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Odisha News : PM कृषि सिंचाई योजना ने बदली किसानों की दशा, बंजर भूमि पर उगा दिए बेर; अब होगी लाखों की कमाई

सुंदरगढ़ के किसानों ने बंजर भूमि पर खेती की राह तलाश ली है। यहां पर बेर की खेती कर किसानों ने अच्छी कमाई का जरिया ढूंढ लिया है और इस खेती से किसानों को लाखों की कमाई की आशंका है। बता दें कि सुंदरगढ़ के किसानों के लिए पीएम कृषि सिंचाई योजना से नई क्रांति आई है। इस योजना से हरेक किसान को 20-20 हजार का लोन दिया गया।

By Mahendra MahatoEdited By: Shashank ShekharUpdated: Mon, 18 Dec 2023 01:39 PM (IST)
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Odisha News : PM कृषि सिंचाई योजना ने बदली किसानों की दशा, बंजर भूमि पर उगा दिए बेर
जागरण संवाददाता, राउरकेला। ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के हेमगिर ब्लॉक स्थित टांगरडीह गांव की मिट्टी में धान व अन्य फसल उगाना संभव नहीं है। पथरीली जमीन पूरी तरह से बंजर पड़ी थी। इस जमीन पर अब बेर की खेती हो रही है एवं ग्रामीणों को इससे अच्छा रोजगार मिल रहा है।

गांव के जितेंद्र भैंसाल व रंजन भैसाल ने इस जमीन पर खेती के लिए इंटरनेट पर तलाश की एवं उन्हें इसका विकल्प मिल गया। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से 20 हजार रुपये की सहायता लेकर बेर की खेती शुरू की। इसके लिए पौधे व जैविक खाद भी विभाग से मिले।

पहले फेज में इन किस्मों के बैर उगाए

पहले चरण में एपल बेरी, रेड कश्मीर, बेल सुंदरी किस्म के बैर उगाये। एक साल के परिश्रम से पेड़ों में फल लगने लगे। 11 किसानों ने इसकी खेती शुरू की है। पहले साल एक पेड़ से 10 किलो तक फल तोड़कर बाजार में बेचना शुरू किया। बाजार में 80 से सौ रुपये किलो दर से इसकी बिक्री हो रही है। प्रत्येक किसान को इससे एक से डेढ़ लाख की आमदनी होने की उम्मीद है।

वर्षों से बंजर पड़ी गांव की जमीन पर अब हरियाली आ गई है। जपेंद्र भैसाल व रंजन भैसाल बताते हैं कि गांव के लोग भी यह सोचे भी नहीं थे कि इस मिट्टी पर कुछ खेती हो सकेगी। पिछले साल यहां चत्मकारी बदलाव आया।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने बदली राह

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से यहां नई क्रांति आयी है। प्रत्येक किसान को 20-20 हजार का ऋण दिया गया। इस जमीन पर खेती कैसे हो सकती है इसका प्रशिक्षण भी दिया गया। किसानों को दूसरे राज्यों में भेज कर इसकी जानकारी दिलाई गई। प्रशिक्षण के अनुसार यहां 11 किसानों ने पहले चरण में रेड कश्मीर, बेलसुंदरी किस्म के बेर की खेती की। उन्हें आवश्यक पौधे एवं जैविक खाद भी उपलब्ध कराये गए।

इसके प्रबंधन के लिए जल विभाजिका का गठन किया गया। यहां एक साल के भीत एपल बेरी का उत्पाद शुरू हो गया है। पहले साल एक पेड़ पर 10 से 12 किलो फल लगे हैं। सौ रुपये दर से एक पेड़ से 1200 रुपये की आय हो रही है। किसान बेर बेचकर एक से डेढ़ लाख की आमदनी कर सकते हैं।

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