कंधमाल नन सामूहिक दुष्कर्म केस: घटना के नौ साल बाद अदालत में पेश हुई पीड़िता, इस वजह से नहीं लिया जा सका बयान
नन सामूहिक दुष्कर्म केस में कटक जिला एवं सत्र अदालत में बुधवार को पेश हुई पीड़िता की गवाही नहीं हो सकी। केस में गवाही देने के लिए पहले से तारीख तय थी लेकिन सरकार की तरफ से कोई वकील नियुक्त होने की वजह से पीड़िता का बयान दर्ज नहीं कराया जा सका। वकील की नियुक्ति के बाद पीड़िता का बयान दर्ज कराने के लिए अदालत नई तारीख तय करेगा।
By Sheshnath RaiEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 17 Aug 2023 05:18 PM (IST)
कटक, जागरण टीम: 2008 में कंधमाल हिंसा के नन सामूहिक दुष्कर्म केस में कटक जिला एवं सत्र अदालत में बुधवार को पेश हुई पीड़िता की गवाही नहीं हो सकी। पीड़िता 18 अन्य आरोपियों के खिलाफ सबूत देने के लिए बुधवार को अदालत में पेश हुई थी।
केस में गवाही देने के लिए पहले से तारीख तय थी, लेकिन सरकार की तरफ से कोई वकील नियुक्त होने की वजह से पीड़िता की गवाही नहीं हो सकी। सरकार की तरफ से वकील की नियुक्ति के बाद पीड़िता का बयान दर्ज कराने के लिए अदालत नई तारीख तय करेगा।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि पीड़िता ने अगस्त 2008 में कंधमाल के नुआगांव पुलिस स्टेशन सामूहिक दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में पीड़ित नन ने आरोप लगाया था कि 23 अगस्त 2008 में कंधमाल हिंसा के दौरान लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद भीड़ ने स्थानीय चर्च पर हमला कर दिया था। इस दौरान चर्च में मौजूद नन के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया।मुख्य आरोपी पटनायक को कठोर कारावास सजा
सामूहिक दुष्कर्म केस की जांच करते हुए ओडिशा क्राइम ब्रांच ने नुआगांव थाने में दर्ज पीड़िता कि प्राथमिकी के आधार पर नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। छह साल की सुनवाई के बाद अदालत ने 2014 में केस के मुख्य आरोपी समेत तीन आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि अन्य छह आरोपियों बरी कर दिया था।
अदालत ने केस के मुख्य आरोपी मीतू पटनायक को दुष्कर्म के आरोप में 11 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं, गजेंद्र दिग्गल व सरोज बधेई को आपत्तिजनक कृत्य और आपराधिक धमकी देने के आरोप में दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।