चाय बेचने वाले शख्स को मिला पद्मश्री, मन की बात में PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ
Padma Shri From President Kovind राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कृषि के क्षेत्र में अवदान के लिए कमला पुजारी समाजसेवा के लिए दैतारी नायक एवं डी.प्रकाश राव को पद्मश्री सम्मान प्रदान किया।
By BabitaEdited By: Updated: Sat, 16 Mar 2019 03:05 PM (IST)
भुवनेश्वर, जेएनएन। Padma Shri From President Kovind राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ओडिशा के तीन लोगों को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। कृषि के क्षेत्र में योगदान के लिए कमला पुजारी, समाजसेवा के लिए दैतारी नायक एवं डी.प्रकाश राव को राष्ट्रपति ने पद्मश्री सम्मान प्रदान किया।
जानकारी के मुताबिक कटक जिला के डी.प्रकाश राव चाय बेचते हैं। इसके बावजूद वह गरीब बस्ती के बच्चों की शिक्षा का भार अपने कंधे पर उठाया हुआ है। पिछले कई सालों से वह इस समाजसेवा कार्य से जुड़े हुए हैं। ऐसे में आज उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। उसी तरह से जैविक पद्धति से खेती करने वाली कोरापुट जिले की कमला पुजारी को राष्ट्रपति ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। कमला पुजारी इससे पहले देश एवं विदेश में कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। राज्य सरकार की तरफ से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
इसके अलावा पहाड़ काटकर खेत में पानी लाने वाले दैतारी नायक का नाम भी बहुत चर्चा था। उनके इस प्रयास की हर किसी ने सराहना की थी। राष्ट्रपति ने आज उन्हें इस महान कार्य के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है।
कौन हैं डी प्रकाश राव
6 साल की उम्र से ही प्रकाश चाय बेचने का काम कर रहे डी.प्रकाश राव ने पढ़ाई में मेधावी होने के बावजूद वित्तीय समस्याओं के चलते पांचवी क्लास के बाद ही उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। हालांकि राव ने इसे एक चुनौती की तरह स्वीकार किया और आज वे झुग्गियों के 70-75 बच्चों को पढ़ाकर अपना ये सपना पूरा कर रहे हैं।
वे कहते हैं कि, मैं नहीं चाहता हूं कि सिर्फ पैसों की कमी के कारण ये बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जायें। इसलिए मैं चाय की दुकान और स्कूल से समय निकाल कर अस्पताल में भी मरीजों की मदद करने के लिए जाता हूं। मैंने अपने जीवन की शुरुआत चाय की दुकान से की थी। बाद में मैं शिक्षक बन गया और अब अस्पताल में लोगों को लगता है कि मैं डॉक्टर भी हूं।
बच्चों का भविष्य संवारना है मकसदराव ने आगे कहा कि उनके स्कूल में 70 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं और खास बात ये है कि वे बच्चे गलियों में घूमने और अपने घरों में बैठने से अधिक स्कूल में बैठना पसंद करते हैं। शुरू में ये बच्चे हमारे स्कूल में आना भी नहीं चाहते थे। फिर हमने उन्हें खाना भी देने का फैसला किया तो अब वे बच्चे यहां आते हैं। पढ़ाई के अलावा, ये बच्चे यहां गाना, डांस और जूड़ो भी सीखते हैं। आज वे स्कूल में आना पसंद करने लगे हैं। जब उनसे पूछा गया कि वे अकेले स्कूल कैसे चला लेते हैं राव ने कहा, मैं ऑफ सीजन प्रतिदिन 600 रूपए कमाता हूं लेकिन सीजन में मैं 700-800 प्रतिदिन कमा लेता हूं। इसलिए पैसा मुद्दा नहीं है। मैं चाहता हूं कि ये बच्चे भविष्य़ में कुछ बन जाएं।
सपने में भी नहीं सोचा था कि पीएम से होगी मुलाकातप्रधानमंत्री मोदी से अपनी मुलाकात पर बात करते हुए राव ने बताया, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं दुनिया के पसंदीदा नेता से कभी मिल पाऊंगा। जब वे ओडिशा आए तो मुझे उनके कार्यालय से फोन आया और कहा गया कि वे आएं और पीएम मोदी से मिलें। 15-20 बच्चों के साथ मैं पीएम मोदी से मिलने के लिए गया। जब उन्होंने मुझे देखा तो पीएम ने हाथ हिलाकर कहा कि 'राव साहब..मैं यहां आपसे मिलने के लिए आया हूं। मैं आपके बारे में सब कुछ जानता हूं। किसी को कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है।'
'मोदी जी ने कराया अपनेपन का एहसास'
हालांकि राव पहले हिचकिचाए, लेकिन प्रधानमंत्री के मेजबानी देखकर वे सहज हो गए। राव ने आगे कहा कि, मोदी जी ने मुझे अपने बगल में बैठने को कहा। उन्होंने हमारे साथ 18 मिनट बिताए। ये इत्तफाक ही था कि 26 मई को मोदी जी मुझसे मिले और अगले ही दिन उन्होंने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में मेरा जिक्र किया। इस घटना के बाद लोग मेरे पास आकर मेरे पैर छूने शुरू कर दिए हैं। पीएम ने यह भी कहा कि वे जब भी अगली बार ओड़ीशा आयेंगे वे उसके स्कूल में बना खाना जरूर खायेंगे।217 बार किया है ब्लड डोनेट
इतना ही नहीं, राव ने अपनी जिंदगी में अब तक 217 बार ब्लड भी डोनेट किया है। उन्होंने कहा कि, आज मुझे काफी अवॉर्ड्स मिल चुके हैं, इस पर मेरी पत्नी मुझे कहती है कि घर पर रखने की जगह नहीं है तो इतने अवॉर्ड्स को घर क्यों लाते हो।प्रधानमंत्री मोदी ने 27 मई को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा था, राव कटक में पांच दशक से एक चाय विक्रेता हैं। आप ये जानकर आश्चर्यचकित होंगे कि उनके प्रयास से 70 बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का दीप जल रहा है। उन्होंने एक स्कूल खोला है जिसका नाम है ह्यआशा आश्वासनह्ण जिसमें वे अपनी आधी कमाई बच्चों पर लगा देते हैं। इतना ही नहीं वे स्कूल आने वाले सभी बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और भोजन सुनिश्चित करते हैं।
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