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Jagannath Mandir: रत्न भंडार में सोने-चांदी के जेवरात ही नहीं, युद्ध के अस्त्र और राजाओं के मुकुट भी

पुरी में जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में कई ऐसे साजो-सामान हैं जो स्वयं में अपने समय का इतिहास समेटे हैं। गजपति वंश के महाराजा समेत तमाम राजा-महाराजा हर वर्ष मंदिर में सोने-चांदी की मुद्राएं और आभूषण समर्पित करते थे। ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में केवल सोने-चांदी व कीमती धातुओं के आभूषण ही नहीं बल्कि राजा-महाराजाओं के युद्ध के अस्त्र और मुकुट भी हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 21 Jul 2024 05:45 AM (IST)
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रत्न भंडार में सोने-चांदी के जेवरात ही नहीं, युद्ध के अस्त्र और राजाओं के मुकुट भी

 जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में केवल सोने-चांदी व कीमती धातुओं के आभूषण ही नहीं बल्कि राजा-महाराजाओं के युद्ध के अस्त्र और मुकुट भी हैं। रत्न भंडार में तलवार, भाला, कवच समेत कई ऐसे साजो-सामान हैं, जो स्वयं में अपने समय का इतिहास समेटे हैं।

पुरी के गजपति वंश के महाराजा समेत तमाम राजा-महाराजा हर वर्ष मंदिर में सोने-चांदी की मुद्राएं और आभूषण भक्ति स्वरूप समर्पित करते थे। गजपति महाराजा जितने राज्यों से युद्ध जीतते थे, उन सभी राजाओं के मुकुट लाकर भगवान के चरणों में रख देते थे, जो आज भी रत्न भंडार में रखे हैं।

रत्न भंडार जांच समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ रथ ने कहा है कि आंतरिक रत्न भंडार में सोने-चांदी के आभूषणों के साथ ही तलवार, भाला, कवच, ढाल, मुकुट समेत कई तरह के युद्ध के साजो-सामान भी हैं। काफी दिनों से रखे होने के कारण इनमें कुछ का रंग काला हो गया है। इन सभी को सील कर अस्थाई भंडार में रखा गया है।

आभूषण और अस्त्र कितने पुराने पता लगाया जाएगा

उन्होंने स्वीकार किया है कि रत्न भंडार में मुकुट है, कितने मुकुट हैं, वह किस राजा के मुकुट हैं, उसकी जानकारी उन्होंने नहीं दी। इतिहासकार अनिल धीर ने कहा कि एएसआई के पास यह पता लगाने की तकनीक है कि आभूषण और अस्त्र कितने पुराने हैं।

इतिहासकार भी उनके स्वरूप और आकृति का अध्ययन कर विशेष जानकारियां दे सकते हैं। रथ ने मंदिर के भीतर गुप्त खजाने और सुरंग जैसी चर्चाओं के संबंध में बताया कि ऊपरी तौर पर ऐसा कुछ नहीं मिला है। तकनीकी जांच के बाद इस बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।

रत्न भंडार में 747 तरीके के आभूषण

उन्होंने कहा कि हम सरकार से इसे एसओपी में जोड़ने का अनुरोध करेंगे। सरकार की मंजूरी के बाद ही हम उपलब्ध वैज्ञानिक तरीकों के साथ आगे बढ़ेंगे। मालूम हो कि 46 वर्ष पहले वर्ष 1978 में जब रत्न भंडार खुला था तब 70 दिनों तक आभूषणों की गिनती की गई थी। 1978 की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1978 में जगन्नाथ पुरी के रत्न भंडार में 747 तरीके के आभूषण मिले थे। इनमें 454 तरह के सोने के गहने थे।

गंग वंश के राजा ने दान किया था साढ़े 14 हजार किलो सोना

पुरी के वर्तमान जगन्नाथ मंदिर को 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंत बर्मन ने बनवाया था। उन्होंने मंदिर में दानस्वरूप सोने के हाथी, घोड़े, फर्नीचर, बर्तन व बहुमूल्य रत्न समर्पित किए थे। जगन्नाथ मंदिर के ऐतिहासिक दस्तावेज के अनुसार, गंग वंश के दूसरे राजा आनंद भीम देव ने लगभग साढ़े 14 हजार किलो सोना दान में दिया था, जिनसे भगवान की मूर्तियों के आभूषण बनाए गए थे।

कलिंग (वर्तमान में ओडिशा) पर गंग वंश के बाद सूर्यवंशी राजाओं ने शासन ने किया। इन्हें गजपति के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना राजा कपिलेंद्र देव ने की थी। साम्राज्य बंगाल से लेकर दक्षिण में कावेरी तक फैला था।

मंदिर को 18 बार लूटने की कोशिश हुई

राजा कपिलेंद्र के बारे में उल्लेख है कि दक्षिण में एक युद्ध के बाद जब राजा कपिलेंद्र वापस लौटे तो वहां से 716 हाथियों पर लादकर लाए गए सोने को उन्होंने श्रीजगन्नाथ मंदिर में दान कर दिया था। मंदिर के रत्न भंडार में काफी सोना जमा हो गया। खजाने के कारण मंदिर को 18 बार लूटने की कोशिश हुई।