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लंबा होता जा रहा है राउरकेला की जीवन रेखा के उद्धार का इंतजार

सुंदरगढ़ से राउरकेला को जोड़ने वाले 65 वर्ष पुराने ब्राह्मणी नदी पुल की हालत जर्जर जगह-जगह क्रैक नए पुल का निर्माण शुरू होने के बाद गति काफी धीमी।

By Babita kashyapEdited By: Updated: Mon, 09 Dec 2019 12:18 PM (IST)
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लंबा होता जा रहा है राउरकेला की जीवन रेखा के उद्धार का इंतजार

राउरकेला, जेएनएन। जिला मुख्यालय सुंदरगढ़ से राउरकेला को जोड़ने वाली ब्राह्मणी नदी पुल पर नए पुल का इंतजार लंबा होता जा रहा है। लंबे समय तक राजनीतिक मुद्दा बना रहने के बाद करीब दो साल पहले केंद्र सरकार की पहल पर नए पुल का निर्माण तो शुरू हुआ लेकिन समस्याओं के मकड़जाल में मामला ऐसा अटका कि फिर सबकुछ लगभग ठप है।

भूमि अधिग्रहण बनी सबसे बड़ी बाधा ब्राह्मणी नदी पर बननेवाले नए पुल के लिए सबसे बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण को लेकर सामने आ रहे विवाद हैं। दांडियापाली की ओर से निर्माण कार्य शुरू किया गया। विस्थापित होने वाले कुछ परिवारों ने तो मुआवजा ले लिया लेकिन कई परिवार अधिक मुआवजा

दिए जाने की मांग पर अड़े रहे।

कई बार हो चुका धरना-प्रदर्शन

पानपोष में ब्राह्मणी नदी पर दूसरे पुल के निर्माण में विलंब के खिलाफ राजनैतिक व सामाजिक संगठनों की ओर से कई बार आंदोलन, धरना-प्रदर्शन किया गया। कळ्छ स्थानीय नेताओं ने विलंब के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। वर्तमान पुल से होकर गुजरने वाली सड़क ओडिशा के इस हिस्से के लिए आर्थिक जीवन रेखा की तरह है। इन इलाकों में कई उद्योग-धंधे हैं। आज भी औद्योगीकरण की रफ्तार जारी है। बड़े सार्वजनिक हित के मद्देनजर कमजोर पड़ चुके मौजूदा पुल पर भारी यातायात को जल्द ही कम किए जाने की तत्काल जरूरत महसूस की जा रही है। 

छह लेन का बनना है नया पुल

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से एनएच 143 पर बीरमित्रपुर से लेकर बारकोट तक सड़क निर्माण की योजना तैयार की गई है। इस योजना में ब्राह्मणी नदी पर बननेवाला नया पुल भी शामिल है। इस प्रोजेक्ट को मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है।  

 

अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री ने की थी नए पुल की घोषणा

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्र सरकार से ब्राह्मणी नदी पर एक और पुल बनाए जाने का कई बार अनुरोध किया। 1 अप्रैल 2015 को राउरकेला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वितीय ब्राह्मणी पुल, आइजीएच को

मेडिकल कॉलेज एवं सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, राउरकेला से हवाई सेवा शुरू करने की घोषणा की थी। वहीं 21 जुलाई 2017 को तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन व जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने 15 दिन के अंदर में पुल का काम शुरू करने की घोषणा की।

काम शुरू होते ही उलझ गया मामला

नए पुल के निर्माण में रूपटोला घाट साइड में अतिक्रमण हटाकर जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया पर दांडियापाली की ओर सभी लोगों को जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया। इस कारण यहां निर्माण के लिए आवश्यक जगह खाली नहीं कराई जा सकी है।

लोग मुआवजे में भेदभाव को शिकायत करते रहे हैं। उनका कहना है कि इस समस्या का समाधान मौके पर जाकर नहीं बल्कि राजनीतिक, सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों एवं स्थानीय लोगों के साथ कहीं बैठ कर समाधान निकालने की जरूरत है ताकि निर्माण कार्य सुचारु चल सके।

एनएचएआइ की ओर से अधिग्रहण के लिए दिए गए 60 करोड़ शुरुआती चरण में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की ओर से जमीन अधिग्रहण के एवज में सरकार को साठ करोड़ रुपये का आवंटन किया जा चुका है। बताया जाता है कि यह राशि खर्च भी नहीं की जा सकी।

