने लिखी विकास की गाथा, केंद्र सरकार से मिली सराहना
ओडिशा में नुआपाड़ा जिले की भालेश्वर पंचायत में एक महिला सरपंच की मेहनत रंग ले आई है। सरपंच की इस मेहनत से मिले परिणामों को केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने भी सराहा है। यहां आयोजित होने वाले समारोहों में प्रयोग में लाए गए प्लास्टिक के प्रदूषण से पशुओं के मरने जैसी चिंताएं थीं। परंतु अब स्थिति बदल गई है। यहां बेटियों के जन्म पर पौधा रोपा जाता है।
संतोष कुमार पांडेय (अनुगुल, ओडिशा)। ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के एक पंचायत ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है। प्लास्टिक कचरे के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए पंचायत में बर्तन बैंक खोला है, जिसका उपयोग पंचायत क्षेत्र के गांवों में शादी-ब्याह व अन्य आयोजनों में निश्शुल्क किया जा रहा है। यह पहल भालेश्वर पंचायत की सरपंच सरोज देवी अग्रवाल ने की है।
उन्होंने बताया कि सामाजिक या सामूहिक आयोजनों में बड़े पैमाने पर प्लास्टिक की थाली, कटोरी, गिलास आदि का उपयोग होता था, जिससे सुबह में कचरे का ढेर बन जाता था।
यदि तेज हवा चली, तो ये सामान पूरे गांव में बिखर जाते थे। ज्यादातर लोग इस कचरे में आग लगा देते थे, जिससे वातावरण में जहरीली गैस फैलती थी।
प्लास्टिक का यह कचरा हर तरह से मानव जीवन के लिए नुकसानदेह है। इस समस्या से समाधान के लिए पंचायत समिति में बर्तन बैंक के विकास का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे सर्वसम्मति के बाद पंचायत के सुदूर कुरुमुंडा गांव में स्थापित किया गया है।
कुरुमुंडा ग्राम निधि से लगभग 75 हजार रुपये के स्टील व अल्युमीनियम के बर्तन खरीदे गए हैं। इसमें थाली, कटोरी, गिलास के अलावा रसोई बनाने के बर्तन भी शामिल हैं।
बर्तन बैंक की देखभाल गांव के चयनित बुजुर्गों द्वारा की जा रही है। उपयोग के बाद ग्रामीण साफ करके लौटा देते हैं। सरोज बताती हैं कि पंचायत क्षेत्र के अन्य छह गांवों में भी जल्द ही अपना बर्तन बैंक होगा।
पशुओं की मौत से बढ़ी चिंता
सरोज देवी बताती हैं कि प्लास्टिक के कचरे से भूमि की उर्वरा शक्ति तो समाप्त हो ही रही थी, पशुओं की हो रही मौत से भी सभी चिंतित थे।
सामूहिक आयोजनों के बाद फेंके गए प्लास्टिक के बर्तनों में भोज्य पदार्थ होते हैं, जिसे गाय-बकरी खा जाते थे। इससे उनका पेट फूलने लगता था।
समुचित इलाज की सुविधा नहीं होने से उनकी मौत हो जाती थी। इस तरह प्लास्टिक प्रदूषण से भारी मात्रा में हो रहे नुकसान की तुलना में यह छोटी पहल है।
फिर भी हमें उम्मीद है कि इससे पर्यावरण और लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आएगा। इससे वैवाहिक व सामाजिक समारोह के खर्च में भी कमी आ रही है।
दिव्यांग-लाचार के घर तक ड्रोन से पहुंचातीं पेंशन
इससे पहले सरपंच सरोज ने एक और पहल की थी। वह पंचायत क्षेत्र के दिव्यांग व लाचार लोगों को उनके घर तक ड्रोन से पेंशन राशि पहुंचाती हैं। इसी वर्ष फरवरी में उन्होंने स्वयं के खर्च से ड्रोन खरीदा था।
इस पहल से सरोज देवी अग्रवाल ने ओडिशा ही नहीं, देश भर में सुर्खियां बटोरी थीं। यह पहल उन्होंने असमर्थ लोगों को पेंशन लेने के लिए पंचायत मुख्यालय तक आने में परेशानी को देखते हुए की थी।
देश भर में दिखाई जाती इस पंचायत की वीडियो
भालेश्वर पंचायत में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क सहित सभी मामले में आदर्श है। इनकी उपलब्धियों पर पंचायती राज मंत्रालय की टीम ने यहां आकर वीडियो बनाया था, जो देश भर के पिछड़े पंचायतों में दिखाई जाती है।
यहां के सरकारी विद्यालय में आधुनिक तकनीक से शिक्षा दी जाती है। पंचायत में इंटरनेट मीडिया से समस्या सुनी जाती है और उसका निष्पादन भी किया जाता है।
पंचायत में बेटी के जन्म पर लगाती है एक पौधा
बेटी के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने बेटियों के जन्म पर पौधा लगाने का अभियान भी शुरू किया है। सरोज देवी राउरकेला से 10वीं पास है। वह पहले सरपंच व नायब सरपंच रह चुकी हैं। वह दो बार पंचायत समिति सदस्य भी रह चुकी हैं।
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