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Odisha: फर्जी सिम बेचने और साइबर अपराध मामले में तीन और गिरफ्तार

Odisha ओडिशा में फर्जी सिम बेचने और साइबर अपराध मामले में ओडिशा क्राइम ब्रांच और तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इस मामले का पर्दाफाश करते हुए पहले ओडिशा क्राइम ब्रांच मामला दर्ज कर शनिवार को कुल नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Sun, 22 May 2022 03:40 PM (IST)
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ओडिशा में फर्जी सिम बेचने और साइबर अपराध मामले में तीन और गिरफ्तार। फोटो जागरण
कटक, जागरण संवाददाता। करोड़पति दुश्मंत साहू के फर्जी सिम बेचने के मामले के तार विभिन्न राज्यों में फैले हैं। यह बात क्राइम ब्रांच की जांच-पड़ताल में सामने आई है। फर्जी सिम बेचने और साइबर अपराध मामले में ओडिशा क्राइम ब्रांच और तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इस मामले का पर्दाफाश करते हुए पहले ओडिशा क्राइम ब्रांच मामला दर्ज कर शनिवार को कुल नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। ऐसे में अब ओडिशा के इस गैंग के खिलाफ दिल्ली और केरल पुलिस भी साइबर अपराध मामला दर्ज किया है। क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार होने वाले तीनों आरोपित हैं भुवनेश्वर कमांडो में रहने वाला नयागड जिला दसपल्ला थाना अंतर्गत टाकेरा गांव का प्रकाश चंद्र साहु। जोकि वोडाफोन आइडिया का टेरिटोरियल सेल्स मैनेजर के तौर पर कार्य करता था। केंद्रपड़ा जिला डेराबीस थाना अंतर्गत अढन्गा मालीकेसरपुर गांव का शांतनु कुमार साहू। जोकि खुरदा जिला टांगी में रहता था और वोडाफोन आइडिया का टेरिटोरियल सेल्स एक्सक्यूटिव के तौर पर कार्य करता था और जाजपुर जिला धर्मशाला थाना अंतर्गत दुबगाड़िया इलाके का उमाकांत महंती। जोकि वोडाफोन आइडिया का टेरिटोरियल सेल्स मैनेजर के तौर पर कार्य करता था। तीनों आरोपित सिम एक्टिवेशन के बाद पहले से गिरफ्तार होने वाले ज्ञान रंजन साहू के जरिए मुख्य आरोपित दुश्मंत साहू को सिम बेच रहे थे। इन आरोपितों के नाम पर क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर इन्हें कटक जेएमएफसी सिटी अदालत में शनिवार को हाजिर करने के बाद जेल भेज दिया है।

अधिकारी से की डील

दूसरी ओर, ओडिशा में दुश्मंत मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर अधिकारी के साथ एक बड़ा डील करने की बात भी क्राइम ब्रांच जांच-पड़ताल में जान पाई है। दुश्मंत एक सिम का इस्तेमाल कर 15 ओटीपी नाइजीरियन गैंग को बेचने के बाद उस सिम को तीन महीने बाद फिर जिओ, वोडाफोन आइडिया जैसी सर्विस प्रोवाइडर को पोटिंग कर उसी संस्थान के अधिकारियों को महीने के टारगेट को पूरा करने में मदद कर रहा था। इसके चलते दुश्मंत  को मोटी रकम भी मिल जाती थी। इसके अलावा लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला के नाम पर फर्जी वाट्सएप खोलने के लिए साइबर अपराधियों ने दुश्मंत के पास से मोबाइल ओटीपी खरीदे थे। यह बात भी क्राइम ब्रांच की जांच-पड़ताल में सामने आई है। दुश्मंत के पास से बरामद होने वाली 19 हजार 641 सिम में से कई सिम तीन महीने के बाद पोटिंग भी की गई थीं। इस तरह से दुश्मंत साइबर अपराधियों से और जिओ के कर्मचारियों से भी अच्छी कमाई करता था।

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