58 में महज चल रही है 27 ट्रेनें, दस राज्य के लोग प्रभावित
राउरकेला इस्पात शहर की रेलवे द्वारा उपेक्षा की जा रही है। इस कारण अब तक आधे से अधिक ट्रेनें बंद पड़ी हुई है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला :
राउरकेला इस्पात शहर की रेलवे द्वारा उपेक्षा की जा रही है। इस कारण अब तक आधे से अधिक ट्रेनें बंद पड़ी हुई है। पहले राउरकेला होकर दैनिक 58 ट्रेनें चलती थीं। लेकिन वर्तमान केवल 27 ट्रेनों का ही परिचालन किया जा रहा है। आधे से अधिक ट्रेने बंद है। पहले राउरकेला से मासिक यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या 2.37 हजार थी। लेकिन वर्तमान मासिक 25 हजार यात्री ही यात्रा कर रहे है। ट्रेनों के बंद होने के कारण 10 से अधिक राज्य के लोग समस्या का सामना कर रहे है। राउरकेला रेलवे स्टेशन दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर जोन के अंतर्गत आता है। स्मार्ट सिटी राउरकेला में रहने वाले ओडिशा सहित देश के एक दर्जन से अधिक अन्य राज्यों के हजारों लोग राउरकेला स्टेशन पर निर्भर हैं। कोरोना का हवाला देकर रेलवे अधिकांश ट्रेनों को चलाने की अनुमति देने से हिचक रहा है। 58 एक्सप्रेस में से, राउरकेला से प्रतिदिन चलने वाली पैसेंजर और इंटरसिटी ट्रेनों में से अब केवल 24 ही चलती हैं। राउरकेला से देश के प्रमुख शहरों के लिए दैनिक और साप्ताहिक आधार पर अधिकांश प्रमुख रेल सेवाएं कोविड लॉकडाउन के बाद से पूरी तरह से बंद हैं। राजधानी भुवनेश्वर जाने वाली अधिकांश ट्रेनें बंद रहने के कारण लोग परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहले, राउरकेला से प्रति माह 2,37,719 टिकट बुक किए जाते थे। प्रतिदिन 7,000 से अधिक टिकट बेचे जाते थे। इससे छह लाख रुपये से अधिक की आय होती थी। अकेले जनवरी 2020 में, 48483 टिकट बुक किए गए थे और फरवरी में 47,304 टिकट बुक किए गए थे। जनवरी 2021 में 19,272 टिकट बुक किए गए थे और फरवरी में 24,466 आरक्षण टिकट बुक किए गए थे। ट्रेन का सफर सामान्य नहीं होने के कारण यात्री परेशान हैं। रेलवे का राजस्व घट रहा है। दिहाड़ी मजदूर, नौकरीपेशा, व्यापारी, विद्यार्थी विभिन्न समस्या से जूझ रहे हैं। बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सैकड़ों व्यापारी, जो खासकर राउरकेला शहर पर निर्भर हैं, पीड़ित हैं। ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, राजस्थान, केरल, गुजरात और आंध्र प्रदेश के लोग, जो राउरकेला स्टील प्लांट व आसपास स्थित संयंत्रों में काम करके अपने परिवार का भरण पोषण करते है वे भी प्रभावित हैं। कुली, ऑटो चालक और अन्य छोटे और व्यापारियों का व्यवसाय डूब रहा हैं। रेलवे की इस लापरवाही पर आम लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है।