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Year Ender 2023: नहीं सुनी होंगी ओडिशा के इन 5 ऑफबीट जगहों के बारे में, इन्‍हें दिल में रख कर सकते हैं वैकेशन की प्‍लानिंग

घूमने के शौकीन सैर-सपाटे के लिए अपना वक्‍त निकाल ही लेते हैं लेकिन जो नहीं निकाल पाते उनके लिए छुट्टियों का सीजन दरवाजे पर है। मौसम भी सुहाना है ऐसे में प्‍लान बनाया जा सकता है। इसी काम में आपकी मदद के लिए हम ओडिशा के पांच ऐसे जगहों के बारे में बताने जा रहे जहां की खूबसूरती आपके मन को मोह लेगी।

By Arijita Sen Edited By: Arijita Sen Updated: Tue, 26 Dec 2023 03:00 PM (IST)
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ओडिशा के इन 5 ऑफबीट जगहों के बारे में जानें।
अरिजीता सेन, नई दिल्‍ली। छुट्टियों का सीजन है और मौसम भी सुहाना है, ऐसे में फैमिली के साथ वैकेशन प्‍लान किया जा सकता है। हालांकि, कई बार छुट्टियों के लिए प्‍लान बनाते वक्‍त हम अक्‍सर इसी बात में उलझ कर रह जाते हैं कि आखिर जाया कहां जाए?

ऐसे में अगर हम किसी ऐसी जगह को सिलेक्‍ट करे, जो अपने ग्रुप में शामिल सभी को पसंद आए और जहां जाने पर मन को सुकून भी मिलें, तो क्‍या ही कहने! आपकी इसी परेशानी को दूर करने के लिए हम आपको ओडिशा के कुछ ऐसी चुनिंदा जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जाकर आपको न सिर्फ लगेगा, बल्कि यह ट्रिप भी यादगार बन जाएगा। 

रघुराजपुर गांव

यह गांव पुरी में स्थित है। यह जगह सुंदर पट्टचित्रों और गोटीपुआ नृत्‍य शैली के चलते मशहूर है। इस गांव में कारीगरों की भरमार है, जो बड़ी ही तल्‍लीनता से पत्‍थर से बेहद खूबसूरत मूर्तियों का निर्माण करते हैं, मुखौटे बनाते हैं, हथकरघा के तमाम सामान बनाते हैं, जिनमें सुंदर चित्र बनाए जाते हैं, जो यहां की संस्‍कृति से जुड़ी होती है। यहां के कारीगर ताड़ के पत्‍ते पर भी पेंटिंग करते हैं।

यहां की इसी खासियत को देखते हुए साल 2000 में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) ने रघुराजपुर को 'विरासत गांव' घोषित किया, इससे गांव के कलाकारों और उनकी कारीगरी को विशेष पहचान मिली। रघुराजपुर आकर आप चाहे तो इन्‍हें घूम-घूमकर देख सकते हैं या खरीद भी सकते हैं और अपने घरों में सजा सकते हैं। 

सतकोसिया टाइगर रिजर्व

यह अनुगुल और नयागढ़ जिले के बॉर्डर पर बसा एक टाइगर रिजर्व है, जो 988.30 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां बाघ के अलावा तमाम दुर्लभ प्रजाति के जानवर और पेड़-पौधे हैं।

य‍हां 300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों का भी वास है। यहां जंगली सूअर, लकड़बग्घा, रीछ, चीता, हाथी का भी दीदार कर सकते हैं।

यहीं से महानदी पूर्वी घाट के पहाड़ों में 22 किमी लंबी घाटी से होकर गुजरती है। यहां का नजारा दिल को छू लेता है। टाइगर रिजर्व में टिकट लेकर एंट्री करनी पड़ती है। साथ में जिप और गाइड दोनों रहते हैं।

रिजर्व के अंदर लगभग एक घंटे का सफर कराया जाता है और यह अनुभव जिंदगी भर के लिए यादगार बन जाता है क्‍योंकि आप चिड़ियाघर की तरह जानवरों को बंद पिंजरे में कैद नहीं देखते, बल्कि उन्‍हें उनके वास्‍तविक स्‍थान प्रकृति की गोद में देखते हैं, जो बेहद खास है। 

दारिंगबाड़ी 

दारिंगबाड़ी ओडिशा का एक फेमस हिल स्‍टेशन है, जहां आकर आप शांति की अनुभूति कर सकते हैं। पेड़-पौधे, पहाड़-पर्वत, झरने यहां क्‍या नहीं है! दारिंगबाड़ी का अपना कोई रेलवे स्‍टेशन नहीं है इसलिए आप ब्रह्मपुर तक ट्रेन से सफर तय कर बाकी का रास्‍ता प्राइवेट कैब या गाड़ी से तय कर सकते हैं।

यहां इतना सुकून है, जो मन में हो रही उथल-पुथल को पल भर में शांत कर देती है। यह जगह इतनी खूबसूरत है कि इसे ओडिशा का कश्‍मीर कहा जाता है। यहां घने जंगल भी  हैं, जाे कई जीव-जंतुओं और पक्षियों का निवास स्‍थल है। इस जगह का इतिहास भारतीय औपनिवेशिक काल से जुड़ा हआ है।

इस जगह का नाम अंग्रेजी शासक डेरिंग साहब के नाम पर पड़ा, जो इस क्षेत्र के इंचार्ज हुआ करते थे। ओडिशा के कंधमाला क्षेत्र में 3002 फीट की ऊंचाई पर बसे इस हिल स्‍टेशन में सर्दियों में तापमान शून्‍य डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। यहां कई बार बर्फबारी भी होती है। यहां ठहरने के लिए कई शानदार रिसॉर्ट व होटल हैं।

गोपालपुर

बंगाल की खाड़ी के पूर्वी तट पर बसा गोपालपुर सी बीच ओडिशा की एक खास जगह है, जो गंजाम जिले में स्थित है। यह सी बीच भारत के उन खास चुनिंदा जगहों में से एक है, जहां ओलिव रिडले कछुए बड़ी संख्‍या में अपना घोंसला बनाते हैं।

कैसु‍रीना और नारियल के पेड़ों से घिरे इस समुद्र तट की खूबसूरती के लोग कायल हैं, जिसके चलते दूर-दूर से आते हैं। यहां गोपालपुर बंदगाह से समुद्री जहाज आते-जाते रहते हैं। आप पहले ब्रह्मपुर तक रेलवे सफर तय कर वहां से गाड़ी, जीप या प्राइवेट कार से गोपालपुर आ सकते हैं। यहां कई तरह के एक्टिविटीज भी होते हैं जैसे कि विंडसर्फिंग, स्‍कूबा डाइविंग, रोइंग वगैरह।

चंद्रगिरि

चंद्रगिरि गजपति जिले में स्थित है। इसे मिनी तिब्‍बत कहा जाता है। यहां कई बौद्ध मठ और मंदिर है। यहां बड़ी संख्‍या में तिब्‍बती बस्‍ती भी है।

यहां आप ब्रह्मपुर से सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं या भुवनेश्‍वर एयरपोर्ट से भी टैक्‍सी वगैरह की मदद से पहुंच सकते हैं। यहां रहने के लिए कई होटल्‍स भी हैं।

यहां से आप तारातारिणी मंदिर, तप्‍तपानी झरना, गोपालपुर सी बीच और गंधहाटी भी पहुंच सकते हैं। यहां घूमने के लिए नवंबर से फरवरी का महीना सबसे उत्‍तम है। यहां की खूबसूरती भी पर्यटकों के दिलों को छू लेती है। 

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