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सीमा से सटे इन 21 गांवों पर ओडिशा और आंध्र का दावा... लोग उठाते हैं दोनों राज्यों के सरकारी लाभ, गांव में हैं दो सरपंच

आन्ध्र प्रदेश सरकार ने जबरन कोटिया पंचायत में मौजूद स्कूलों में तेलगू टीचर नियुक्त कर दिए हैं और यहां के बच्चे तेलगू भाषा में शिक्षा ले रहे हैं। सबसे बड़ी बात है मिशनरी एक्टिविटी यहां ज्यादा है। यहां के 80 प्रतिशत लोग क्रिश्चिचयन बन चुके है। आन्ध्र की मेडिकल मोबाइल बैन प्रति सप्ताह आती है जो ओडिशा सरकार की तरफ से नहीं देखी जा रही है।

By Sheshnath RaiEdited By: Mohammad SameerUpdated: Mon, 04 Dec 2023 05:00 AM (IST)
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दोनों राज्यों का लाभ लेते हैं ग्रामीण, गांव में हैं दो सरपंच (प्रतीकात्मक फोटो)
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। ओडिशा के कोरापुट जिले के कोटिया पंचायत में स्थित 21 गांवों पर लंबे समय से आंध्र प्रदेश दावा करता रहा है। सात दशकों से यह सीमा विवाद चल रहा है।

नक्सल प्रभावित कोटिया गांव में सीमा विवाद को लेकर संघर्ष ऐसा है कि हाल ही में ओडिशा सरकार ने यहां बीजू पक्का घर योजना के अंतर्गत एक घर बनवाया तो उस पर आंध्र प्रदेश सरकार के पदाधिकारियों ने अपना दावा जताते हुए लाल रंग से रंग दिया। इसका विरोध करते हुए ओडिशा सरकार ने दोबारा उसे सफेद रंग से रंग दिया। यह स्थिति आए दिन देखने को मिलती है।

गांव में एक ओडिशा के और दूसरे आंध्र प्रदेश के सरपंच

इस गांव में दो सरपंच हैं, इनमें एक ओडिशा के और दूसरे आंध्र प्रदेश से संबंध रखते हैं। यहां के ग्रामीण दोनों को वोट देते हैं। यहां के लोग ओडिशा के कोरापुट जिले के पोटांगी ब्लाक के साथ-साथ आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के सालुर प्रखंड से भी लाभ उठाते हैं। ओडिशा सरकार के अधिकारी बताते हैं कि यह क्षेत्र ओडिशा के नक्शे में है और आंध्र का दावा गलत है।

इंटैक के संयोजक अनिल धीर ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि कोटिया पंचायत में 18 गांव आते हैं और यहां 2000 वोट हैं, ऐसे में ओडिशा के विधायक एवं सांसद इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। हालांकि ओडिशा सरकार ने यहां पर काफी विकास किया है। यहां पर फाइव टी योजना के तहत स्कूल बनवाया गया है। आदिवासी हास्टल, पोस्ट आफिस, पुलिस आउट पोस्ट, नायब तहसीलदार कार्यालय, ड्रिंकिंग वाटर, बिजली, रास्ता, बस सर्विस, पशु चिकित्सा केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सब ओडिशा सरकार ने बनाया है।

हालांकि उन्होंने कहा कि आन्ध्र प्रदेश सरकार की तरफ से इस पंचायत में लड़की के जन्म होने पर 15 हजार रुपया फिक्स डिपोजिट कर रही है, जबकि ओडिशा सरकार 5 हजार रुपया जमा करती है। ओल्ड एज एवं विधवा पेंशन ओडिशा से 3 से 4 गुना आन्ध्र प्रदेश सरकार दे रही है।

आन्ध्र प्रदेश सरकार ने जबरन कोटिया पंचायत में मौजूद स्कूलों में तेलगू टीचर नियुक्त कर दिए हैं और यहां के बच्चे तेलगू भाषा में शिक्षा ले रहे हैं। सबसे बड़ी बात है मिशनरी एक्टिविटी यहां ज्यादा है। यहां के 80 प्रतिशत लोग क्रिश्चिचयन बन चुके है। आन्ध्र की मेडिकल मोबाइल बैन प्रति सप्ताह आती है, जो ओडिशा सरकार की तरफ से नहीं देखी जा रही है।

धीर ने कहा कि हमने हाल ही में कोटिया सब पोस्ट आफिस जाकर एक हजार पत्र आन्ध्र प्रदेश एवं ओडिशा के विधायक व सासंद को पत्र भेजा था, जिसका पोस्ट मार्क ओडिशा का है, जिस पर काफी विरोध हुआ। पोस्ट आफिस अगर ओडिशा का है तो फिर कोटिया किस प्रकार से आंध्र प्रदेश का हो गया।

अभी चार दिन पहले आन्ध्र प्रदेश की तरफ से यहां पोस्ट आफिस खोलने का दुस्साहस किया गया मगर ओडिशा सरकार के अधिकारियों ने उसे बंद करवा दिया है।

इंटैक की तरफ से हम मांग कर रहे हैं कि ओडिशा सरकार ने उक्त पंचायत में विकास के तमाम कार्य कर दिए हैं, मगर विभिन्न सरकारी भत्ता आन्ध्र प्रदेश की तुलना में कम दे रहे जिसे तत्काल बढ़ाए जो स्थानीय लोगों की भी मांग है। कोटिया पंचायत किसी भी कीमत पर आन्ध्र प्रदेश में ना जाने दें। इसके साथ ही ओडिशा विधानसभा के विशेष सत्र कोटिया में हो।

ओडिशा सरकार ने जिस प्रकार से 120 विधायक को लेकर सुन्दरगढ में विधानसभा का सत्र हाकी विश्वकप से पहले किया था ऐसे में अगर कोटिया यह सत्र हो जाता तो फिर यहां के लोगों के साथ आन्ध्र प्रदेश का दावा भी खत्म हो जाएगा। यहां के लोगों को स्पेशल स्टाटस दें।

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