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World Athletics Championship: क्रिकेट पसंद करने वाले एंडरसन कैसे बन गए जैवलिन में नीरज चोपड़ा की सबसे बड़ी बाधा

World Athletics Championship वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के जैवलिन इवेंट में नीरज चोपड़ा ने सल्वर मेडल जीता लेकिन गोल्ड मेडल जीतने वाले एंडरसन पीटर्स कभी क्रिकेट खेलना चाहते थे। आइए उनके बारे में जानते हैं कि कैसे वह क्रिकेट खेलते-खेलते जैवलिन फेंकने लगे।

By Sameer ThakurEdited By: Updated: Sun, 24 Jul 2022 01:36 PM (IST)
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Anderson Peters vs Neeraj Chopra: नीरज चोपड़ा सिल्वर मेडलिस्ट और एंडरसन पीटर्स गोल्ड मेडलिस्ट
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल लेकर पूरे देश को गौरवान्वित करने वाले नीरज चोपड़ा गोल्ड मेडल भी जीत सकते थे लेकिन उनके सामने ग्रेनाडियन के एंडरसन पीटर्स के रुप में सबसे बड़ी बाधा थी जिन्होंने 90.54 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड पर कब्जा किया।

गोल्ड मेडलिस्ट एंडरसन पीटर्स ने कहा कि 'मैं क्रिकेट पसंद करता हूं। हमने ग्रेनाडा में दो सीजन क्रिकेट और ट्रैक एंड फील्ड खेले हैं। मैं तेज गेंदबाज था। मैं गेंद फेंकने को लेकर काफी रोमांचित था। मुझे लगता था कि मैं इतना तेज गेंद फेंक सकता हूं कि बल्लेबाज को नजर भी न आए। मैं हमेशा 90 मील प्रति घंटे की गेंद फेंकने का लक्ष्य रखता हूं, भले ही मैं एक बच्चे के रूप में नहीं कर सकता था।'

उन्होंने कहा कि उसेन बोल्ट के हस्तक्षेप के बाद वह जैवलिन में आए। जिस साल उन्होंने वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था मैं उन्हें देखकर धावक बनना चाहता था लेकिन इंजरी के कारण मुझे जैवलिन उठाना पड़ा।

पीटर्स का आम तोड़ने से जैवलिन का सफर

वर्ल्ड एथलेटिक्स पोडकास्ट में बोलते हुए पीटर्स ने कहा कि 'मेरे लिए फेंकना हमेशा एक स्वाभाविक बात थी। जब मैं छोटा था तो आम और सेब के लिए नियमित रूप से पेड़ों पर पत्थर फेंका करता था। हमारे आम के पेड़ सचमुच बहुत ऊँचे थे।'

वर्तमान में पीटर्स दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जैवलिन थ्रोअर में से एक हैं। गोल्ड मेडलिस्ट पीटर्स डिफेंडिंग चैंपियन थे और उन्होंने अपना वर्चस्व यहां भी जारी रखा। वह टोक्यो ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने मे असफल रहे थे जहां नीरज ने गोल्ड जीता था। दोहा डायमंड लीग में उन्होंने 93.07 मीटर और स्टाकहोम डायमंड लीग में 90.31 मीटर दूर भाला फेंककक उन्होंने चोपड़ा को दूसरे स्थान पर जाने को मजबूर कर दिया।

2016 में 79.65 मीटर दूर भाला फेंकने वाले पीटर्स छह साल में 93.07 मीटर की दूरी तक पहुंच गए। आज उनके पास वर्ल्ड एथलेटिक्स में दो गोल्ड मेडल है। एक ऐसे एथलीट के लिए जो इतनी तेज गेंदबाजी करना चाहता था कि बल्लेबाज गेंद को नहीं देख सके जो अगला बोल्ट बनना चाहता था उसके लिए यहां तक का सफर किसी सपने से कम नहीं है।