शातिर ऐसा की चट कर गया पूरा पहाड़, 50 करोड़ की धांधली का अनोखा मामला
बिसरा तहसील क्षेत्र के पास अवैध खनन का 50 करोड़ रुपये से अधिक की धांधली का अनोखा मामला सामने आया है यहां 20 साल में एक शातिर ने पूरा पहाड़ ही चट कर डाला।
राउरकेला, जेएनएन। प्रशासन की नाक के नीचे राउरकेला से महज बीस किमी दूर बिसरा तहसील क्षेत्र में लीज स्थल के स्थान पर दूसरी जगह 20 साल से पत्थर खनन कर एक शातिर ने पूरा पहाड़ चट कर दिया। खनन से निकलने वाले पत्थर को नियमित रूप से झारखंड के मनोहरपुर व चाईबासा सहित अन्य इलाकों में भेजा जा रहा था। मार्च 2019 में लीज नवीनीकरण के लिए जब आवेदन किया गया तो छानबीन में तहसीलदार दिलीप पटनायक ने धांधली पकड़ी। उन्होंने बिसरा थाना व बिसरा फॉरेस्ट रेंज के अधिकारियों को अवगत कराया।
लेकिन दोनों ने कोई कार्रवाई नहीं की तब ग्रामीण यह मामला क्राइम ब्रांच के संज्ञान में ले आए। जिसने शुक्रवार को जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक जांच में अनुमान है कि यह 50 करोड़ रुपये से अधिक की धांधली का मामला है। इस संबंध में राउरकेला के जगदा निवासी प्रताप प्रसाद के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
जानकारी के मुताबिक प्रताप प्रसाद ने बिसरा तहसील के माटीकुदा गांव में पत्थर क्वारी के लिए लीज लिया था। वहां एक मशीन से खनन करने की अनुमति मिली थी। प्रताप ने लीज जमीन से आगे करीब तीन एकड़ जमीन पर अवैध खनन किया तथा पास के जंगल को भी बगैर अनुमति के साफ कर दिया। एक के बाद
एक कर तीन क्रशर लगवाए तथा तैयार माल झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में भेजने लगा। मार्च में लीज की अवधि पूरी होने के बाद भी खनन जारी था। इस संबंध में शिकायत मिलने पर बिसरा के तहसीलदार दिलीप पटनायक समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और छानबीन की तो इसमें शर्तों का उल्लंघन पाया।
जंगल जमीन पर अवैध कब्जा कर खनन करने के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण के नियमों का भी उल्लंघन किया गया है। स्थानीय लोगों क्षेत्र में अवैध क्रशर चलने की शिकायत क्राइम ब्रांच से भी की थी। इसके आधार पर क्राइम ब्रांच के डीएसपी की अगुवाई में चार सदस्यीय टीम ने जांच शुरू की। शुक्रवार व शनिवार को मौके पर जाकर छानबीन की। प्राथमिक जांच में नियम का उल्लंघन पाए जाने तथा सरकार को इसकी रिपोर्ट देने की बात कही गयी है। दूसरी ओर इससे सरकार को राजस्व की कितनी हानि हुई है इसकी भी जांच की जा रही है। मामले में जिलापाल ने भी रिपोर्ट मिलने के बाद कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है।
प्रशासन की नाक के नीचे बीस साल से चल रहा था गोरखधंधा बीस साल यानी दो दशक से यहां खनन हो रहा था और इस पर प्रशासनिक अधिकारियों की कभी नजर नहीं पड़ी। यह बात क्राइम ब्रांच हो हजम नहीं
हो रही है। लिहाजा जांच के दायरे में कुछ अधिकारियों के भी आने की आशंका जाहिर की जा रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार फिलहाल मामला 50 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का लग रहा है। लेकिन इसमें बढ़ोतरी की गुंजाइश भी है। जांच के बाद ही सटीक आकलन हो पाएगा कि यह कितने करोड़ का घोटाला है।