Jharkhand Train Accident क्या है कवच सिस्टम? एक के बाद एक हो रहे रेल हादसों पर लगा सकता ब्रेक; पढ़ें पूरी डिटेल
Jharkhand Train Accident भारतीय रेलवे एशिया की सबसे बड़ी रेलवे है। भारतीय रेल के माध्यम से प्रतिदिन लाखों यात्री सफर करते हैं। हालांकि हाल के कुछ महीनों में हुए रेल हादसे डराने वाले हैं। यात्री डर के साथ यात्रा करने के लिए मजबूर हैं। चक्रधरपुर रेल हादसे ट्रेनों की सुरक्षा के लिए उपयोग होने वाला कवच सिस्टम फिर चर्चा में है।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। झारखंड चक्रधरपुर रेल मंडल बड़ाबाम्बो के पास हुए रेल हादसे के बाद रेलवे में सुरक्षा के लिए उपयोग होने वाला कवच सिस्टम फिर चर्चा में है। अगर उक्त रूट पर कवच सिस्टम लगा होता तो शायद इस हादसे को रोका जा सकता था।
रेलवे का यह कवच सिस्टम अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा बनाया गया है। आइए आपको बताते हैं कि क्या है कवच सिस्टम और कैसे ट्रेन हादसों को रोकने में ये हो सकता है मददगार।
क्या होता है कवच सिस्टम?
कवच सिस्टम एक स्वेदेशी एंटी प्रोटेक्शन सिस्टम (एपीएस) है। इसे खासतौर पर रेल हादसे रोकने के लिए तैयार किया गया है, जिससे जान-माल का नुकसान न हो सके। कवच प्रणाली आपातकालीन स्थिति में खुद-ब-खुद ट्रेन को रोक सकती है यानी ब्रेक लगा सकती है।किसी भी कारणवश जब ट्रेन का ड्राइवर समय पर ब्रैक नहीं लगा पाता है, तब ये सिस्टम तुरंत एक्टिव हो जाता है।ऐसे में बड़े रेल हादसे होने से रुक सकते हैं।
रेलवे इस सिस्टम को पूरे रेल नेटवर्क में स्थापित करने की योजना बना रही है। हालांकि, अभी तक बेहद कम रूट पर इसे लगाया जा सका है।
अभी कहां-कहा लगा है कवच सिस्टम
रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्तमान समय में कवच सिस्टम की कवरेज 1500 किमी. तक सीमित है।इस वर्ष इसे 3000 किमी. तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, रेलवे की कुल 68 हजार रेल नेटवर्क में इसे लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
रेलवे बजट में बताया गया है कि अंतरिम बजट 2024-25 में रेलवे में कवच की लगाने के लिए 557 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।
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इस प्रोजेक्ट को मूल रूप से ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (टीसीएएस) नाम दिया गया था।प्रारंभिक प्रमाण 2012 में तैयार किया गया था, जबकि सिस्टम के डिजाइन और निर्माण के लिए विकास आदेश 2013 में जारी किया गया था।2014 के दौरान, लाइन के 265 किमी सेक्शन पर प्रारंभिक परीक्षण प्रणाली की तैनाती शुरू हुई, जिसके बाद कवच का पहला वास्तविक मूल्यांकन किया गया।
2014 से अब तक 1500 किमी. रेल लाइन को इस कवच के अंदर शामिल कर लिया गया है।2015 से 2017 के बीच, सिस्टम के फील्ड परीक्षण किए गए।इन परीक्षणों से एकत्र किए गए डेटा और अनुभवों का उपयोग विनिर्देश को परिष्कृत करने के लिए किया गया, जिसे मार्च 2017 में औपचारिक रूप दिया गया।
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