पुल निर्माण के लिए 382 करोड़ निर्गत

केंद्र सरकार की ओर से इस नए पुल का निर्माण करने के लिए 382 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। इसके बावजूद काम आगे नहीं बढ़ना कई सवाल पैदा करता है। जर्जर हो चुका पुराना पुल  हादसे को दावत दे रहा है।

व्यावसायिक उद्देश्य से 1965 में बना था पहला पुल 1955 में राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना के बाद आवागमन व व्यावसायिक जरूरतों के मद्देनजर यहां एक पुल का निर्माण 1965 में किया गया जो अब काफी जर्जर हो चला है। इस बीच 14 सितंबर 2019 को पुराना पुल क्षतिग्रस्त हो गया। दोनों ओर से पांच किलोमीटर तक वाहनों का लंबा जाम लग गया। एनएचएआइ के अधिकारियों ने तत्परता दिखाते हुए इसकी मरम्मत की। आज भी वाहनों का आवागमन समय-समय पर बाधित होता रहता है। हैदराबाद की जीकेसी प्रोजेक्ट लिमिटेड की ओर से फस्र्ट पैकेज के तौर पर बीरमित्रपुर से राउरकेला तक 381.75

करोड़ में पुल सहित सड़क बनाने का काम शुरू किया है।

कभी भी हो सकता है हादसा

करीब 65 वर्ष पुराने हो चुके पुल की हालत इतनी जर्जर है कि कब कोई बड़ा हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता। बार-बार इस पळ्ल पर दरारें आती हैं। एनएचएआइ की पहल पर मरम्मत का कार्य चलता है। एक ओर मरम्मत होती है तो दूसरी ओर से धीरे-धीरे वाहनों को निकाला जाता है।

2012 में भी शुरु हुआ था पुल के निर्माण का कार्य वर्ष 2012 में भी ब्राह्मणी नदी पर दूसरे पुल के निर्माण की कोशिश हुई थी। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। इसके लिए 884 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। गैमन इंफ्रास्टक्चर प्राइवेट लिमिटेड को ब्राह्मणी नदी पर पुल सहित बीरमित्रपुर से बाराकोट तक फोर लेन हाइवे के निर्माण का ठेका दिया गया। कंपनी ने निर्माण शुरू कर दिया था।

भूमि अधिग्रहण के पेच में निर्माण फंस गया। बालूघाट व पानपोश के लोगों के भारी विरोध और समय पर कंपनी को जमीन उपलब्ध नहीं कराए जाने पर काम ठप पड़ गया। कंपनी ने भी भारी नुकसान उठाने के बाद अपने पैर पीछे खींच लिए। 

 

मई 2018 में शुरू किया गया निर्माण कार्य, दो साल में पूरा करने का था लक्ष्य

  • मई 2018 में नए पुल का निर्माण कार्य शुरू किया गया। नवंबर 2020 तक इसे पूरा करने की बात कही गई।
  • ब्राह्मणी नदी पर बनने वाले नए पुल की कुल लंबाई 29. 1 किलोमीटर
  • पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से क्लीयरेंस मिलने में भी हुआ विलंब।
  • 21 जुलाई 2017 में तत्कालीन राष्ट्रीय राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पुल व सड़क की रखी आधारशिला 
  • उस समय दिए गए थे 550 करोड़, दो साल में पूरा करने का था लक्ष्य।
  • नया पुल राजमुंद्रा से बीरमित्रपुर सिक्स लेन एनएच का हिस्सा।
  • अक्टूबर 2018 से काम बंद। बीच- बीच में मंथर गति से हो रहा काम, समय पर पूरा हो पाना मुश्किल
  •  डर के साये में पुराने पुल से होकर लोगों का गुजरना बन चुकी मजबूरी
  • बार-बार होने वाले क्रैक की दो लेन का है

पुराना पुल ब्राह्मणी नदी के ऊपर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-143 पर पुराना दो लेन का संकरा पुल ही आज भी उपयोग में लाया जा रहा है। यह पुल भी जीर्ण स्थिति में है और यात्री एवं व्यावसायिक परिवहन की सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित नहीं है। अक्सर मरम्मत के नाम पर इसके एक हिस्से को बंद कर दिया जाता है। बची जगह से वाहनों को गुजारा जाता है। फिर कहीं और टूट-फूट हो जाती है। 

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