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24 साल की खिलाड़ी ने अचानक छोड़ा टेबल टेनिस, Paris Olympics में भारत के लिए रचा था इतिहास

भारतीय महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी अर्चना कामथ ने 24 की उम्र में बड़ा फैसला लिया है। कामथ ने पेरिस ओलंपिक्‍स के बाद टेबल टेनिस छोड़ने का बोल्‍ड फैसला लिया। अर्चना कामथ ने खुद ही बताया कि उन्‍होंने इतनी युवा उम्र में टेबल टेनिस छोड़ने का फैसला क्‍यों लिया। पता हो कि पेरिस ओलंपिक्‍स में अर्चना कामथ भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम की सदस्‍य थी जिसने इतिहास रचा था।

By Abhishek Nigam Edited By: Abhishek Nigam Updated: Thu, 22 Aug 2024 01:39 PM (IST)
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अर्चना कामथ ने खेल छोड़कर विदेश में पढ़ाई करने का फैसला लिया
स्‍पोर्ट्स डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम की 24 साल की खिलाड़ी अर्चना कामथ ने बड़ा फैसला लेकर हैरान कर दिया है। अर्चना कामथ ने टेबल टेनिस छोड़ने का फैसला लिया। पेरिस ओलंपिक्‍स के बाद उन्‍होंने पेशेवर टेबल टेनिस छोड़ने का फैसला लिया और अब अमेरिका में अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी।

याद दिला दें कि भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम ने 2024 पेरिस ओलंपिक्‍स में इतिहास रचा था। भारतीय महिला टीम पहली बार प्री-क्‍वार्टर फाइनल तक पहुंची थी। अर्चना कामथ इस टीम का हिस्‍सा थी। याद हो कि भारत को जर्मनी के हाथों 1-3 की शिकस्‍त झेलनी पड़ी थी। तब अर्चना कामथ ही थी, जिन्‍होंने अपना मुकाबला जीता था।

इस वजह से लिया फैसला

अर्चना कामथ ने 24 की उम्र में टेबल टेनिस छोड़ने का बोल्‍ड फैसला इसलिए लिया क्‍योंकि 2028 लॉस एंजिलिस ओलंपिक्‍स में उन्‍हें मेडल जीतने की गारंटी नहीं है। कामथ ने ऐसे में पेशेवर टेबल टेनिस छोड़कर विदेश में पढ़ाई करने को तवज्‍जो देना सही समझा।

कोच से की बातचीत

पेरिस ओलंपिक्‍स के बाद घर लौंटी कामथ ने अपने कोच अंशुल गर्ग से अगले ओलंपिक्‍स में मेडल जीतने के बारे में बातचीत की। कोच भी अर्चना का सच्‍चा जवाब जानने के बाद दंग रह गए।

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गर्ग ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में कहा, ''मैंने अर्चना से कहा कि अगले ओलंपिक्‍स में मेडल जीतना मुश्किल है। इसके लिए कड़ी मेहनत लगेगी। वह दुनिया में 100 रैंक के बाहर है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में अपने खेल में सुधार जरूर किया है। मगर मुझे लगता है कि उसने जाने का मन पहले ही बना लिया था। एक बार उसने अपना मन बना लिया तो इस फैसले को बदलना मुश्किल है।''

चयन पर हुई बहस

याद हो कि पेरिस ओलंपिक्‍स में अर्चना के चयन की बात विवाद का मुद्दा बनी थी। अर्चना कामथ को अहिका मुखर्जी पर तरजीह दी गई थी, जिन्‍होंने विश्‍व नंबर-1 सुन यिंगशा को पहले मात दी थी। अर्चना ने विवाद को नजरअंदाज करते हुए अपने खेल पर ध्‍यान दिया और जर्मनी के खिलाफ जीत दर्ज करने वाली अकेली भारतीय बनीं।

अर्चना को टॉप्‍स, ओजीक्‍यू और अन्‍य स्‍पॉन्‍सर्स का समर्थन है, लेकिन यह पर्याप्‍त नहीं। वह ओलंपिक मेडल पाने के लिए जुनूनी हैं, लेकिन उन्‍हें लगता है कि विदेश में पढ़ाई करियर के लिए बेहतर विकल्‍प है।

अर्चना को नहीं कोई मलाल

अर्चना ने बताया था, ''मेरा भाई नासा में काम करता है। वो मेरा आदर्श है और उसने मुझे पढ़ने के लिए काफी प्रोत्‍साहित किया। इसलिए मैं अपना समय रहते पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं और इसका आनंद लेना चाहती हूं। मैं भी पढ़ाई में अच्‍छी हूं।''

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अर्चना का फैसला क्‍यों सही

अर्चना कामथ के कोच अंशुल गर्ग का मानना है कि टेबल टेनिस देश में ऐसा खेल नहीं बना है, जिससे खिलाड़‍ियों को जिंदगी जीने के लिए पर्याप्‍त रकम मिल सके। इसलिए अर्चना का फैसला काफी हद तक सही लगता है।

कोच ने कहा, ''शीर्ष खिलाड़‍ियों को आमतौर पर परेशानी नहीं होती क्‍योंकि उन्‍हें काफी समर्थन मिलता है। मगर आगामी खिलाड़‍ियों का क्‍या? हां, उन्‍हें ट्रेनिंग और उपकरण के मामले में समर्थन है। वहां कोई खर्चा रोका नहीं जाता, लेकिन जिंदगी जीने के लिए क्‍या? यह मुश्किल है तो अर्चना का फैसला समझा जा सकता है।''