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ं पैरा ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले प्रमोद भगत को पद्मश्री सम्मान

जापान की राजधानी टोक्यो में हुए पैरा ओलिंपि बरगढ़ जिला के अत्ताबिरा निवासी प्रमोद भगत ने बैडमिटन के पुरुष एकल फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बॉथम को 2-0 से हरा कर इतिहास रच दिया था।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 26 Jan 2022 07:44 AM (IST)
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ं पैरा ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले प्रमोद भगत को पद्मश्री सम्मान

जागरण संवाददाता, राउरकेला : जापान की राजधानी टोक्यो में हुए पैरा ओलिंपि बरगढ़ जिला के अत्ताबिरा निवासी प्रमोद भगत ने बैडमिटन के पुरुष एकल फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बॉथम को 2-0 से हरा कर इतिहास रच दिया था। उन्होंने भारत के लिए एक और गोल्ड मेडल प्राप्त कर न सिर्फ भारत बल्कि ओडिशा का भी गौरव बढ़ा दिया। उन्हें खेल के लिए पद्मश्री सम्मान दिया जा रहा है।

एक पैर से पोलियो ग्रस्त होने के बावजूद बरगढ़ जिला के अत्ताबिरा निवासी प्रमोद भगत ने अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन कर अगस्त 2019 में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था। करीब चार दशक पहले, बिहार से आकर बरगढ़ जिला के अत्ताबिरा में बसे कैलाश भगत पेशे से ट्रक चालक थे। वे पत्नी कुसुम देवी समेत दो बेटे और चार बेटियों के साथ रहते थे। आठ सदस्यों का यह परिवार किसी तरह गुजर-बसर कर रहा था। कैलाश के दो बेटों में शेखर बड़ा और प्रमोद छोटे हैं। जब प्रमोद चार वर्ष के थे, तभी उनका एक पैर पोलियो ग्रस्त हो गया। माता-पिता ने उनका इलाज भी कराया, लेकिन विशेष लाभ नहीं हुआ। इसी बीच पिता कैलाश की मौत हो गई और दोनों बेटों पर परिवार का बोझ आ गया। बड़े बेटे शेखर ने पैसों का जुगाड़ कर पान की दुकान खोल लिया। प्रमोद भी पान की दुकान में बड़े भाई का हाथ बंटाने लगे। प्रमोद को बचपन से पढ़ाई और बैडमिटन खेलने का शौक था। पान दुकान की सीमित कमाई से प्रमोद ने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की। फिर हीराकुद स्थित आइटीआइ में दाखिला लेकर डिप्लोमा हासिल किया। पान दुकान की आड़ में वह पंखा रिपेयरिंग का काम भी करने लगे। इस दौरान समय निकाल कर वह बैडमिंटन भी खेला करते थे। खुले मैदान में धूप-बारिश उनके खेल में बाधक बन जाती थी। ऐसे में प्रमोद ने अत्ताबिरा स्थित आरएमसी के गोदाम को अपना खेल मैदान बना लिया और वहां अभ्यास करने लगे।

प्रमोद जिला व राज्यस्तरीय टूर्नामेंट खेलने के बाद वर्ष 2006 में सेकंड आल इंडिया सुपर सिक्स पैरा चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर सिगल और डबल्स में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद 2018 तक प्रमोद ने देश में आयोजित विभिन्न चैंपियनशिप में स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक जीते। वर्ष 2007 से उन्हें अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला और विदेश में भी उन्होंने कई पदक जीते। वर्ष 2019 में उन्हें आइडब्लूएएस व‌र्ल्ड गेम्स बैडमिंटन सिगल और मिक्स डबल्स में स्वर्ण और डबल्स में रजत पदक मिला था। 2022 की शुरुआत से पद्मश्री पाकर बहुत खुश हूं : प्रमोद भगत पद्मश्री से सम्मानित होने से पहले पैरा ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता प्रमोद भगत ने कहा मै राज्य के लोगों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं 2022 की शुरुआत से पद्मश्री पाकर बहुत खुश हूं। राज्य के लोगों हमेशा इसी तरह मुझे समर्थन देते रहे तो मैं और गौरव लाउंगा। ओडिशा सरकार शुरू से ही सहयोग कर रही है।

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