Jagannath Temple: 46 वर्ष से नहीं खुला है महाप्रभु जगन्नाथ का रत्न भंडार, भरे पड़े हैं सोने चांदी के बेशकीमती आभूषण; पढ़ें कैसे खुलेगा दरवाजा
रत्न भंडार जगन्नाथ मंदिर के तहखाने में स्थित है। इस भंडार घर के भी हिस्से हैं एक बाहरी एक भीतरी हिस्सा। एक कक्ष में देवताओं यानी भगवान जगन्नाथ देवी सुभद्रा और बलभद्र द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले आभूषणों का संग्रह रखा हुआ है और इतिहासकारों का मानना है कि रत्न भंडार में मौजूद वेशकीमती आभूषणों को ओडिशा के पूर्ववर्ती राजाओं ने दान किया है।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। रत्न भंडार जगन्नाथ मंदिर के तहखाने में स्थित है। इस भंडार घर के भी हिस्से हैं, एक बाहरी एक भीतरी हिस्सा। एक कक्ष में देवताओं यानी भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले आभूषणों का संग्रह रखा हुआ है और दूसरी कक्ष में आभूषण का भंडारण किया गया है।
आभूषणों को ओडिशा के पूर्ववर्ती राजाओं ने दान किया है
इतिहासकारों का मानना है कि रत्न भंडार में मौजूद वेशकीमती आभूषणों को ओडिशा के पूर्ववर्ती राजाओं ने दान किया है। प्राचीन काल में राजा अन्य देश पर विजय के उपरांत हाथी-घोड़े पर लादकर सोने-चांदी, हीरे के आभूषण लाते थे और उसमें से चढ़ावा स्वरूप महाप्रभु को दान कर देते थे।
खजाने में 12 हजार 831 भारी सोने के आभूषण हैं
इन आभूषणों को आज भी सुरक्षित तरीके से जगन्नाथ मंदिर के अंदर रत्न भंडार में सुरक्षित रखा गया है।तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में अप्रैल 2018 को खजाने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि 1978 में रत्न भंडार में 12 हजार 831 भारी सोने के आभूषण हैं, जिनमें कीमती पत्थर लगे हुए हैं।46 वर्ष से नहीं खुला है महाप्रभु का रत्न भंडार
12वीं सदी के इस मंदिर में दो कमरे हैं। इनमें से एक को भीतर भंडार और एक को बाहर भंडार कहा जाता है।बाहरी कमरे को तो सालाना रथ यात्रा के समय पूजा के लिए खोला जाता है। इसके अलावा कई और अहम मौकों पर भी बाहरी भंडार से आभूषण निकाले जाते हैं, लेकिन भीतर भंडार को खोले हुए 46 साल हो चुके हैं।
क्या है रत्न भंडार को खोलने की प्रक्रिया?
इन्हें खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी होती है। उच्च न्यायालय की तरफ से निर्देश मिलने के बाद राज्य सरकार ने 2018 में कमरा खोलने की कोशिश की थी, लेकिन चाबी नहीं होने की वजह से प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बाहर से ही निरीक्षण किया था।कब तैयार की गई थी सूची
मंदिर के खजाने में मौजूद रत्नों की सूची साल 1926 और फिर 52 सालों के बाद 1978 में तैयार की गई थी। हालांकि, 1978 में आभूषणों का मूल्यांकन नहीं हुआ था। इसके बाद साल 2018 में राज्य सरकार ने जांच के लिए रत्न भंडार को दोबारा खोलने की तैयारी की, लेकिन उस दौरान कमरे की चाबियां नहीं मिलने के चलते अधिकारी काम पूरा नहीं कर सके थे।
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