Exclusive Interview Annu भारतीय महिला हॉकी टीम को पहली बार एशिया कप का खिताब दिलाने में अन्नु का अहम योगदान रहा। अन्नु ने 9 गोल दागे और फाइनल में साउथ कोरिया के खिलाफ भी एक गोल उनके नाम रहा। हालांकि यहां तक पहुंचने का उनका सफर मुश्किलें से भरा रहा।
By Shubham MishraEdited By: Shubham MishraUpdated: Thu, 15 Jun 2023 09:12 PM (IST)
नई दिल्ली, शुभम मिश्रा। कहते हैं कि इतिहास वही रचते हैं, जिनके अंदर कुछ कर गुजरने की चाहत होती है। ऐतिहासिक लम्हें उन्हीं के हिस्से में आते हैं, जो दिन-रात उस पाने के लिए कड़ी तपस्या करते हैं। कुछ ऐसी ही तपस्या का इनाम भारत की जूनियर महिला हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी अन्नु को मिला है। भारतीय टीम ने जापान की धरती पर एशिया कप के खिताब को पहली बार अपने नाम करते हुए इतिहास रचा है।
टूर्नामेंट में सर्वाधिक 9 गोल दागकर अन्नु इस ऐतिहासिक सफर की सबसे अहम कड़ी बनकर उभरी हैं। हरियाणा की तंग गलियों से निकलकर दुनिया पर छा जाने की राह भारत की बेटी के लिए कभी आसान नहीं थी। आर्थिक तंगी, गंभीर चोट और ना जाने कितनी ही बाधाएं अन्नु के रास्ते में आई, लेकिन उनका हर परेशानी उनके मजबूत इरादे के आगे बौनी साबित हुई।
सेमीफाइनल में जापान और फाइनल में साउथ कोरिया को रौंदकर भारतीय महिला जूनियर टीम की खिलाड़ियों ने अपना नाम इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा लिया। जागरण न्यू मीडिया ने इस यादगार जीत के बाद टीम की स्टार खिलाड़ी अन्नु के साथ खास बातचीत की। इस दौरान अन्नु ने हरियाणा के जींद से लेकर चैंपियन बनने तक के सफर पर कई बड़े खुलासे किए।
सवाल - कैसा रहा सफर और कैसा था चैंपियन बनने के बाद ड्रेसिंग रूम का माहौल?
जवाब - पूछिए मत बस, बहुत ही खास पल था और खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। हर कोई फाइनल जीतने के बाद खुशी से झूम रहा था।
सवाल- चक दे इंडिया मूवी की याद आई फिर?
जवाब - एकदम आई और यह पल हमारे लिए काफी ऐतिहासिक है।
सवाल - फाइनल में चार बार की चैंपियन साउथ कोरिया थी, तो मैदान पर उतरने से पहले टीम में क्या बातचीत हुई थी?
जवाब - उनके खिलाफ हम एक मैच लीग में खेल चुके थे। हमने कोच द्वारा बताए गए प्लान के मुताबिक मैदान पर खेलने की कोशिश की और हमको नतीजा मिला। कोच ने सभी के रोल पहले से ही तय कर दिए थे कि कौन किस तरह से और किस पोजीशन पर खेलेगा।
सवाल - साउथ कोरिया के खिलाफ आक्रामक या फिर डिफेंस कैसे खेलने की रणनीति बनाई गई थी?
जवाब - हमने यही सोचा था कि हम उन पर फुल प्रेशर डालेंगे, ताकि वो गलती करने पर मजबूर हों। हमारे स्ट्राइकर पूरा दबाव डालेंगे और उसका फायदा हमारे डिफेंडर उठाएंगे और उन पर हावी होने की कोशिश करेंगे।
सवाल - साउथ कोरिया से पहले सेमीफाइनल में जापान थी, वो मैच कितना मुश्किल था?
