दिसंबर में है घूमने का प्लान, तो मन मोह लेगी ओडिशा की ये वादियां
ओडिशा के राउरकेला में स्थित पर्यटन स्थल प्रकृति का अनुपम सौंदर्य समेटे हुए हैं दिसंबर का महीना यहां घूमने के लिए सबसे बढ़िया समय है।
By Babita kashyapEdited By: Updated: Tue, 10 Dec 2019 03:15 PM (IST)
राउरकेला, जेएनएन। राउरकेला और इसके आसपास के पर्यटन स्थल प्रकृति का अनुपम सौंदर्य समेटे हुए हैं। इन पर्यटन स्थलों में पहाड़ों से घिरे डैम और जल प्रपात की सुहानी वादियां आपके मन को मोहित कर देंगी। दो पहाडों के बीच मौजूद पितामहल और तंग वादियों में स्थित मंदिरा डैम के आसपास प्राकृतिक छटा को कुदरत ने बड़े करीने से उकेरा है। दिसंबर प्रकृति की सुंदरता के इन अनोखे खजाने को निहारने का बढ़िया समय है।
इन पर्यटन स्थलों पर मौजूद हरियाली देख आप रोमांचित हो जाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाने वाले खंडाधार जल प्रपात की अठखेलियां करती जल धारा आपकी निगाहों को सुकून पहुंचाएगी। यही नहीं, जम्मू की तर्ज पर दुर्गा पहाड़ी पर स्थित वैष्णोदेवी मंदिर और शंख व कोयल नदी के संगम पर मौजूद वेद व्यास मंदिर यूं तो धार्मिक स्थल हैं लेकिन, यहां भी प्राकृतिक छटा दर्शनीय है।वेद व्यास मंदिर
राउरकेला में ही कोयल व शंख नदी के संगम पर वेद व्यास मंदिर भी दर्शनीय स्थल है। जहां दोनों नदियां मिलती हैं वहां की प्राकृतिक छटा भी रमणीक है। मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास ने इसी जगह पहाड़ी की गुफा में बैठ कर महाभारत की रचना की थी। वेद व्यास मंदिर मंदिर की चट्टानों की आड़ में बना है। बताते हैं कि यहां निर्माण में एक भी पेड़ काटा नहीं गया। महर्षि व्यास स्थल पर एक वेद वीथी है। माना जाता है कि इसी वीथी पर बैठ कर महाभारत की रचना की थी। वेद व्यास मंदिर के पहले एक वैदिक गुरुकुल आश्रम भी है।
मंदिरा डैमराउरकेला के पास कांसबहाल में शंख नदी पर बना ये डैम पर्यटक स्थल है। डैम वहां बनाया गया है जहां शंख नदी तंग घाटियों में प्रवेश करती है। घाटियों के बीच डैम का मंजर मन को मोह लेता है। अगर आप तनाव में हैं तो यहां का प्राकृतिक नजारा आपको सुकून देगा। डैम के आसपास मौजूद पहाड़ियां यहां की खूबसूरती को चार चांद लगाती हैं। 1975 में राउरकेला स्टील प्लांट के लिए तैयार इस डैम को देखने के लिए भी पर्यटक आते हैं। यहां आने वाले पर्यटक डैम में बोटिंग का भी आनंद लेते हैं। पिता महल डैम अगर आप वेदव्यास मंदिर के पास हैं तो इसका दर्शन करने के बाद यहां से 16 किलोमीटर दूर बालंडा गांव के पास पितामहल डैम जाना नहीं भूलें। राउरकेला से लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित ये डैम शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल में शुमार होने लगा है।
यहां खूब पर्यटक आते हैं। दो पहाड़ों के बीच स्थित डैम प्रकृति की मनोरम छटा प्रस्तुत करता है। डैम का नजारा भी मनमोहक है। यहां का पार्क भी बच्चों के आकर्षण का केंद्र है। डैम के बंग्ले में ठहरने की सुविधा भी है। पर्यटन विभाग ने इस स्थल को खूबसूरत बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हनुमान वाटिका
राउरकेला में रिंग रोड पर जनरल हास्पिटल के पास हनुमान वाटिका मंदिर धार्मिक व पर्यटन स्थल है। यहां हनुमान जी की विश्व की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति है। 75 फीट ऊंची इस प्रतिमा का निर्माण हैदराबाद के मूर्तिकार लक्ष्मण स्वामी ने किया था। दूर दूर से लोग हनुमान वाटिका देखने आते हैं। हनुमान वाटिका में 12 ज्योतिर्लिंग, बट्टा मंगला देवी मंदिर, सरला देवी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, लक्ष्मी और संतोषी माता का मंदिर भी है। यहां सांई बाबा मंदिर में शिरडी जैसी ही उनकी मूर्ति स्थापित की गई है।
पिता महल डैमअगर आप वेदव्यास मंदिर के पास हैं तो इसका दर्शन करने के बाद यहां से 16 किलोमीटर दूर बालंडा गांव के पास पितामहल डैम जाना नहीं भूलें। राउरकेला से लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित ये डैम शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल में शुमार होने लगा है। यहां खूब पर्यटक आते हैं। दो पहाड़ों के बीच स्थित डैम प्रकृति की मनोरम छटा प्रस्तुत करता है। डैम का नजारा भी मनमोहक है। यहां का पार्क भी बच्चों के आकर्षण का केंद्र है। डैम के बंग्ले
में ठहरने की सुविधा भी है। पर्यटन विभाग ने इस स्थल को खूबसूरत बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। खंडाधार झरनाराउरकेला से 104 किमी दूर खंडाधार देश का 12 वां सबसे ऊंचा जल प्रपात है। देश विदेश से सैलानी आकर यहां 244 मीटर ऊंची पहाड़ी से गिरते जल का आनंद लेते हैं। कांता देवी पीठस्थली पर दूर से तलवार जैसी चमकती दिखती पानी की धार पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। खंडाधार जल प्रपात देखने के लिए यहां सैलानी जमा हैं। इस मौसम में खंडाधार जल प्रपात का मनोरम दृश्य मन को मोहित कर देता है। पर्यटकों की सहूलियत के लिए पर्यटन विभाग ने कोरानाला पर पुल बना दिया है। नाला में उतर कर जल का आनंद लेने को सीढ़ियां बनाई गई हैं। जल प्रपात तक जाने के लिए बणईगढ़ से बस मिलती है। खंडाधार में ठहरने के लिए गेस्ट हाउस भी है।
वैष्णो देवी मंदिरअगर आप जम्मू के वैष्णोदेवी मंदिर नहीं गए हैं तो राउरकेला में दुर्गा हिल की चोटी पर स्थापित वैष्णोदेवी मंदिर के दर्शन कर लें। 2003 में बना ये मंदिर हूबहू जम्मू के वैष्णोदेवी मंदिर जैसा ही है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 750 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर के आसपास की प्राकृतिक छटा और पहाड़ की गुफाएं पर्यटकों का मन मोह लेती हैं। पर्यटक मंदिर से राउरकेला नगर का भव्य नजारा करते हैं। बताते हैं कि 25 फरवरी 1996 में पहाड़ी की तलहटी पर शिवमंदिर में चंडी यज्ञ के दौरान एक गुफा होने की बात सामने आई थी। इसके बाद ही यहां मंदिर का निर्माण हुआ। वैष्णोदेवी मंदिर के पास ही भैरवनाथ मंदिर भी है। यहां दुर्गा मंदिर भी है। ओडिशा की अन्य खबरें पढऩे के लिए यहां क्लिक करें
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।