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कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय महिला फुटबाल खिलाड़ियों का जनक कुआरमुंडा में प्रशिक्षण के लिए अभी भी नहीं है स्तरीय मैदान

कई अंतरराष्ट्रीय और अनेक राष्ट्रीय महिला फुटबाल खिलाड़ियों का जनक कुआरमुंडा आज भी महिला फुटबाल खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए उचित मैदान से महरूम है। यहां की लड़कियां आज भी कठोर मैदान पर अभ्‍यास करने को मजबूर है।

By Babita kashyapEdited By: Updated: Sat, 19 Dec 2020 12:55 PM (IST)
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राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाला सुधार की बाट जोह रहा है कुआरमुंडा मैदान

राउरकेला, जागरण संवददाता। कई अंतरराष्ट्रीय और अनेक राष्ट्रीय महिला फुटबाल खिलाड़ियों का जनक कुआरमुंडा फुटबाल सीखने की इच्छुक लड़कियों को प्रशिक्षण व अभ्यास के लिए अभी भी एक स्तरीय मैदान उपलब्ध करा पाने में विफल रहा है। गरीब आदिवासी परिवारों से आई छोटी मासूम बच्चियां जो भविष्य में राज्य और देश के लिए खेलना का सपना लिए मैदान में पसीना बहाती हैं उन्हें वर्षों के बाद भी एक समतल, पत्थर, कंकड़ विहीन अच्छा मैदान नसीब नहीं हो पाया है। विधायकों, सांसद, मंत्री के यहां आकर दिए आश्वासनों के बावजूद कुआरमुंडा मैदान एक जिला स्तरीय मैदान बनने की बाट जोह रहा है। छोटी लड़कियां अभी भी कठोर मैदान पर अभ्यास करने को विवश हैं। 

 कुछ समर्पित फुटबाल प्रेमियों द्वारा स्थापित यंग एसोसिएशन के तत्वावधान में इस अंचल की आदिवासी लड़कियां यहां फुटबाल में एक मुकाम हासिल करने के लिए पिछले कई वर्षों से परिश्रम कर रही हैं। क्लब के पदाधिकारियों और प्रशिक्षकों के सीमित संसाधनों के बावजूद लड़कियों की लगन और प्रतिभा के बल पर यंग एसोसिएशन सुंदरगढ़ जिले में महिला फुटबाल प्रशिक्षण के सर्वप्रमुख केंद्र के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुका है। इसे राज्य ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों से विभिन्न प्रतियोगिताओं समेत प्रदर्शनी मैचों के लिए आमंत्रित किया जाता है। यह क्लब कई प्रतियोगिताएं जीतता रहता है। क्लब की लड़कियां 2006 के बाद से निरंतर जिला और राज्य दल में स्थान पा रही हैं। इस सबके बावजूद यहां अच्छे मैदान का नहीं होना पीड़ा दायक है।

  यहां से निकली राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों की सूची लंबी

 कुआरमुंडा के पुराने फुटबाल खिलाड़ी एंथोनी भेंगरा, अश्विनी पथाल, प्रमोद सुनानी, रथो उरांव द्वारा स्थापित यंग एसोसिएशन महिला फुटबाल के विकास में लगा हुआ हैं। यहा 35-40 छोटी लड़कियां प्रतिदिन अभ्यास करती हैं। पुलिस विभाग में कार्यरत चित्त महाकुड़ उन्हें फुटबाल खेल के मूल गुर सिखाने के साथ खेल की रणनीति भी सिखाते हैं। 

