विदेशी कोचों के महत्व देने के पक्ष में नहीं बॉक्सर अखिल कुमार
अगर विदेशी कोच इतने ही अच्छे हैं तो उन्हें युवाओं को तैयार करने में लगाओ। उन्हें अच्छी तरह से तैयार खिलाड़ी क्यों सौंपे जाते हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय मुक्केबाजी के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक अखिल कुमार और अपने जमाने के दिग्गज निशानेबाज मुराद अली खान ने मंगलवार को विदेशी कोचों को अधिक महत्व और वेतन देने की नीति पर सवाल उठाए।
कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले पांच भारतीय मुक्केबाजों में से एक 37 वर्षीय अखिल ने कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए शुभकामना संदेश देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में अपनी प्रतिक्रिया बेबाकी से रखी। अखिल ने कार्यक्रम में कहा, ‘अगर विदेशी कोच इतने अच्छे हैं तो उन्हें सब जूनियर स्तर पर नियुक्त क्यों नहीं किया जाता। अगर वे इतने ही अच्छे हैं तो उन्हें युवाओं को तैयार करने में लगाओ। उन्हें अच्छी तरह से तैयार खिलाड़ी क्यों सौंपे जाते हैं। अगर मैं राष्ट्रीय चैंपियन बनकर राष्ट्रीय शिविर में आता हूं तो तब तक मैं पूरी तरह से तैयार रहता हूं। मैं विदेशी कोचों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन उन्हें हमारी प्रतिभाओं की कीमत पर नहीं रखा जाना चाहिए जो उनसे भी बेहतर हैं। मैं गोरी चमड़ी के प्रति लगाव को नहीं समझ पाया हूं। क्या यह हमारे औपनिवेशिक अतीत से जुड़ा है। मैं नहीं जानता।’
विदेशी कोचों पर अखिल की बात का 2002 कॉमनवेल्थ गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज मुराद अली खान ने भी समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले भारतीय निशानेबाजों को कोचिंग देने के लिए कहा गया, तो मैंने कहा कि मैं ऐसा करूंगा अगर किसी तरह का नस्लीय रवैया नहीं अपनाया जाता है। विदेशी कोचों को भारतीय कोचों की तुलना में अधिक वेतन क्यों दिया जाता है, जबकि दोनों की योग्यता समान है। यह भेदभाव क्यों किया जाता है। इसके पीछे कोई ठोस तर्क तो नहीं है।