जवाब - जापान के साथ भी हमने एक प्रैक्टिस मैच खेला था। उस मैच में हमने जापान टीम के खेल को जज कर लिया था। हम पता था कि वो ऊपर की बॉल ज्यादा खेलने की कोशिश कर रहे हैं, तो हमने उसके हिसाब से अपनी प्लानिंग की हुई थी।
सवाल - बतौर टीम यह जीत बहुत बड़ी है, लेकिन अन्नु के लिए यह पल कितना खास है?
जवाब - बहुत खास पल है यह मेरे लिए, क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत की है।
सवाल - हरियाणा के जींद से आप आती है, जहां काफी तरफ की पाबंदियां लगाई जाती हैं, तो कैसे सफर शुरू हुआ और हॉकी में ही करियर बनाना है यह कब तय किया?
जवाब - हम बचपन में स्कूल में खेला करता था। हमारे टीचर्स खिलाया करते थे और उस वक्त खो-खो या दूसरे खेल हम लोग खेला करते थे। स्कूल के बाद मैंने हरियाणा में स्पैट होते थे, तो मैंने उसको क्लियर किया और फिर मुझे सिरसा की नर्सरी से बुलावा आया। यहां जाकर मैंने हॉकी स्टिक पकड़ी और इस खेल में मेरे करियर की शुरुआत यहीं से हुई। इसके बाद मैंने वहां पर दो साल प्रैक्टिस की। फिर मैंने हिसार के साई सेंटर में एडमिशन लिया। वहां पर आजाद कोच सर का बहुत सपोर्ट मिला। मैं हरियाणा की तरफ से खेलती रही। इसके बाद साल 2018 में मेरा इंडियन टीम में सेलेक्शन हुआ।
सवाल - माता-पिता का योगदान कितना बड़ा रहा इस सफर में?
जवाब - माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा। इतनी छोटी सी उम्र में एक खिलाड़ी को बाहर भेजना, आप भी इस बात को समझ सकते हैं कि यह आसान नहीं होता है। मां का बिल्कुल मन नहीं था, क्योंकि मैं रोती थी और बोलती थी कि यहां नहीं रहना मुझे और मां के पास जाना है। हालांकि, इस सफर में पापा ने पूरा सपोर्ट किया। वह कहते थे कि वो मेरे पास एक दिन के लिए आ जाएंगे, जिससे मेरा मन लगा रहेगा।
पापा भट्टे पर काम करते थे, तो छुट्टी लेने में भी बहुत दिक्कत आती थी, साथ ही पैसे भी कट जाते थे। इन सबके बावजूद पापा का यह था कि बेटी को फुल सपोर्ट करना है। पापा एक दिन घर रहते थे और एक दिन मेरे पास, उन्होंने ऐसा पूरे एक साल तक किया।
सवाल- पापा ने कभी भी आर्थिक तंगी या किसी भी तरह का दबाव आपके ऊपर आने नहीं दिया?
जवाब - नहीं कभी भी नहीं, मुझे कुछ भी पता नहीं लगने दिया। एक बार पापा बस में आ रहे थे, तो पापा का पर्स किसी ने निकाल लिया। इसके बावजूद पापा किसी से 100 रुपये उधार लेकर मेरे लिए समान लेकर जरूर आए। मैं पापा के पहुंचने पर बोली कि आप और चीजें क्यों नहीं लेकर आए, तो उन्होंने कहा कि अगली बार ले आऊंगा बेटा। हालांकि, जब मैं घर आई, तो मां ने मुझे इस घटना के बारे में बताया। अब यह बातें याद करके रोना भी आता है और खुशी भी होती है कि मैंने अपने माता-पिता का सपना पूरा किया। उन्होंने मेरे पीछे काफी आर्थिक तंगी झेली।
सवाल - इतनी छोटी उम्र में घर में आप दूर रहीं, तो कभी लगा नहीं कि सबकुछ छोड़कर घर लौट जाना चाहिए?