 2006 से यहां की लड़कियों का राज्य दल में चुने जाने का सिलसिला शुरू हुआ जो चल रहा है। उस वर्ष सरोजिनी तिर्की व अनिता मुंडू राष्ट्रीय स्कूल क्रीड़ा हेतु पहली बार चुनी गई थीं। उसके बाद से इस क्लब से मनीषा पन्ना, मनीषा तिर्की, आशा केरकेट्टा, गुड्डी तिर्की, ज्योत्सना किसान, सोनाली उरांव, गुरवारी मिंज, प्रतिमा मिंज, हेमा खाखा, जूली किसान, गंगा मुंडारी, मोनिका मिंज, ज्योत्स्ना लकड़ा, आश्रिता कंगाडी, जनहवी किसान, प्यारी खाखा जैसी प्रतिभाएं यहां से प्रकाश में आ चुकी हैं।

  राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है ये खिलाड़ी

 अनिता मुंडू को बांग्लादेश जाने का मौका मिल चुका है। उसके अलावा प्यारी खाखा, मनीषा पन्ना भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। प्यारी खाखा को देश की श्रेष्ठ जूनियर खिलाड़ी का पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इतनी उपलब्धियों के बाद भी मैदान के प्रति प्रशासन का  उपेक्षा भाव पीड़ा दायक है। क्लब के पदाधिकारियों ने क्षेत्र के विधायकों, सांसदों, मंत्रियों का ध्यान कई बार मैदान की दुर्दशा की ओर खींचा है और मदद की गुहार लगाई है। कइयों ने मदद की कोशिश भी की है। पर मैदान स्थिति में अधिक सुधार नहीं हुआ है। हॉकी खिलाड़ी दिलीप तिर्की ने राज्यसभा सांसद रहते हुए मैदान के विकास के लिए पांच लाख दिये थे। जिससे यहां ड्रेसिंग रूम बनाया गया है। चार वर्ष पूर्व क्रीड़ा मंत्री रहते हुए सुदाम मरांडी भी यहां आए थे। उन्होंने बीस लाख रुपए दिये जो एक जिम हाल बनाने पर खर्च कर दिये गए। लेकिन अभी जिम में व्यायाम के उपकरण आना बाकी है।

 मैदान के विकास के लिए 50 लाख स्वीकृत करने का दावा

 गत वर्ष चुनाव में विधायक बनने के बाद शंकर ओराम ने इस मैदान का दौरा किया था। उन्होंने  मैदान के सतह को सुधारने और भय मुक्त होकर फुटबाल अभ्यास लायक बनाने हेतु तत्काल कदम उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से बात कर मैदान के विकास के लिए अतिरिक्त पैसे भी स्वीकृत करवाये। शंकर ओराम ने गत वर्ष ही इस संवाददाता को बताया था कि उन्होंने मैदान के विकास के लिए पचास लाख रुपये मंजूर करवाएं हैं। पर पैसे स्वीकृति के बावजूद यहां कोई काम नहीं हुआ है। यह दुखद होने के साथ आश्चर्य जनक भी है कि अधिकारियों के लिए जनप्रतिनिधि का कोई अर्थ नहीं है। प्रशासन के उदासीन रवैये से तंग होकर गत वर्ष क्लब के अध्यक्ष एंथोनी भेंगरा, अश्विनी पथाल ने अपने प्रयासों से मैदान में हल चलवा कर कठोर सतह को नरम बनाने का काम किया है जिसके फलस्वरूप सतह थोड़ी बेहतर हुई है। कहीं घास दिखने लगी है। लेकिन वह पर्याप्त नहीं है।

  कुआरमुंडा मैदान में हो बड़ी फुटबॉल प्रतियोगिता

 यंग एसोसिएशन का सपना है कि यहां भी एक बड़ी महिला फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सके। पर उसके लिए अच्छे मैदान के साथ अन्य सुविधाओं का उपलब्ध होना आवश्यक है। पैसों की स्वीकृति के बाद प्रशासन को तत्काल मैदान का स्तर सुधारने हेतु कदम उठाने चाहिए। जिससे कुआरमुंडा मैदान पर बच्चियां निर्भय होकर अभ्यास कर सके और यहां जरूरत पड़ने पर उच्च स्तर की महिला फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जा सके।

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