कृष्णचंद्र दास ने बढ़ाया ओडिशा का गौरव, परमाणु अनुसंधान पाठ्यक्रम के लिए हुआ चयन
सुंदरगढ़ के रहने वाले कृष्णचंद्र दास को परमाणु अनुसंधान पाठ्यक्रम के लिए चुना गया है। हैदराबाद में भावा परमाणु अनुसंधान केंद्र के लिए चौथे भूविज्ञानी के रूप में चुना गया है। 2016 में आइआइटी जेम की परीक्षा देकर भारत में छठे और पहले ओडिशा से पहले स्थान पर आए थे।
राउरकेला, जागरण संवाददाता। सुंदरगढ़ की मिट्टी से निकले कई लड़कों और लड़कियों ने खेल कौशल के दम पर पूरे देश का नाम रोशन किया है। जिसमें एक और कड़ी सुंदरगढ़ के पुत्र कृष्णचंद्र दास ने जोड़ दी है। हालांकि वे खेल के क्षेत्र में नहीं बल्कि परमाणु अनुसंधान पाठ्यक्रम के लिए चयनित होकर ओडिशा का गौरव बढ़ाया है। उन्हें हैदराबाद में भावा परमाणु अनुसंधान केंद्र के लिए चौथे भूविज्ञानी के रूप में चुना गया है। 20 प्रत्याशियों में से उनके साथ ओडिशा के क्योंझर जिले का एक अन्य छात्र चंदन कुमार महापात्र भी शामिल है।
बचपन से मेधावी था कृष्णचंद्र
सुंदरगढ़ नगरपालिका में रंगाढीपा की विधवा मां रंजना दास के पुत्र कृष्णचंद्र को इसके लिए कम संघर्ष नहीं करना पड़ा। उनके पिता, सुशांत दास, वन विभाग में क्लर्क के रूप में काम करते थे। बचपन से ही कृष्णचंद्र मेधावी था। किसी विषय को वह केवल पढ़ता ही नहीं था, बल्कि उसके अंदर घुसकर उसका पोस्टमार्टम कर डालता था। गणित उसकी पसंदीदा विषय था। उनके सहपाठी सुब्रत कुमार कालो का कहना है कि कृष्णचंद्र जब दसवीं कक्षा में थे तो वे कॉलेज के छात्रों को भी गणित समझाया करते थे। 2011 में सुंदरगढ़ के अरविंद पूर्णांग शिक्षा और अनुसंधान केंद्र से मैट्रिक पूरा करने के बाद, उन्होंने सुंदरगढ़ सरकारी कॉलेज से प्लस टू व प्लस थ्री की पढ़ाई पूरी की थी।
पिता के निधन के बाद टूट गया कृष्ण चंद्र
2016 में उन्होंने आइआइटी जेम की परीक्षा देकर भारत में छठे और पहले ओडिशा से पहले स्थान पर आए थे। जिसके बाद उन्होंने मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में एमएस अध्ययन के लिए गए थे। इसी दौरान उनके पिता का अगस्त 2016 में निधन हो गया था। जिसके बाद कृष्ण चंद्र पूरी तरह से टूट गया था। कृष्णचंद्र इस कदर टूट गया था कि अपने पिता के अंतिम संस्कार में आने के साथ अपनी पढ़ाई छोड़ने की सोच रहे थे। लेकिन उनकी मां ने उन्हें मुंबई जाने के लिए फिर से प्रेरित किया। कृष्णचंद्र ने परमाणु अनुसंधान पाठ्यक्रम के लिए चुने जाने की सफलता के लिए अपने स्वर्गीय पिता और माता के साथ-साथ भूतत्व विज्ञानी डॉ तापस कुमार को श्रेय दिया। सुंदरगढ़ की मिट्टी को गौरवान्वित करने वाले कृष्णकांत की सफलता ने सुंदरगढ़ के लोगों की आंखों में खुशी ला दी है।