जवाब - ऐसा कभी नहीं लगा, क्योंकि घर के हालात बेहद खराब थे। मां बीमार भी रहती थीं और एक टाइम ऐसा भी आया था कि हमको भूखे पेट भी सोना पड़ा था। इसलिए बचपन से ही सोच लिया था कि कुछ बड़ा करना है और अपना घर ऐसा बनाना है और कुछ सपने हैं, जिनको पूरा करना है। मैं रोती जरूर थी, लेकिन जैसे-जैसे बड़ी हुई, तो चीजें समझ में आने लग गई।
सवाल - हरियाणा पहुंचने पर जोरदार स्वागत होगा फिर?
जवाब - एकदम, गांव वाले तैयारी कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि मैं कब वापस आऊंगी। लगातार फोन आ रहे हैं और सब मिलने के लिए उत्सुक हैं।
सवाल - हॉकी के खेल में फिटनेस भी काफी मायने रखती है उसका ख्याल अन्नु कैसे रखती हैं?
जवाब- हां, फिटनेस काफी महत्वपूर्ण होती है। हमारे कोच बता देते हैं कि आपके अंदर क्या कमी है और किस चीज पर आपको काम करने की जरूरत है। इसके साथ ही फिट रहने के लिए मैं जिम का सहारा भी लेती हूं और साइकिलिंग वगैरह भी हमारी ट्रेनिंग का पार्ट होता है। साई का अच्छा सपोर्ट मिल रहा है और वो डाइट का भी पूरा ख्याल रखते हैं।
सवाल - कोच का रोल कितना बड़ा रहा और कैसे उन्होंने टीम को मोटिवेट रखा?
जवाब - कोच का काफी बड़ा योगदान रहा। सीनियर महिला हॉकी टीम के कोच हमारे साथ थे। उनका लेवल ही अलग है। वह हमको हमेशा मोटिवेट रखते थे। अगर हम किसी मैच में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते थे, तो वह हमको समझाते थे कि तुम्हारे अंदर काबिलियत है, तुम सब यह कर सकती हो।
सवाल - ऊज्बेकिस्तान के खिलाफ मैच में 22-0 की जीत और उसमें 6 गोल आपने दागे, क्या था उस दिन दिमाग में?
जवाब - काफी बड़ी जीत थी वो और ऐसा कुछ अलग से सोचा नहीं था। बस प्लान यही था कि अटैक करना है और उनकी गलतियों का फायदा उठाना है। इसके साथ ही मेरे पास अच्छे पास आ रहे थे, जिसको मैं गोल में तब्दील करने में सफल हो रही थी।
सवाल - यहां तक पहुंचने के लिए इतनी मेहनत की थी, सोचा था कि यह टूर्नामेंट इतना कुछ दे जाएगा?
जवाब- हां, काफी मेहनत की थी। जूनियर एशिया कप से पहले मेरा घुटना चोटिल हो गया था और डॉक्टर ने सर्जरी के लिए बोल दिया था। मुझे ऐसा लगा था कि यह बड़ा टूर्नामेंट है और इसको मिस किया, तो सब खत्म हो जाएगा। मेरे कोच लोगों ने बोला कि तुम सर्जरी मत करवाओ और स्ट्रेथनिंग करो और फिर मैंने उस पर काफी काम किया। मैं सोचा था कि बड़ा टूर्नामेंट आ रहा है और मुझे खुद को हर हाल में फिट करना है और यही मौका है खुद को साबित करने का।
सवाल - अन्नु के आगे के क्या प्लान हैं, इस साल के अंत में वर्ल्ड कप भी है?
जवाब - पूरा फोकस अब वर्ल्ड कप पर करना है और उसको लेकर भी अब पूरी टीम अगले छह महीने जमकर तैयारी करेगी।
सवाल - अन्नु का आदर्श कौन है इस खेल में?
जवाब - रानी रामपाल